रीवा के संजय गांधी अस्पताल में लापरवाही का बड़ा खुलासा, पूरे दिन मौत छिपाने का आरोप — परिजनों में रोष, व्यवस्थाओं पर उठे गंभीर सवाल
रीवा के संजय गांधी अस्पताल, जिसे विंध्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य उम्मीद माना जाता है, वहां एक बार फिर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है.
रीवा के संजय गांधी अस्पताल, जिसे विंध्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य उम्मीद माना जाता है, वहां एक बार फिर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. बुधवार 5 दिसंबर को अस्पताल में एक नवजात की मौत के बाद शुरू हुआ विवाद तब भड़क उठा, जब परिजनों को शक हुआ कि मां की भी मौत हो चुकी है, लेकिन अस्पताल पूरे दिन सच छिपाता रहा.
महिला मृत थी, लेकिन अस्पताल कहता रहा इलाज
परिजनों का कहना है कि अस्पताल ने लगातार झूठ बोलकर उन्हें भ्रमित किया. पूरे दिन बताया जाता रहा कि मरीज वेंटिलेटर पर है, इलाज जारी है, लेकिन खिड़की से मॉनिटर पर पल्स रेट ZERO दिख रहा था.
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के पहुंचने के बाद भी अस्पताल अपनी बात पर अड़ा रहा, लेकिन देर रात महिला की मौत की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई. परिजन इसे “सीधा-सीधा धोखा और मौत छिपाने का प्रयास” बता रहे हैं. सरकारी अस्पताल में भी ब्लड बाहर से लाने का दबाव”. परिजनों का आरोप. परिजनों ने हमारे रिपोर्टर ऋषभ पांडे से बातचीत में बताया कि. महिला सुबह तक पूरी तरह नॉर्मल थी. उसका हीमोग्लोबिन 14% था. ऑपरेशन से पहले डॉक्टरों ने परिजनों को डरा कर कागजों पर साइन करवाए. “मां या बच्चा, एक ही बचेगा.
ऑपरेशन के बाद नवजात की मौत हो गई
महिला का खून बहता रहा, और अस्पताल ने कहा बाहर से ब्लड लाओ. सबसे गंभीर आरोप यह कि सरकारी अस्पताल में ब्लड बैंक होने के बावजूद मरीज को प्राइवेट ब्लड सेंटर भेजा गया, जिसका नंबर और पता डॉक्टर बीनू सिंह ने ही लिखकर दिया. परिजनों ने करीब 30 हजार रुपये खर्च कर ब्लड खरीदा, लेकिन महिला फिर भी नहीं बची.
गायनी विभाग में दो महीने से कलह, चार महिला डॉक्टर दे चुकी हैं इस्तीफा. अस्पताल के अंदरूनी स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, गायनी विभाग में पिछले दो महीनों से गंभीर विवाद चल रहा है. डॉक्टरों के बीच लगातार झगड़े. मनमुटाव.त राजनीति. इन कारणों से विभाग की व्यवस्था चरमराई हुई है और चार वरिष्ठ महिला डॉक्टर इस्तीफा दे चुकी हैं.
अंदरूनी लड़ाई का सीधा असर इलाज पर पड़ रहा है, और इसका खामियाज़ा मरीज भुगत रहे हैं. रीवा का सबसे बड़ा मेडिकल स्कैम” स्थानीय लोगों में आक्रोश. रीवा में लोग पूछ रहे हैं कि जब. दवाइयां बाहर से, टेस्ट बाहर से, और अब ब्लड भी बाहर से, लाना पड़ता है, तो फिर सरकारी अस्पताल का उद्देश्य क्या बचा? लोग इसे “रीवा का सबसे बड़ा मेडिकल घोटाला” बता रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री से जवाब मांग रहे हैं.
मंत्री राजेंद्र शुक्ल पर सवाल
परिजन और स्थानीय लोग सीधे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि यह वही शहर है, जिससे मंत्री आते हैं, लेकिन उनके अपने जिले का सबसे बड़ा अस्पताल लापरवाही का केंद्र बन गया है. हम सरकारी अस्पताल इसलिए आते हैं क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं होते. पर यहां तो उम्मीद नहीं, डर मिलता है. क्या हमारी जान की कोई कीमत नहीं? देखिए वीडियो
shivendra 
