रीवा में 3500 फर्जी BPL कार्डधारी पकड़े गए, 12 लाख आय वाले ले रहे सुविधाएं!

रीवा जिले में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। प्रशासन की जांच में 3500 से ज्यादा ऐसे अपात्र लोग पकड़े गए हैं जो बीपीएल कार्ड के जरिए सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रहे थे। इनमें आयकरदाता, संपन्न परिवार, अवयस्क और 6-12 लाख सालाना कमाई करने वाले लोग शामिल हैं। ई-केवाईसी के दौरान यह गड़बड़ी उजागर हुई।

रीवा में 3500 फर्जी BPL कार्डधारी पकड़े गए, 12 लाख आय वाले ले रहे सुविधाएं!

रीवा जिले में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत वर्षों से चल रही व्यापक अनियमितताओं और फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। प्रारंभिक जांच में 3500 से अधिक ऐसे अपात्र हितग्राही पकड़े गए हैं जो नियमों के विरुद्ध शासन की योजनाओं का लाभ ले रहे थे।

इनमें कई आयकरदाता, संपन्न परिवारों के सदस्य, अवयस्क और 6 से 12 लाख रुपए तक सालाना आय वाले लोग शामिल हैं। जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच में यह सामने आया है कि इन अपात्रों को BPL कार्ड जारी कर शासन की 28 विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा था।

इसके तहत ये लोग वर्षों से गरीबों के लिए तय खाद्यान्न और अन्य सरकारी सुविधाएं हासिल कर रहे थे। जिले के नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के जिला प्रबंधक कमलेश तांडेकर ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा बीपीएल कार्डधारियों की e-KYC प्रक्रिया के दौरान सामने आया।

जांच में जब हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति और दस्तावेजों का मिलान किया गया, तो हजारों ऐसे नाम सामने आए जो पात्रता की शर्तें पूरी नहीं करते थे। इनमें कई ऐसे लोग भी हैं जो प्रतिवर्ष आयकर भरते हैं, कई की आय 12 लाख से ऊपर है और कुछ की उम्र 18 वर्ष से भी कम पाई गई है। 

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तांडेकर के अनुसार, इन सभी 3500 अपात्र हितग्राहियों को नोटिस जारी कर उनसे गरीबी के प्रमाण मांगे गए हैं। यदि वे निर्धारित समय में वैध दस्तावेज नहीं प्रस्तुत करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

कार्ड सरेंडर करने लगे फर्जी हितग्राही

प्रशासन द्वारा जारी नोटिस के बाद कुछ अपात्र हितग्राहियों ने अपने बीपीएल कार्ड स्वेच्छा से सरेंडर कर दिए हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि इन लोगों को खुद भी अपनी अपात्रता की जानकारी थी, बावजूद इसके वे वर्षों से योजनाओं का लाभ लेते रहे।

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यह भी चिंता का विषय है कि इतने बड़े पैमाने पर अपात्र लोगों को BPL सूची में शामिल किस आधार पर किया गया? किस अधिकारी की लापरवाही या मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा चला इस पर अभी प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है।