विधायक के फोन के बाद मामले की सुनवाई से हटे जस्टिस मिश्रा
पाठक परिवार की कंपनियों पर अवैध खनन करने के आरोप पर राज्य सरकार ने 443 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाकर रिकवरी करने के आदेश जारी किए हैं. मामला हाई कोर्ट में है.

भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक नई मुसीबत में फंस गए हैं. पाठक परिवार की कंपनियों पर अवैध खनन करने के आरोप पर राज्य सरकार ने 443 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाकर रिकवरी करने के आदेश जारी किए हैं. मामला हाई कोर्ट में है.
MLA ने किया जस्टिस विशाल मिश्रा को फोन
इस मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस विशाल मिश्रा को फोन किया था. पाठक के फोन कॉल को जस्टिस मिश्रा ने रिकॉर्ड में लेकर खुद इस केस से हट गए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष मनु दीक्षित नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पाठक परिवार पर कार्रवाई नहीं कर रही है. याचिका दायर होने के कुछ दिन बाद खनिज विभाग ने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ 443 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था. इस केस में पाठक के परिवार की कंपनियों की ओर से इंटर विन एप्लीकेशन लगाई गई थी. मामले की सुनवाई जस्टिस विशाल मिश्रा की अदालत में चल रही थी.
जस्टिस मिश्रा ने सुनवाई से खुद को अलग किया
जस्टिस मिश्रा ने पाठक परिवार की कंपनियों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. जस्टिस ने आर्डर में लिखा कि संजय पाठक ने अपने परिवार की कंपनियों के मामले में चल रहे केस के सिलसिले में बात करने के लिए मुझसे संपर्क करने का प्रयास किया. इसलिए मैं इस केस की सुनवाई से खुद को अलग करता हूं. मामला चीफ जस्टिस की बेंच को सौंपा जाता है. अब चीज जस्टिस निर्णय करेंगे कि पाठक परिवार से जुड़ी कंपनियों के मामले में सुनवाई किस बेंच में होगी. जस्टिस मिश्रा द्वारा इस संबंध में जारी ऑर्डर की कॉपी भी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है.
443 करोड़ रुपए का जुर्माना
उल्लेखनीय है कि पाठक परिवार की कंपनियों द्वारा अवैध उत्खनन किए जाने का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है. इसके बाद सदन में ही राज्य सरकार ने बताया कि जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में मेसर्स आनंद माइनिंग कॉरपोरेशन, मेसर्स निर्मला मिनरल्स और पेसिफिक एक्सपोर्ट द्वारा मंजूरी से ज्यादा खनन किया गया है. इस मामले में खनिज विभाग ने तीनों कंपनियों पर 443 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है.