केंद्रीय जेल में बंदी की संदिग्ध मौत से सनसनी, परिजनों ने लगाए हत्या के आरोप
मारपीट के मामले में हुई थी सजा,तीन माह से जेल में बंद था कैदी. पहले भी हो चुकी हैं कई रहस्यमयी मौतें, हर बार जांच के नाम पर लीपापोती

रीवा केंद्रीय जेल में बंद एक बंदी की मौत ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। मृतक बंदी की पहचान गंगेव थाना क्षेत्र के रहने वाले राजकुमार साकेत उम्र 32 के रूप में हुई है, जो बीते तीन माह से अपने भाई रामजी साकेत के साथ मारपीट के एक मामले में न्यायिक हिरासत में था। बुधवार सुबह उसकी मौत की खबर मिलते ही परिजन सदमे में आ गए और उन्होंने जेल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे सोची-समझी साजिश के तहत की गई हत्या करार दिया है। मृतक के पिता राम सजीवन साकेत और मां शांति साकेत का कहना है कि उन्होंने एक दिन पूर्व ही जेल जाकर अपने दोनों बेटों से मुलाकात की थी। उस दौरान राजकुमार पूरी तरह स्वस्थ था और बातचीत के दौरान उसने किसी भी प्रकार की तबीयत बिगडऩे की शिकायत नहीं की थी। परिजनों ने बताया कि बुधवार सुबह करीब 6 बजे उन्हें जेल से फोन पर सूचना दी गई कि राजकुमार की तबीयत बिगड़ गई है और तत्काल जेल पहुंचने को कहा गया। जब वे पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि राजकुमार की मौत हो चुकी है।
राजकुमार के परिजनों का आरोप है कि यह सामान्य मौत नहीं बल्कि एक पूर्व विवाद की परिणति है, जिसमें राजकुमार और उसके भाई को झूठे मुकदमे में फंसाया गया था। परिजनों का कहना है कि जिन लोगों से उनके बेटों का विवाद हुआ था, उनके करीबी रिश्तेदार जेल में कर्मचारी के रूप में तैनात हैं और उसी के माध्यम से साजिशन यह घटना अंजाम दी गई है। परिजनों ने दावा किया कि जेल के भीतर ही राजकुमार के साथ मारपीट की गई, जिसके चलते उसकी मौत हुई। वही पूरे मामले में जेल प्रशासन ने परिजनों के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। जेल अधीक्षक ने कहा है कि बंदी की मौत प्राकृतिक कारणों से प्रतीत होती है, हालांकि मृत्यु के वास्तविक कारणों की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही की जा सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि परिजनों की शिकायत पर मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
परिवार ने की न्यायिक जांच की मांग
राजकुमार के परिजनों ने जेल में बंद उनके दूसरे बेटे रामजी साकेत की सुरक्षा को लेकर भी गहरी चिंता जताई है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि रामजी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और मामले की न्यायिक जांच कराकर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो वे धरना प्रदर्शन और आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
पहले भी हो चुकी हैं कई रहस्यमयी मौतें
रीवा जेल की यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते वर्षों में कई कैदी संदिग्ध परिस्थितियों में दम तोड़ चुके हैं। हर बार प्रशासन एक जैसे बयान देता है मामले की जांच की जाएगी। लेकिन आज तक किसी भी मामले में न कोई दोषी सामने आया, न किसी को सजा मिली। सूत्रों की माने तो जेल में सुरक्षा मानकों में अनियमितता, बंदियों के बीच आपसी रंजिश, और जेल कर्मियों की भूमिका को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। बावजूद इसके, प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही अब भी नदारद है।