14 दिन, 24 जिले, 50 विधानसभा क्षेत्र: बिहार में वोटर अधिकार यात्रा का क्या है सियासी संदेश

बिहार की राजनीति इन दिनों एक नई करवट ले रही है. आगामी विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच विपक्षी दलों ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की है

14 दिन, 24 जिले, 50 विधानसभा क्षेत्र: बिहार में वोटर अधिकार यात्रा का क्या है सियासी संदेश
image source : google

Bihar Politics News: बिहार की राजनीति इन दिनों एक नई करवट ले रही है. आगामी विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच विपक्षी दलों ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की है. 14 दिनों की इस यात्रा ने बिहार के 24 जिलों और 50 विधानसभा क्षेत्रों में करीब 1300 किलोमीटर की दूरी तय की. तो क्या है राहुल गांधी के वोटर अधिकार यात्रा का सियासी संदेश आएये विस्तार से चर्चा करते हैं

 

क्या है वोटर अधिकार यात्रा?

विपक्षी गठबंधन की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य राज्य के नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों, खासकर मतदान के अधिकार के प्रति जागरूक करना है. साथ ही, यह यात्रा कथित "चुनावी धांधली", EVM की पारदर्शिता, प्रशासनिक दखल और मतदाता सूची में गड़बड़ियों जैसे मुद्दों पर भी जनता को जागरूक कर रही है.

किसका नेतृत्व, किसकी भागीदारी?

 महागठबंधन के नेता इस यात्रा में शामिल हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) यात्रा का केंद्र है और उनके साथ RJD नेता तेजास्वी यादव (Tejasvi Yadav) वामपंथी दल साथ ही अन्य छोटे- छोटे दल इस यात्रा में शामिल हैं. यात्रा नुक्कड़ साभा और संवाद कार्यक्रमों के जरिए नेताओं ने जनता से सीधे संवाद किया. 

क्या है यात्रा का राजनीतिक मकसद?

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यात्रा का सिर्फ लोगों का जागरूक करना ही मकसद नहीं है. बल्की विपक्ष की रणनीतिक चाल भी है. यात्रा का उद्देश्य लोगों के भीतर डर पैदा करना है कि उनके अधिकारों को छिना जा रहा है. और विपक्ष ही इसका असली रक्षक है. साथ ही यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा पर सीधा हमला है, जिन पर "लोकतांत्रिक संस्थाओं के दुरुपयोग और चुनाव प्रणाली में हस्तक्षेप" के आरोप लगाए जा रहे हैं.