स्क्रब वायरस और वायरल फीवर का प्रकोप, प्रतिदिन 100 से ज्यादा रोगी हो रहे भर्ती

रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इन दिनों वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, निमोनिया और स्क्रब टाइफस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ओपीडी में रोजाना तीन हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं और प्रतिदिन 100 से ज्यादा भर्ती हो रहे हैं। अब तक रीवा और मऊगंज में स्क्रब टाइफस के 275 केस दर्ज हुए, जिनमें अगस्त में 86 केस सबसे ज्यादा रहे।

स्क्रब वायरस और वायरल फीवर का प्रकोप, प्रतिदिन 100 से ज्यादा रोगी हो रहे भर्ती

रीवा। संजय गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन विभाग में इन दिनों मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है। वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम और निमोनिया के साथ अब स्क्रब टाइफस के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। हालात यह हैं कि OPD खुलते ही अस्पताल परिसर में मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ती है और भर्ती वार्डों में जगह कम पड़ रही है।


अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, इन दिनों औसतन 100 मरीज प्रतिदिन भर्ती हो रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बुखार, थकान, शरीर में दाने, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द जैसी शिकायतों के साथ पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो इनमें से कई मरीज स्क्रब टाइफस के संभावित लक्षणों के साथ आ रहे हैं।

हर दिन औसतन 5-6 ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जिन्हें स्क्रब टाइफस की आशंका पर भर्ती किया जा रहा है। स्क्रब टाइफस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो एक खास प्रकार के माइट (पिस्सू जैसे कीट) के काटने से फैलता है। यह कीट बरसात के मौसम में गीली मिट्टी, घास और झाड़ियों में तेजी से पनपते हैं।
ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग, विशेष रूप से किसान, जब खेतों और कच्चे रास्तों पर काम करते हैं, तो इन माइट्स के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉक्टरों का कहना है कि मानसून के दौरान और इसके तुरंत बाद यानी जुलाई से नवंबर तक स्क्रब टाइफस का प्रकोप सबसे अधिक होता है। बीमारी की पहचान अक्सर मुश्किल होती है क्योंकि शुरुआती लक्षण डेंगू या वायरल फीवर जैसे ही होते हैं।

रीवा और मऊगंज में अब तक 275 केस, अगस्त में सर्वाधिक

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अगस्त 2025 तक रीवा और मऊगंज जिलों में कुल 275 स्क्रब टाइफस के केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से अकेले अगस्त माह में 86 केस सामने आए हैं, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है, डॉक्टरों का कहना है कि कई मामलों में ब्लड रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है, और मरीजों को आराम मिल जाता है।

अस्पताल में व्यवस्था चरमराई, फ्लोर बेड की संख्या बढ़ाई गई

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि बेड की भारी किल्लत हो गई है। कई वार्डों में फ्लोर बेड लगाए गए हैं। मेडिसिन, गायनी और बाल रोग विभाग में हालात सबसे गंभीर हैं।

बाल रोग वार्ड में एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को रखा जा रहा है, जबकि गायनी वार्ड में दो-दो महिलाओं को एक बेड पर भर्ती करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि फिलहाल लगभग 200 फ्लोर बेड लगाए जा चुके हैं।

OPD में प्रतिदिन तीन हजार से अधिक मरीज

संजय गांधी मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशिएलिटी और गांधी स्मृति अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन तीन हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या से अस्पताल प्रशासन की व्यवस्थाएं लड़खड़ा गई हैं और स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का अत्यधिक दबाव है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह

झाड़ियों और घास में बैठने या लेटने से बचें।खेतों में काम करते समय पूरी बांह के कपड़े और जूते पहनें। बुखार, शरीर पर दाने और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और कीटनाशकों का प्रयोग करें।

अब एक अटेंडर को ही मिलेगी साथ रहने की अनुमति, दिन में सिर्फ दो घंटे ही मरीजों से मिलने की रहेगी छूट

अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की भीड़ और अव्यवस्था को देखते हुए नई व्यवस्था लागू की है। अब हर भर्ती मरीज के साथ केवल एक अटेंडर को ही रहने की अनुमति दी जा रही है। यह व्यवस्था 4 सितंबर से लागू कर दी गई है।

मरीज से मिलने का समय भी निर्धारित कर दिया गया है जिसमे दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक परिजन मरीज से मुलाकात कर सकेंगे।

इसके लिए किसी गेट पास की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन अस्पताल द्वारा जारी किया गया पर्चा अटेंडर के पास होना अनिवार्य रहेगा। अस्पताल में लोगों की भीड़ होने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

संक्रमण से मरीज और बीमार हो सकते है। वहीं संक्रमण से अस्पताल आने वाले लोग भी बीमार हो सकते हैं।