नर्मदा को बेचना नहीं चाहता था- प्रहलाद पटेल, की किताब परिक्रमा का हुआ विमोचन

इंदौर में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत नर्मदा खंड सेवा संस्थान के कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल की लिखी पुस्तक

नर्मदा को बेचना नहीं चाहता था- प्रहलाद पटेल, की किताब परिक्रमा का हुआ विमोचन
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इंदौर में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत नर्मदा खंड सेवा संस्थान के कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल की लिखी पुस्तक ' कृपा सार' का विमोचन किया. मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहे. . इस दौरान प्रहलाद पटेल ने कहा कि मां नर्मदा को मैं बेचना नहीं चहता था. पिछले 30 वर्षों में मुझे दो मौके मिले. 2005 में जब मैंने फिर से यात्रा की और उसके बाद मैं केंद्र में संस्कृति मंत्री बना, तब मेरे मित्रों ने कहा कि इसे अब छपने दो. मेरे पास 72 घंटे की नर्मदा यात्रा और किनारे की वीडियो मौजूद थी.

मंत्री प्रहलाद पटेल ने आगे कहा कि डिस्कवरी चैनल के लोगों ने भी मुझसे इसके बारे में पूछा, तब भी मैंने कहा कि मैं नर्मदा को बेचना नहीं चाहता. नर्मदा हमारी माता है, नदियां हमारी विरासत है, ये हमारा जीवन है, हम संकल्प लेकर जाए। इस पुस्तक का विमोचन सिर्फ विमोचन नहीं है, इसकी एक-एक पाई गौसेवा में लगेगा और परिक्रमा वासी के लिए लगेगा.

नर्मदा की परिक्रमा श्रध्दा का विषय: मोहन भागवत

इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि किताब में मां नर्मदा परिक्रमा के अनुभव का वर्णन है. इसे मैंने मान्य कर लिया है. क्योंकि नर्मदा परिक्रमा बहुत बड़ी श्रध्दा का विषय है. हमारा देश श्रद्धा का देश है. यहां कर्मवीर है भी हैं और तर्कवीर.तर्क और शास्त्रार्थ में हमारा देश कहीं भी पीछे नहीं है. परंतु, हम लोग जानते हैं कि श्रद्धा और विश्वास से जीवन चलता है. जिनकाे जड़वादी कहा जाता है वे भी आजकल इसको मानते हैं. दुनिया श्रद्धा और विश्वास पर चलती है.

हमारी श्रध्दा काल्पनिक नहीं: मोहन भागवत  

वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोगों के मन में आया कि एक कंपनी होना चाहिए है. वे मजिस्ट्रेट ने मान लिया. जबकि जनरल मोटर्स नाम की कंपनी का अस्तित्व है ही. कुछ लोगों ने कह दिया और एक आदमी ने मान लिया. अगर कल कोई घोटाला हो गया तो ये कह सकते हैं कि कंपनी तो मैं नहीं हूं. लेकिन, जनरल मोटर्स नाम की कंपनी साल में एक लाख कारें तैयार करती है. कंपनी इतने लाख लोगों को रोजगार देती है. उसके नाम पर इतने करोड़ों का व्यवहार करते हैं. यह सब क्या है? इसे ही कहते हैं कि दुनिया विश्वास पर चलती है.

भागवत ने आग कहा कि हमारे यहां जो श्रद्धा है. यह कहीं सुनने से नहीं आई है. यह काल्पनिक श्रद्धा नहीं है. जो कोई प्रयास करेगा वो उसे ले सकेगा. ऐसा हम सुनते हैं कि वैज्ञानिक बुद्धि से चलो. लेकिन, वैज्ञानिक बुद्धि क्या है यानी प्रत्यक्ष प्रमाण चाहिए. लेकिन, आज ऐसा कहने वाले लोगों के पास प्रत्यक्ष प्रमाण होगा ऐसा नहीं है.

लेकिन, हमारे भारत की जो श्रद्धा है उस श्रद्धा के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण है. प्रत्यक्ष प्रमाण साझा करने वाले लोग हैं. आपको वो प्रमाण लेना है तो प्रयास और प्रयोग करने होंगे. इसलिए श्रद्धा और विश्वास की भावना को हमारे यहां साकार रूप दिया है. उनको भवानी और शंकर रूप दिया है. भगवान अपने अंदर हैं. बिना श्रद्धा और विश्वास के उसके दर्शन नहीं कर सकते हैं.