डॉलर के सामने लड़खड़ाया रुपया: पहली बार 90 के पार, डॉलर के मुकाबले अब तक का सबसे निचला स्तर

रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा। 3 दिसंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे गिरकर 90.21 के स्तर पर बंद हुआ। रुपया 2025 में अब तक 5.26% कमजोर हो चुका है।

डॉलर के सामने लड़खड़ाया रुपया: पहली बार 90 के पार, डॉलर के मुकाबले अब तक का सबसे निचला स्तर
Indian Rupee All Time Low

भारतीय रुपए ने 3 दिसंबर 2025 को इतिहास का सबसे निचला स्तर छू लिया। मंगलवार को बंद भाव 89.96 रुपए था, लेकिन बुधवार को रुपया 25 पैसे गिरकर 90.21 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह पहली बार है जब रुपए ने 90 का स्तर तोड़ा है। लगातार विदेशी फंड्स की निकासी, अमेरिकी नीतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं ने रुपए पर भारी दबाव बनाया है। इस साल 1 जनवरी को डॉलर के मुकाबले रुपए का भाव 85.70 था। यानी 2025 में अब तक रुपया 5.26% कमजोर हो चुका है।

इम्पोर्ट महंगा, विदेश में पढ़ाई-घूमना भी खर्चीला

रुपए की गिरावट का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ता है, क्योंकि भारत का बड़ा हिस्सा इम्पोर्ट पर निर्भर है। जब डॉलर की कीमत बढ़ती है, तो वही सामान भारत में महंगा पड़ता है जिसे बाहर से खरीदा जाता है। इसमें कच्चा तेल, गैस, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, दवाइयां और मशीनरी शामिल हैं। विदेश में पढ़ाई और पर्यटन भी महंगे हो जाते हैं। पहले किसी छात्र को 1 डॉलर के लिए 50 रुपए देने पड़ते थे, अब उसी के लिए 90.21 रुपए खर्च करने होंगे। इससे ट्यूशन फीस, रहना-खाना, टिकट और अन्य खर्च काफी बढ़ जाएंगे।

जानें रुपए में गिरावट की बड़ी वजहें क्या है?

  1. ट्रंप का 50% टैरिफ फैसला :-

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयातित उत्पादों पर 50% टैरिफ लगा दिया है। इस फैसले से भारत की जीडीपी ग्रोथ में 60–80 बेसिस पॉइंट्स तक गिरावट आ सकती है। फिस्कल डेफिसिट बढ़ने का खतरा है और भारत का निर्यात कम हो सकता है। निर्यात घटने पर देश में डॉलर की आमद कम होती है, जिससे रुपया कमजोर हो जाता है।

  1. विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड बिकवाली :-

जुलाई 2025 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारत में 1.03 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं। ट्रेड टैरिफ को लेकर डर और ग्लोबल अनिश्चितता की वजह से निवेशक अपने पैसे निकाल रहे हैं। वे भारतीय एसेट बेचकर डॉलर खरीदते हैं, जिससे डॉलर की मांग बढ़ती है और रुपया गिरता है।

  1. तेल-सोना कंपनियों द्वारा डॉलर की खरीद:-

क्रूड ऑयल और गोल्ड इम्पोर्टर कंपनियां हेजिंग के लिए बड़े पैमाने पर डॉलर की खरीद कर रही हैं। साथ ही अन्य आयातक भी भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए डॉलर स्टॉक कर रहे हैं। डॉलर की बढ़ती मांग ने रुपए को और कमजोर कर दिया है।

कैसे तय होती है किसी करेंसी की कीमत?

किसी मुद्रा की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। अगर भारत का फॉरेन रिजर्व कम होता है, तो रुपए का मूल्य गिर जाता है। रिजर्व बढ़ता है तो रुपया मजबूत होता है। जब किसी देश की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर होती है, तो उसे मुद्रा का गिरना या डिप्रिसिएशन कहा जाता है।