राहुल गांधी के बिहार दौरे की सियासत: क्या कांग्रेस बढ़ा पाएगी अपनी हिस्सेदारी?

राहुल गांधी इन दिनों बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं. यूं तो राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव भी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं

राहुल गांधी के बिहार दौरे की सियासत: क्या कांग्रेस बढ़ा पाएगी अपनी हिस्सेदारी?
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Rahul Gandhi voter rights yatra Bihar: राहुल गांधी इन दिनों बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं. यूं तो राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव भी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. लेकिन चर्चा राहुल की ज्यादा हो रही है. राहुल गांधी का बाइक अवतार हो या मखाना किसानों के साथ बातचीत. यात्रा को भारी जनसमर्थन भी मिल रहा है. लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि 1990 के बाद पहली बार कांग्रेस की रैलियों में इतनी भीड़ हो रही है. पर क्या इस आधार पर कांग्रेस 2020 के मुकाबले महागठबंधन में अपनी सीट शेयरिंग बढ़ा सकेगी? राहुल गांधी की जो खचाबर भर रील रोज कट रही हैं,, उनका जमीन पर कितना असर होगा? उनके वीडियोस पर जो लाखों व्यूज आ रहे हैं.  उनमें से कितने वोट की शक्ल ले पाएंगे? और एक यक्ष प्रश्न क्या राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार में महागठबंधन के लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बनाएगी तो आइये विस्तार से चर्चा करते हैं. नमस्कार मैं शिवेंद्र पाब्लिक वाणी में आपका बहुत स्वागत करता हूं.

दरअसल, राहुल गांधी बिहार में वोटर लिस्ट को पवित्र करने के लिए यात्रा कर रहे हैं. उनके साथ तेजस्वी यादव, मुकेश साहनी जैसे कई महागठबधंन के नेता साथ चल रहे हैं. कांग्रेस और महागठबंधन की तमाम पार्टियों का आरोप है कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव आयोग SIR करा रहा है. राहुल की इस यात्रा में हुमचा भीड़ देखने को मिल रही है. आरोप तो पूछिए मत सीधा बीजेपी पर वोट चोरी का लगा रहे हैं. बीच-बीच में महागठबंधन की रणनीति भी झलकती है. तेजस्वी कह रहे हैं कि राहुल गांधी का चेहरा देखकर वोट दीजिए.लेकिन जब राहुल गांधी से पूछा जाता है कि अगर आपकी सरकार बनती है तो क्या मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बनेंगे? कांग्रेस यह स्पष्ट क्यों नहीं करती? तो राहुल गांधी चुप्पी साध लेते हैं. 

राहुल गांधी की इस चुप्पी के पीछे कारण हैं. बिहार की राजनीति के जानकार कहते हैं कि राहुल यह घाघ राजनीति सीख गए हैं.  महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है. लेकिन जो गैर यादव समाज, ओबीसी जो आरजेड़ी को वोट नहीं करती. लेकिन कांग्रेस को कर सकती हैं. वो तेजस्वी के नाम पर छिटक सकती हैं. अब अगर आप बिहार में जातीय गणित देखेंगे तो यह बात और स्पष्ट हो जाएगी. । 2023 में बिहार में जाति सर्वे हुआ था। जिसके आंकड़े बताते हैं कि सूबे में अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी की आबादी 36.01% है। अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी 27.12% है। जिसमें 14.26% यादव हैं। यानी गैर यादव, ओबीसी आबादी करीब 13% है। सवर्ण है 15.52%, एससी एसटी का हिस्सा लगभग 21% है। तो इन आंकड़ों के तहत यह रणनीति ठीक लगती है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा जो आरजेडी के जंगल राज वाली छवि से खुद को किनारा किए रहता है उसे कांग्रेस के जरिए महागठबंधन से जोड़ा जाए. लेकिन साहब बात यह है कि राधा तब नाचेंगी जब नौ मन तेल होगा. माने सीएम बनने के लिए. जो कपार में विधान सभा का चुनाव है. उसको जीतना ही न होगा. और सब से बड़ी बात राहुल गांधी को ध्यान ये भी रखना होगा कि तेजस्वी यादव यात्रा में लोनलिनेश न फिल न करें. बाकि आपके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. आप लोग तो सब जनबे ना करते हैं.