अल्प आय वर्ग गृह निर्माण समिति में करोड़ों का घोटाला, EOW कर रही जांच
रीवा की चर्चित अल्प आय वर्ग गृह निर्माण सहकारी समिति में करीब 50 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है। शिकायत के अनुसार, समिति को एक सहकारी संस्था के बजाय प्रॉपर्टी डीलिंग एजेंसी की तरह चलाया गया। पूर्व अध्यक्ष विकास तिवारी, वर्तमान अध्यक्ष विपिन मिश्रा और कार्यकारी प्रबंधक सहित पूरी संचालक मंडली पर गंभीर आरोप लगे हैं

रीवा जिले की चर्चित अल्प आय वर्ग गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित में एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद मामला EOW में जांच में है, बता दे वर्षों से चल रही भूमि आवंटन में धांधली, फर्जी सदस्यों की नियुक्ति, पुराने वैध प्लॉटों की रजिस्ट्री रद्द कर दोबारा बिक्री और संस्था के पैसों का निजी लाभ हेतु दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं।
यह मामला अब आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ (EOW) की जांच के दायरे में है और सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस पर FIR दर्ज की हो सकती है। पूरे मामले में संजय पाण्डेय शिकायतकर्ता है। EOW में दर्ज शिकायत के अनुसार, समिति अब एक सहकारी संस्था नहीं रही, बल्कि उसे एक प्रॉपर्टी डीलर एजेंसी की तरह चलाया जा रहा है।
शिकायत में समिति के पूर्व अध्यक्ष विकास तिवारी, वर्तमान अध्यक्ष विपिन मिश्रा, कार्यकारी प्रबंधक मोहम्मद रहमान अली सहित पूरे संचालक मंडल पर 50 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं।
सदस्यों की वरिष्ठता सूची को दरकिनार कर, पुराने वैध प्लॉट आवंटन रद्द कर दिए गए, और मनमाने ढंग से फर्जी सदस्यों को जमीनें आवंटित कर रजिस्ट्रियां कर दी गईं।
क्या है अल्प आय गृह निर्माण समिति
अल्प आय गृह निर्माण समिति का पंजीयन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने 6 फरवरी 1964 को कराया था, जिसका पंजीयन क्रमांक 22 था। इस समिति का उद्देश्य जिले में ऐसे अल्प आय वाले परिवारों को शहर के अंदर प्लॉट उपलब्ध कराना था, जिनके पास स्वयं का प्लॉट नहीं हो साथ ही उनके परिवार में किसी भी सदस्य के नाम पर पहले से कोई प्लॉट नहीं हो।
संस्था का संचालन सहकारिता अधिनियम 1960 के गृह निर्माण के लिए बनाए गए विशेष उपबंधों के अंतर्गत होना तय है, बता दे समिति सदस्यता शुल्क के माध्यम से धन एकत्रित करती है और उसी से वरिष्ठता के आधार पर भूमि खरीदकर सदस्यों को प्लॉट उपलब्ध कराए जाते है, आरोप है कि सितंबर 2021 में विकास तिवारी ने फर्जी संचालन मंडल का सदस्य बनाकर स्वयं अल्प आय गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष बने और इसके बाद से ही संस्था में फर्जीवाड़े का क्रम शुरू हुआ और समिति की मूल भावना और नियमों की अनदेखी करते हुए अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया गया।
500 से अधिक फर्जी प्लॉट आवंटन
बता दे वर्ष 2020 के बाद से अब तक 500 से अधिक प्लॉट फर्जी तरीके से आवंटित किए गए। पुराने वैध कब्जाधारियों को हटाकर, अखबारों में औपचारिक सूचना प्रकाशित कर उनके नाम निरस्त कर दिए गए। शिकायत में बताया गया है कि इसके एवज में लाखों रुपये की अवैध वसूली की गई।
