CG News: पाकिस्तान से जमीन बेचकर छत्तीसगढ़ रहने आए हिंदू, सरकार से न भेजने की कर रहे अपील
छत्तीसगढ़ में पाकिस्तान से आए 24 हिंदू लोगों का एक ग्रुप पहुंचा है, जो भारत में शरण मांग रहा है। ये लोग 45 दिन के विजिटर वीजा पर आए हैं और गृहमंत्री विजय शर्मा से मिलकर वापस न भेजे जाने की गुजारिश की है। सरकार ने इन्हें 'पाकिस्तान पीड़ित' मानते हुए केंद्र से बात करने का आश्वासन दिया है। इस बीच, राज्य में पाकिस्तान से आए लोगों की जांच शुरू कर दी गई है, खासकर सार्क वीजा धारकों की पहचान की जा रही है।

RAIPUR. हाल ही में सिंध, पाकिस्तान से 24 लोगों का एक ग्रुप रायपुर पहुंचा है। ये सभी खुद को हिंदू बता रहे हैं और भारत में रहने की अनुमति मांग रहे हैं। यह ऐसे समय हुआ है जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तानियों को वापस भेजने की कार्रवाई चल रही है।
गृहमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात
इन लोगों ने 25 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात की। इन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान नहीं लौटना चाहते। मंत्री विजय शर्मा ने इस बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया है।
कौन हैं ये लोग?
ग्रुप के प्रतिनिधि सुखदेव लुंद सिंध के घोटकी जिले से हैं। वे 45 दिन के विजिटर वीजा पर रायपुर आए हैं, अपने परिवार के साथ। उनके अलावा रवि लुंद, निर्भय बत्रा, रोशन लाल और महेंद्र लाल भी अपने परिजनों के साथ आए हैं। पहले से भी लगभग 100 लोग रायपुर में रह रहे हैं।
सरकार का रुख
'पाकिस्तान पीड़ित' के तौर पर देखे जाएंगे। गृहमंत्री विजय शर्मा ने भरोसा दिलाया कि इन लोगों को आम पाकिस्तानी नहीं बल्कि 'पाकिस्तान पीड़ित' मानकर प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार केंद्र से बात कर रही है ताकि इन्हें वापस न जाना पड़े।
पाकिस्तान से आए लोगों की जांच शुरू
छत्तीसगढ़ में करीब 2000 पाकिस्तानी मूल के लोग रह रहे हैं, जिनमें से 1800 रायपुर में हैं। इनमें से ज्यादातर सिंधी समुदाय से हैं। पुलिस अब इन सभी के वीजा और दस्तावेजों की जांच कर रही है।
सार्क वीजा धारकों पर फोकस
खासकर सार्क वीजा से आए लोगों की पहचान की जा रही है। केंद्र सरकार ने फिलहाल सिर्फ सार्क वीजा वालों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है।
क्या होता है सार्क वीजा?
सार्क वीजा 1992 में शुरू हुआ था ताकि सार्क देशों के नागरिकों को एक-दूसरे देशों में आसानी से यात्रा करने की सुविधा मिल सके। सार्क देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। लेकिन अब, पहलगाम हमले के बाद, इस सुविधा पर रोक लगा दी गई है।