"चाहे प्रधानमंत्री भी बोले मैं 6 Schedule नहीं दूंगा"-अमित शाह

लद्दाख को 6ठे शेड्यूल और पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर सोनम वांगचुक 35 दिनों से बिना अन्न जल के आमरण अनशन पर हैं।

"चाहे प्रधानमंत्री भी बोले मैं 6 Schedule नहीं दूंगा"-अमित शाह
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सोनम वांगचुक 35 दिनों के आमरण अनशन पर हैं. इस बार वो बिना कुछ खाए 35 दिनों तक अनशन जारी रखेंगे जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मान लेती. सोनम वांगचुक ने X पर वीडियो जारी करते हुए कहा की-

"2019 में सरकार ने लदाख को 6th Schedule देने की बात कही थी. आने वाले सालों में ये बात गृहमंत्रालय के पास चली गई और वो धीमे होते-होते रुक सी गई. कहा जाता है की उद्योगपतियों का बहुत ज्यादा दबाव आया और बात यहां तक पहुंची की 2 साल पहले  गृह मंत्री अमितशाह ने लदाख के नेताओं को फटकार लगाते हुए ये कहा की मैं आपको 6th Schedule नहीं दूंगा चाहे प्रधानमंत्री खुद लिख के दे मैं नहीं दूंगा. तो इससे हमें लगता है की आप शायद देना चाहते थे लेकिन अमितशाह जी को आपत्ति थी. मैं आपसे विनती करूंगा की आप अमितशाह जी को समझाए." 

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक 2019 के बाद से ही लदाख को 6th Schedule में रखने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए अनशन कर रहे है. 2024 में  उन्होंने अपनी मांगों को लेकर लदाख से दिल्ली पैदल मार्च भी किया था. 

क्या है 6th Schedule?

संविधान का 6th Schedule असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम की आदिवासी समुदायों की संस्कृति और उनकी रक्षा करने के लिए बनाया गया हैं. इसके तहत राज्य Autonomous District Councils (स्वायत्त जिला परिषदें) बना सकते हैं. यानी अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए खुद कानून बनाना. इसके तहत राज्य जमीन, जंगल, पानी, परंपरा, समाज आदि से सम्बंधित कानून बना सकती है और इसमें केंद्र सरकार दखल नहीं देती. संविधान का ये अनुछेद जनजातीय लोगों को उनके अनुसार उनका जीवन जीने और उनकी संस्कृति की रक्षा करने की आजादी देता है. ताकि आदिवासी अपने तरीके से प्रशासन चला सकें. 6th Schedule संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत दिया गया है.

लदाख भी चाहता है की उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी थी जिसकी वजह से लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया गया और लदाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. अब लदाख में केंद्र का ही सीधे शासन चलता है. पहले जहां लदाख के लोग जम्मू कश्मीर का हिस्सा होते हुए जम्मू के स्टेट एग्जाम में बैठ सकते थे वहीं अब वो इन एग्जाम से वंचित है जिसकी वजह से राज्य में बेरोजगारी बढ़ी हैं.  

साथ ही सोनम वांगचुक का कहना है की अगर लदाख को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया तो माइनिंग कंपनियां लदाख के पहाड़ों और घाटियों पर कब्जा कर लेगी. इसलिए वो सरकार से पूर्णराज्य की मांग कर रहे है. इसलिए वो चाहते है की उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए ताकि वो अपने अनुसार अपनी क्षेत्र की रक्षा कर सकें. 

2019 के इलेक्शन में बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टों में लदाख को 6th Schedule का दर्जा देने की बात कही थी लेकिन अब वो इस बात से पीछे हट रहीं हैं. 2024 में भी जब सोनम अपने साथियों के साथ लदाख से पैदल दिल्ली आए थे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. तभी से लदाख के लोग सरकार से अपनी हक की बात कर रहे है लेकिन सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं.