देश ने 7 साल बाद देखा साल का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण 82 मिनट तक ब्लड मून रहा
देश ने 7 साल बाद देखा साल का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण 82 मिनट तक ब्लड मून रहा 3 घंटे 28 मिनट तक चला
भारत समेत दुनिया के कई देशों ने रविवार रात खुली आंखों से पूर्ण चंद्रग्रहण देखा। रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू हुआ और करीब 3 घंटे 27 मिनट तक रहा। करीब 82 मिनट बाद देर रात 12 बजकर 22 मिनट के बाद पृथ्वी की छाया चांद से दूर हटी और चंद्रमा अपनी दूधिया रोशनी में चमकने लगा 27 जुलाई, 2018 के बाद यह पहली बार था जब ग्रहण को देश के सभी हिस्सों से देखा गया। भारत में तमिलनाडु से चंद्रग्रहण की शुरूआत हुई
चंद्रग्रहण की कुछ तस्वीरें फोटो के माध्यम से देखिए








जानते हैं चंद्रग्रहण क्या है और क्यों होता है
पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह गुरुत्वाकर्षण बल यानी ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। सूर्य के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने से चंद्रग्रहण होता है। चंद्रग्रहण की घटना तभी होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हों, खगोलीय विज्ञान के अनुसार ये केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव होता है। इसी वजह से चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन होते हैं।

3 तरह के होते हैं चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण आम तौर पर 3 तरह के होते हैं। इन्हें पूर्ण, आंशिक और उपछाया चंद्रग्रहण कहा जाता है। इनमें से हर तरह के ग्रहण के लिए अलग खगोलीय स्थिति जिम्मेदार है।
पूर्ण चंद्रग्रहण: पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसके कारण पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को ढंक लेती है, जिससे चंद्रमा पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है।
आंशिक चंद्रग्रहण : जब पृथ्वी की परछाई चंद्रमा के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके, तब आंशिक चंद्रग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा के एक छोटे हिस्से पर ही अंधेरा होता है।
उपछाया चंद्रग्रहण : उपछाया चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के बाहरी भाग पर पड़ती है। इस तरह के चंद्रग्रहण को देखना मुश्किल होता है।

