PM आवास योजना में फर्जीवाड़ा, नगर निगम ने सात दिवस में मांगा जवाब

ईडब्ल्यूएस (कमजोर वर्ग) के लिए बने मकानों पर आय सीमा से बाहर के लोगों ने कब्जा जमा रखा है। कई अपात्र लोगों को आवास आवंटन के समय नियमों को दरकिनार कर पात्र घोषित कर दिया गया। नगर निगम ने 151 संदिग्ध लाभार्थियों को नोटिस जारी कर 7 दिनों में आय प्रमाण-पत्र सहित जवाब देने को कहा है। समयसीमा में उत्तर न मिलने पर आवंटन निरस्त कर, मिली आर्थिक सहायता की वसूली की जाएगी।

PM आवास योजना में फर्जीवाड़ा, नगर निगम ने सात दिवस में मांगा जवाब

रीवा। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत एएचपी घटक में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। नगर निगम प्रशासन की हालिया जांच में यह खुलासा हुआ है कि जिन मकानों का आवंटन आर्थिक रूप से EWS (कमजोर वर्ग ) के लिए किया गया था, उनमें से कई पर अपात्र लोगों ने कब्जा जमा रखा है।

इस मामले में नगर निगम ने सख्त रुख अपनाते हुए 151 संदिग्ध लाभार्थियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।।नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर की गई जांच में यह बात सामने आई कि कई ऐसे लोग, जिनकी आय प्रधानमंत्री आवास योजना की निर्धारित सीमा से अधिक है, जिनके पास पहले से पक्का मकान या लग्जरी वाहन हैं, उन्होंने योजना का लाभ उठा लिया।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन अपात्र लोगों को योजना के तहत आवास आवंटित करते समय नियमों को दरकिनार कर पात्र घोषित कर दिया गया। योजना के एएचपी घटक के अंतर्गत बनाए गए आवासों में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा गोल क्वार्टर क्षेत्र में पाया गया।

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यहां लाभार्थी सूची में ऐसे नाम शामिल हैं जो किसी भी प्रकार से ईडब्ल्यूएस की श्रेणी में नहीं आते। प्रारंभिक सर्वे नगर निगम के सहायक यंत्री के नेतृत्व में किया गया, जिसमें इन गड़बड़ियों का खुलासा हुआ।नगर निगम ने इन सभी 151 संदिग्ध हितग्राहियों को नोटिस भेजकर सात दिवस के भीतर हाल ही में जारी आय प्रमाण-पत्र सहित जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि तय समयसीमा में संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया, तो न केवल आवंटन निरस्त किया जाएगा, बल्कि आवास योजना के तहत मिली आर्थिक सहायता की वसूली भी की जाएगी।

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बता दे नगर निगम की टीम जांच करने जैसे ही क्षेत्र में पहुंची, वहां का नज़ारा कुछ और ही था। जांच टीम के पहुंचने से पहले ही जिन मकान मालिकों ने अपने मकान किराए पर दे रखे थे, उन्हें कार्रवाई की खबर पहले ही मिल चुकी थी।

हैरानी की बात यह रही कि जब टीम मौके पर पहुंची, तब मकान मालिक पहले से ही अपने घरों में मौजूद थे, और जुड़े दस्तावेजों को सामने रखकर मानो टीम का इंतजार कर रहे थे। मकान मालिकों ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि मकान में कोई किराएदार नहीं है, और कार्यवाही से बच गए। 

जांच के घेरे में पूर्व अधिकारी

मामले की तह तक पहुंचने के लिए नगर निगम द्वारा उच्च स्तरीय जांच शुरू की गई है। इसमें उस समय के नोडल अधिकारी एवं संबंधित कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। बता दे अधिकारियों द्वारा जानबूझकर अपात्र लोगों को पात्र बनाकर योजना का लाभ दिलाया गया।