सिरमौर जनपद पंचायत में सियासी भूचाल: अध्यक्ष रवीना साकेत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
रीवा जिले की सिरमौर जनपद पंचायत में भारी सियासी हलचल मची हुई है। जनपद अध्यक्ष रवीना साकेत के खिलाफ 25 में से 19 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। आरोप है कि उनके कार्यकाल में विकास कार्य ठप रहे और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की गई। सदस्यों ने उन्हें अपमानित करने और योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही के आरोप भी लगाए हैं। रवीना साकेत भाजपा समर्थित मानी जाती हैं, लेकिन अब उनके ही समर्थन वाले कई सदस्य उनके विरोध में आ गए हैं।
रीवा । जिले के सिरमौर जनपद पंचायत इन दिनों जबर्दस्त सियासी उठापटक का केंद्र बन गया है। जनपद अध्यक्ष रवीना साकेत के खिलाफ बुधवार को जनपद के 25 में से 19 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया, जिससे पंचायत की सत्ता समीकरणों में जबरदस्त बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं।
कलेक्टर कार्यालय में एक साथ पहुंचे इन जनपद सदस्यों ने बाकायदा ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि अध्यक्ष को हटाने की कार्यवाही तत्काल प्रभाव से प्रारंभ की जाए। जनपद सदस्यों ने आरोप लगाए हैं कि अध्यक्ष के कार्यकाल में विकास कार्य लगभग ठप पड़ा रहा। न तो क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान हुआ और न ही योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन।

सदस्यों का आरोप है कि जनपद अध्यक्ष ने न तो जनप्रतिनिधियों की बात सुनी और न ही क्षेत्र के हित में कोई ठोस पहल की। जनपद सदस्य रामलाल कोल ने दो टूक कहा, हमने भरोसे के साथ उन्हें अध्यक्ष बनाया था, लेकिन जनता के सामने आज हम शर्मिंदा हैं। न फंड मिला, न कोई काम हुआ।
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले कई सदस्यों ने शिकायत की कि अध्यक्ष ने न केवल उनकी उपेक्षा की, बल्कि कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन्हें अपमानित भी किया। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के आयोजन के दौरान उन्हें मंच तक पर बैठने की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि जनपद सदस्यों का चुनाव दलीय आधार पर नहीं होता, लेकिन रवीना साकेत को भाजपा समर्थित माना जाता रहा है।
अब उन्हीं के खिलाफ पार्टी से जुड़े कई सदस्यों का खड़ा हो जाना भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर गया है। सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह की राजनीतिक प्रतिष्ठा भी इस घटनाक्रम में दांव पर लग गई है। विधायक ने कई नाराज़ सदस्यों से व्यक्तिगत संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।

कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर तीखा व्यंग्य करते हुए भाजपा के भीतर की गुटबाज़ी को उजागर करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं ने इसे दिव्यराज सिंह और पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी के बीच वर्चस्व की जंग करार दिया है।
भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप
जनपद अध्यक्ष पर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सदस्यों का कहना है कि प्रत्येक काम में 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की जाती है। जनपद निधि के वितरण में भारी भेदभाव होता है, और आय-व्यय का कोई स्पष्ट हिसाब तक नहीं दिया जा रहा। क्षेत्रीय दौरे न के बराबर हुए और लॉगबुक में फर्जी एंट्री तक दर्ज की गई हैं।

अविश्वास प्रस्ताव देने वालों में ये रहे शामिल
बताया गया है कि अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन सिरमौर जनपद के 19 सदस्यों ने दिया है। दोपहर 1 बजे कलेक्टर को सौंपे गए आवेदन में मिश्रीलाल तिवारी जनपद उपाध्यक्ष, मुन्नी दाहिया, निशा सिंह, राजेंद्र सिंह,सरोज आदिवासी, शांति नारायण पांडेय, रामलाल कोल, सियाशरण आदिवासी, श्यामकली साकेत, तेजा साहू, सावित्री साकेत, प्रतिभा सिंह, राधे केवट, शैलेंद्र शुक्ला, सविता केवट, सारथी सिंह, अभिषेक त्रिपाठी बृजमोहन सिंह, एवं रामकली सोधिया के हस्ताक्षर मौजूद हैं। इस दौरान करीब 1 दर्जन सदस्य भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

कुर्सी की दौड़ में तीन नए चेहरे
रवीना साकेत की कुर्सी पर संकट गहराने के साथ ही अब तीन नए नाम भी दावेदार के रूप में सामने आ गए हैं। अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित इस पद के लिए मुन्नी साकेत, सावित्री साकेत और श्यामकली साकेत ने खुलकर सामने आकर दावा किया है कि यदि उन्हें अवसर मिला तो वे जनहित में पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन सुनिश्चित करेंगी।
क्या कहता है पंचायत एक्ट?
मप्र पंचायत राज अधिनियम के तहत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कुल सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है। 25 सदस्यों वाली जनपद पंचायत में 19 का प्रस्ताव अध्यक्ष के लिए खतरे की घंटी है।
Saba Rasool 
