पपीते के पत्ते को न समझें फालतू, डेंगू के अलावा इन बीमारियों में भी आता है काम, जानें
पपीते के पत्तों का रस केवल डेंगू नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों में भी शरीर को अंदर से ठीक करता है। जानें कैसे यह प्राकृतिक औषधि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर किडनी, लीवर और खून की कमी तक में कमाल दिखाती है।
बरसात के मौसम में जब डेंगू का डर हर घर के दरवाज़े पर दस्तक देने लगता है, तब लोग घरेलू नुस्खों की ओर भागते हैं। इसी दौरान पपीते के पत्तों का रस एक चमत्कारी इलाज की तरह चर्चा में आता है, क्योंकि यह प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए मशहूर है। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। हाल ही में हमने ऐसे कई मामलों से बात की, जहां लोगों ने न सिर्फ डेंगू, बल्कि मलेरिया, लीवर की कमजोरी, पाचन की दिक्कतों और शुगर कंट्रोल में भी पपीते के पत्तों के रस से शानदार फायदे पाए। यह केवल एक घरेलू उपाय नहीं, बल्कि प्रकृति की वह औषधि है जिसे हम वर्षों से नजरअंदाज करते आए हैं।
पपीते के पत्तों का रस क्यों माना जाता है प्राकृतिक इलाज?
पपीता एक सुपरफूड है, लेकिन उसके पत्तों के गुण अक्सर बताए नहीं जाते। शोधकर्ताओं के अनुसार पपीते के पत्तों में पाया जाने वाला एंजाइम पपेन, कैरपासोल, फ्लेवोनॉयड्स, विटामिन C और अल्कलॉइड्स शरीर में सूजन रोकते हैं, खून को शुद्ध करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को तेज़ी से बढ़ाते हैं। हमने विशेषज्ञों से बात की और पाया कि पपीते के पत्तों का रस कई गंभीर बीमारियों में प्राकृतिक सपोर्टिव ट्रीटमेंट के रूप में बेहद प्रभावी माना जा रहा है।
डेंगू में प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ाता है पपीता पत्तों का रस
डेंगू में सबसे बड़ा खतरा होता है प्लेटलेट काउंट का अचानक गिरना। पपीते के पत्तों में मौजूद एंजाइम शरीर की बोन मैरो को सक्रिय करता है, जिससे प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए डॉक्टर भी इसे सपोर्टिव ट्रीटमेंट के रूप में सलाह देते हैं।
कैसे करें उपयोग
- 2–3 पत्ते लेकर अच्छे से धोएं
- मिक्सर में पीसकर रस निकालें
- दिन में दो बार 20–25 ml सेवन करें
- यह शरीर में खून की क्वालिटी और क्षमता दोनों को बेहतर बनाता है।
मलेरिया के बुखार में तेज़ राहत
मलेरिया में शरीर बहुत कमजोर हो जाता है और खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता घटती जाती है। पपीता पत्तों का रस एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-मलेरियल गुणों से भरपूर है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह न सिर्फ बुखार कम करता है, बल्कि शरीर की टूटन और कमजोरी दूर करने में भी सहायक है।
नियमित सेवन
दिन में 1 बार 20 ml
1 सप्ताह तक जारी रखें
लीवर डिटॉक्स में रामबाण
आजकल गलत खानपान, तैलीय भोजन और दवाओं के प्रभाव से लीवर पर सबसे बड़ा असर पड़ता है। पपीते के पत्तों का रस लीवर सेल्स को रिपेयर करता है, विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और लीवर एंजाइम को संतुलित करता है। विशेष रूप से फैटी लिवर, शराब के कारण कमजोर हुआ लीवर, हेपेटाइटिस जैसी स्थितियों में यह प्राकृतिक सपोर्ट प्रदान करता है।
4. पाचन तंत्र को मजबूत करता है
पपीते के पत्तों में पपेन एंजाइम होता है जो भोजन को तेजी से तोड़ता है और पेट की सूजन कम करता है। यह पाचन को दुरुस्त रखने में बेहद उपयोगी माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें हमेशा गैस, कब्ज या एसिडिटी की समस्या रहती है।
5. शुगर और इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है
डायबिटीज़ के मरीजों में पपीते के पत्तों का रस इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद करता है। इससे ब्लड शुगर धीरे-धीरे कम होता है और स्पाइक नहीं आता।
हालांकि, डायबिटीज़ मरीजों को इसे डॉक्टर की सलाह लेकर ही लेना चाहिए।
पपीते के पत्तों में मौजूद औषधीय तत्व शरीर को कैसे लाभ पहुंचाते हैं?
- सूजन रोकते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।
- कैंसर सेल्स से लड़ने में सहायक माना जाता है।
- डेंगू और वायरल बुखार में तेजी से असर दिखाते हैं।
- पाचन को प्राकृतिक रूप से मजबूत करता है।
पपीते के पत्तों का रस कैसे तैयार करें?
- 3–4 कच्चे पत्ते लें
- अच्छी तरह पानी से धो लें
- सफेद रेशे हटाकर छोटे टुकड़ों में काटें
- मिक्सर में थोड़ा पानी डालकर पीसें
- छलनी की मदद से रस निकाल लें
- 20–25 ml प्रति खुराक पर्याप्त है
- इसे खाली पेट लेना सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।
किन लोगों को पपीते के पत्तों का रस नहीं लेना चाहिए?
- गर्भवती महिलाएं
- दूध पिलाने वाली महिलाएं
- लो BP वाले मरीज
- एलर्जी के इतिहास वाले मरीज
- जो लोग खून पतला करने की दवा लेते हैं
- ऐसे लोग डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें।
shivendra 
