भारत पर ट्रंप के बयान आपत्तिजनक, मोदी सरकार को चुप्पी तोड़नी चाहिए: अजय खरे

समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक और लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को लेकर की गई टिप्पणियों को "बेहद आपत्तिजनक" बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को इस पर चुप्पी साधने के बजाय स्पष्ट प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

भारत पर ट्रंप के बयान आपत्तिजनक, मोदी सरकार को चुप्पी तोड़नी चाहिए: अजय खरे

समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा भारत के बारे में की जा रही ऊलजलूल बयानबाजी बेहद आपत्तिजनक है। इसे लेकर मोदी सरकार को चुप्पी साधने की जगह अपना रवैया स्पष्ट करना चाहिए।

श्री खरे ने कहा कि अभी साल भर नहीं हुआ अमेरिका के द्वारा वहां अवैध तरीके से रहने वाले भारतीय प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर जिस तरीके से भारत वापस लाया गया वह अत्यंत बर्बर अपमानजनक बात थी। लेकिन इसका प्रतिकार मोदी सरकार के द्वारा नहीं किया गया।  

इधर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का दावा लगातार किया जा रहा है। इस तरह की बात विभिन्न मंचों से वह कई बार कह चुके हैं। मोदी सरकार के द्वारा ट्रंप का नाम लेकर अभी तक इस बात का खंडन नहीं किया गया है।

श्री खरे ने कहा कि यदि अमेरिका के कहने पर सीजफायर नहीं हुआ तो इसका प्रतिवाद करना बेहद जरूरी है। जब मोदी सरकार के दावे के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान की ओर बढ़त बना ली थी तो उसे पाक अधिकृत कश्मीर लिए बिना सीजफायर नहीं करना था। श्री खरे ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को मरी हुई बताकर पूरे देश को अपमानित किया है।

यह बात बेहद आपत्तिजनक है। एक तरफ मोदी सरकार यह दावा कर रही है कि भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है, ऐसी स्थिति में डोनाल्ड ट्रंप का कथन देश की आर्थिक व्यवस्था का सरासर मजाक उड़ाना है। श्री खरे ने कहा कि मोदी सरकार के तीसरी अर्थव्यवस्था के आंकड़े अतिशयोक्तिपूर्ण हो सकते हैं लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था मरी नहीं है।

श्री खरे ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। भारत के किसान खराब से खराब समय में भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आते हैं। भारत के किसानों ने कोरोना काल के खराब समय में भी कड़ी मेहनत करके कृषि उत्पादन को मजबूती प्रदान की थी जिसके चलते अर्थ व्यवस्था गतिशील रही। भारत के किसानों की खेती का सही मूल्यांकन होने लगे तो देश फिर सोने की चिड़िया की पहचान बना सकता है।