SGMH रीवा में गंभीर हालत में तड़पता रहा मासूम, भटकते रहे परिजन, डॉक्टर नदारद

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का शर्मनाक मामला सामने आया है। यूपी के महोबा निवासी 13 वर्षीय मनीष साहू को बिजली गिरने से झुलसने के बाद गंभीर हालत में भर्ती किया गया, लेकिन दो घंटे तक डॉक्टरों ने इलाज शुरू नहीं किया। अंततः सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद ही बच्चे को वेंटिलेटर सपोर्ट पर भर्ती किया गया।

SGMH रीवा में गंभीर हालत में तड़पता रहा मासूम, भटकते रहे परिजन, डॉक्टर नदारद

रीवा। संजय गांधी अस्पताल एक बार फिर अव्यवस्थाओं और असंवेदनशीलता के कारण सुर्खियों में है। बीते दिवस एक 13 वर्षीय मासूम को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया, लेकिन चिकित्सकीय टीम की लापरवाही के कारण उसे करीब दो घंटे तक इलाज नहीं मिल सका।

अस्पताल परिसर में इधर-उधर भटकते परिजनों की गुहार तब तक अनसुनी रही, जब तक मामला सीएम हेल्पलाइन तक नहीं पहुंचा। पीड़ित बालक, मनीष साहू, उत्तर प्रदेश के महोबा जिले का निवासी है। जानकारी के अनुसार, 30 अगस्त को उसके घर के पास बिजली गिरने से वह झुलस गया था।

प्राथमिक इलाज यूपी के बांदा अस्पताल में हुआ, जहां से कुछ दिनों बाद छुट्टी मिलने के बाद वह अपने ननिहाल पन्ना आया था। लेकिन 3 अक्टूबर को उसकी तबीयत फिर बिगड़ गई, जिसके बाद उसे पन्ना जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे तुरंत रीवा रेफर कर दिया गया।

रीवा पहुंचने पर परिजनों को उम्मीद थी कि बड़े अस्पताल में बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन यहां उन्हें दो घंटे तक सिर्फ निराशा हाथ लगी। स्ट्रेचर पर लेटे बच्चे को सबसे पहले बर्न यूनिट भेजा गया, जहां भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। फिर कैजुअल्टी में भेजा गया, लेकिन वहां भी प्रवेश नहीं मिला।

नतीजतन, परिजन अस्पताल की बरामदगी में ही मदद की गुहार लगाते रहे। समय पर इलाज न मिलने से बच्चे की तबीयत और बिगड़ती रही। ग्लुकोज की बॉटल चढ़ाए बच्चे को स्ट्रेचर पर लिटाकर परिजन डॉक्टरो से इलाज की मिन्नतें करते रहे, लेकिन धरती के भगवान कहे जाने वालों का दिल नहीं पसीजा।

परेशान परिजनों ने सीएम हेल्पलाइन में फोन किया, तब अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को GMH के बच्चा वार्ड में भर्ती किया, जहां उसको वेंटिलेटर पर रखा गया है। बच्चे की हालत अब स्थिर बताई जा रही है परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते इलाज शुरू हो जाता, तो बच्चे की हालत इतनी गंभीर न होती। 

वरिष्ठ डॉक्टर नदारद, इलाज जूनियर स्टाफ के भरोसे

यह कोई पहला मामला नहीं है जब रीवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही का ऐसा चेहरा सामने आया हो। अस्पताल की कैजुअल्टी में नियम के अनुसार वरिष्ठ डॉक्टरों की मौजूदगी अनिवार्य है, मगर अक्सर यह जिम्मेदारी इंटर्न और जूनियर डॉक्टरों के हवाले छोड़ दी जाती है।

अनुभव की कमी के कारण सही विभाग तय करने में भी समय लगता है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।