रीवा में पोस्टर से सियासी भूचाल, कांग्रेस में गुटबाजी खुलकर आई सामने

रीवा के प्रमुख चौराहों पर रायशुमारी चोरी हो गई" लिखे पोस्टर चढ़ने से कांग्रेस संगठन में घमासान मच गया है। पोस्टर में राहुल गांधी की तस्वीर के साथ यह संदेश दिया गया है कि जिला अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं रही। कई कार्यकर्ता इस फैसले को गुटबाजी और सिफारिशी राजनीति का नतीजा मान रहे हैं

रीवा में पोस्टर से सियासी भूचाल, कांग्रेस में गुटबाजी खुलकर आई सामने

ऋषभ पांडेय  

रीवा जिले में अचानक उभरे एक पोस्टर ने कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में हलचल मचा दी है। शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाए गए इन पोस्टरों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर के साथ लिखा है रायशुमारी चोरी हो गई है कांग्रेस बचाओ  इस कथन ने न केवल स्थानीय संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि हाईकमान तक नाराजगी की स्पष्ट गूंज भी पहुंचा दी है।

बता दे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पोस्टर किसने लगाए, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे कांग्रेस की गुटबाज़ी और भीतरघात से जोड़कर देखा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि यह कदम असंतुष्ट कार्यकर्ताओं या आंतरिक रूप से उपेक्षित गुटों की ओर से उठाया गया हो सकता है।

चर्चा है कि हाल ही में हुई जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में रायशुमारी के नाम पर खानापूर्ति की गई और कुछ चुनिंदा चेहरों को ऊपर लाया गया। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सच्चे जनाधार और मेहनत को नजरअंदाज करते हुए राजनैतिक संरक्षण और सिफारिशों को प्राथमिकता दी गई।

ग्रामीण अध्यक्ष को तीसरी बार फिर अध्यक्ष बना दिया गया। वहीं शहर अध्यक्ष के लिए ऐसे चेहरे को सामने ले आए जिसकी किसी को उम्मीद ही नहीं थी। अशोक पटेल झब्बू को शहर अध्यक्ष बना दिया गया। बता दे अध्यक्ष के चयन पर ही बवाल मचना शुरू हो गया है।

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भले ही कोई भी खुलकर इस फैसले का विरोध न कर रहा हो लेकिन अध्यक्ष के चयन से कोई भी खुश नहीं है। राजेन्द्र शर्मा को पार्टी ने बहुत मौका दिया लेकिन वह कोई बड़ा बदलाव और काम नहीं कर पाए। सरकार का खुल कर विरोध भी नहीं कर पाते। अशोक पटेल झब्बू को शहर की जिम्मेदारी दी गई है।

लेकिन चर्चा है कि उनमें नेतृत्व क्षमता ऐसी नहीं है कि वह किसी विरोध को बढ़े स्तर तक ले जाएं। इसी बात का विरोध तेज हो गया है। पूरे शहर को पोस्टर से पाट दिया गया है। पोस्टर में रायशुमारी चोरी का आरोप लगाया गया है।

वहीं दूसरी तरफ शहर में लगे पोस्टर को लेकर कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि पार्टी में किसी तरह का अंतरकलह नहीं चल रहा है। यह सब विरोधी पार्टी की कारस्तानी है। 

गुटबाजी और संगठनात्मक अव्यवस्था

रीवा कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला खुलकर सामने आ गया है। नए जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ही संगठन में खेमेबंदी तेज हो गई थी। पुराने और जमीनी स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ता नेतृत्व से नाखुश हैं। उन्हें लगता है कि वर्षों की मेहनत के बावजूद उन्हें दरकिनार किया गया। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी इन निर्णयों से असहज हैं, लेकिन संगठनात्मक अनुशासन के चलते खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे।

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महापौर के इशारे पर अध्यक्ष बनाने की चर्चा 

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी जोरों पर है कि जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में रीवा के महापौर अजय मिश्रा 'बाबा' की सिफारिश निर्णायक रही। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी यही नाम कई उम्मीदवारों के चयन में प्रभावशाली माना गया था। इस बात को लेकर भी कार्यकर्ताओं में रोष है कि संगठन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जगह एक व्यक्ति विशेष की पसंद ने ले ली है।

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पोस्टर पॉलिटिक्स के पीछे हाईकमान को संदेश 

बता दे इन पोस्टरों के माध्यम से सीधे राहुल गांधी तक नाराजगी का संदेश पहुंचाने की कोशिश की गई है। पोस्टर की भाषा और उसमें प्रयुक्त वाक्यांश रायशुमारी चोरी हो गई है यह दर्शाते हैं कि कार्यकर्ता अब संगठन के भीतरी तंत्र पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, यह संगठनात्मक विफलता का संकेत है।

जब फैसले पारदर्शी नहीं होते तो नाराजगी इस तरह उभरती है। बड़े नेताओं के आगे पीछे घूमने वालों को पद दिया जाता है, ईमानदारी से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की कोई पूछपरख नहीं होती ऐसे में संगठन कैसे मजबूत होगा।

भाजपा के लिए यह मौका 

कांग्रेस में चल रही अंदरूनी उठापटक का सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलता दिख रहा है। रीवा पहले से ही भाजपा का गढ़ माना जाता है, और यदि कांग्रेस खुद को अंदर से मजबूत नहीं कर पाती, तो यह स्थिति आगामी निकाय व विधानसभा चुनावों में घातक साबित हो सकती है।

बीजेपी जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जब एक पार्टी के अंदर ही लोकतंत्र नहीं है, तो वो देश में लोकतंत्र की बात कैसे कर सकती है, एक तरफ राहुल गांधी वोट अधिकार यात्रा तो निकाल रहे हैं.

लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी की परंपरा का ज्ञान नहीं, सरदार पटेल पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच वोटिंग हुई थी तब सरदार पटेल को 12 वोट मिले थे जबकि जवाहर लाल नेहरू को 2 वोट प्राप्त हुए थे लेकिन इसके बावजूद भी पंडित जवाहर लाल नेहरू विजयी घोषित हुए थे, और यही कांग्रेस की पुरानी परंपरा रही, कांग्रेस में रायशुमारी कभी प्राथमिकता रही ही नहीं, इतिहास इसका गवाह है।

पोस्टर लगाने वाले कर रहे साबित वे उस पद के लायक नहीं: राजेंद्र शर्मा
 
कांग्रेस जिला अध्यक्ष इंजीनियर राजेंद्र शर्मा ने इस पूरे घटनाक्रम को अवांछित महत्वाकांक्षा  का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, जब पद एक हो और दावेदार अनेक, तो असंतोष स्वाभाविक है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने आगे कहा कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर शीर्ष नेताओं की भी राय ली गई थी यहां तक की मध्यप्रदेश की अगर बात करें तो 8 से 10 ऐसे जिला अध्यक्ष बनाएं गए जिन्हे राहुल गांधी ने खुद फोन करके उनकी नियुक्ति कर दी,

CEC के मेंबर ओमकार सिंह मरकाम को डिंडोरी का जिला अध्यक्ष बनाया गया मध्यप्रदेश के मंत्री रहे जयवर्धन सिंह को भी जिला अध्यक्ष बनाएं जाने पर सहमति बनी और वह बनेगें. कांग्रेस पार्टी अपने तरीके से काम करती है लेकिन संगठन में अनुशासन भी जरूरी है। पोस्टर लगाकर विरोध जताना यह दर्शाता है कि व्यक्ति स्वयं उस पद के योग्य नहीं है।