सदस्य सुदामा प्रसाद लगरखा को आवंटित प्लॉट को श्रीमती सन्नू तिवारी के नाम कर बेचा गया। रामेश्वर द्विवेदी का कब्जाधारी प्लॉट नरेन्द्र तिवारी को दे दिया गया। वीणा मिश्रा का प्लॉट संस्था के उपाध्यक्ष की बहू कल्पना शर्मा के नाम कर दिया गया।
नियमों को ताक पर रखकर संस्था का पैसा सीधे खातों में
25 जनवरी 2022 को, यूनियन बैंक नेहरू नगर ब्रांच से संस्था के खाते से संचालक संतोष तिवारी को 1.35 करोड़ रुपए निफ्ट के माध्यम से ट्रांसफर किए गए। संस्था के नियम किसी सदस्य को सीधे भुगतान की अनुमति नहीं देते, फिर भी नियमों को नजरअंदाज कर 25 लाख रुपए सीधे ट्रांसफर और 1.10 करोड़ रुपए अलग से ट्रांसफर किए गए। इसके अलावा, कार्यकारी प्रबंधक रहमान अली को भी दो चेकों के जरिए 85,000 रुपए का भुगतान किया गया।
6 करोड़ की ज़मीन, संस्था का पैसा लेकिन नाम निजी लोगों के
शिकायत में दर्ज सबसे गंभीर आरोपों में यह भी शामिल है कि संस्था के नाम पर ग्राम भुंढहा में 6.02 एकड़ ज़मीन, 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से संस्था के पैसों से खरीदी गई। लेकिन रजिस्ट्री संस्था के नाम न होकर तत्कालीन अध्यक्ष विकास तिवारी की पत्नी और उनके रिश्तेदार विपिन मिश्रा के नाम पर की गई। जमीन का मूल्यांकन 6.03 करोड़ रुपए बताया गया, लेकिन असल में यह संस्था के पैसे का निजी हित में दुरुपयोग है।
तीन वर्षों से नहीं हुआ ऑडिट, दस्तावेज तक नहीं मिले
संस्था का वर्ष 2020 से अब तक कोई ऑडिट नहीं हुआ है। शिकायतकर्ता के अनुसार, ऑडिट के लिए जरूरी प्रपत्र 1 से 16 तक कोई दस्तावेज विभाग को नहीं सौंपे गए। यहां तक कि जांच अधिकारियों ने भी लिखित में स्वीकार किया है कि बार-बार मांगने पर भी दस्तावेज नहीं मिले। इससे यह संदेह गहराता है कि सहकारिता विभाग के अधिकारी भी इस पूरे घोटाले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हैं।
राज्य से लेकर केंद्र तक हुई शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नहीं
जुलाई 2024 से जुलाई 2025 के बीच इस मामले की शिकायतें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सहकारिता मंत्री, आयुक्त भोपाल, प्रधानमंत्री, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह सहित लगभग एक दर्जन प्रमुख अधिकारियों व कार्यालयों तक की गई हैं। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
बता दे संयुक्त आयुक्त सहकारिता रीवा संभाग सुलेखा अहिरवार ने जांच के लिए दल गठित किया था, जिसमें बी.के. सोंधिया, मदन सिंह उईके और विकास सहकारी निरीक्षक शामिल थे। लेकिन इन अधिकारियों को भी संस्था की ओर से दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए।
वरिष्ठता सूची नदारद, आवंटन मनमाने ढंग से
संस्था के नियमों के अनुसार हर वर्ष वरिष्ठता सूची प्रकाशित की जाती है, जिसके आधार पर प्लॉट आवंटित किए जाते हैं। लेकिन वर्ष 2020-21 से अब तक कोई सूची ही नहीं बनाई गई, जिससे यह स्पष्ट है कि फर्जी तरीके से मनचाहे लोगों को आवंटन किया गया।
जल्द दर्ज हो सकता है मामला
EOW सूत्रों की मानें तो प्रारंभिक जांच में कई तथ्य सही पाए गए हैं, और अधिकारिक तौर पर मामला दर्ज होने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। यदि ऐसा होता है तो रीवा की इस बहुचर्चित समिति में अब तक का सबसे बड़ा सहकारी घोटाला दर्ज किया जा सकता है।