मध्यप्रदेश की 5 प्राचीन शिल्पकलाओं को मिला GI टैग, कारीगरों को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान और रोजगार

मध्य प्रदेश की 5 प्राचीन शिल्प कलाओं को जीआई टैग मिला है। जिसमें खजुराहो स्टोन क्राफ्ट, छतरपुर के फर्नीचर, बैतूल भरेवा मेटल क्राफ्ट, ग्वालियर का स्टोन क्राफ्ट और ग्वालियर पेपर मेशी शामिल है।

मध्यप्रदेश की 5 प्राचीन शिल्पकलाओं को मिला GI टैग, कारीगरों को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान और रोजगार
MP Traditional Art Crafts GI Tag

मध्यप्रदेश की पारंपरिक और प्राचीन शिल्पकलाओं को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। प्रदेश की 5 अनोखी कलाओं को अब जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग प्राप्त हुआ है। इस टैग के मिलते ही इन कलाओं की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी। साथ ही इन उत्पादों से जुड़े कारीगरों को रोजगार के नए मौके भी मिलेंगे।

इन 5 कलाओं को मिला GI टैग

जिन पांच कलाओं को यह सम्मान मिला है, उनमें खजुराहो स्टोन क्राफ्ट, ग्वालियर स्टोन क्राफ्ट, ग्वालियर पेपर मेशी, बैतूल भरेवा मेटल क्राफ्ट और छतरपुर फर्नीचर शामिल हैं। ग्वालियर के स्टोन क्राफ्ट और पेपर मेशी जैसी कलाओं को तो लंबे समय से इस मान्यता का इंतजार था।

GI टैग मिलने से इन उत्पादों की मौलिकता सुरक्षित हो जाती है और इनके डुप्लीकेट या नकली उत्पादों पर रोक लगाई जा सकती है। साथ ही इन शिल्प उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा स्थानीय कारीगरों को न केवल सम्मान मिलता है बल्कि उनके लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी बनते हैं।

बता दें, नवंबर महीने में पन्ना के डायमंड को भी GI टैग मिला है और लगभग 25 अन्य उत्पादों की GI प्रक्रिया अंतिम चरण में है। आने वाले समय में इन उत्पादों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की उम्मीद है। यह केवल एक टैग नहीं, बल्कि उन कारीगरों की सदियों पुरानी मेहनत, कौशल और परंपरा को दुनिया तक पहुँचाने का माध्यम है, जिन्होंने अपनी कला से प्रदेश का नाम रोशन किया है।

सरकार ने उपलब्धि पर जताई खुशी

प्रदेश सरकार और विभिन्न संस्थाओं ने इन कलाओं को GI टैग दिलाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लगभग एक वर्ष पहले इन सभी शिल्पों के लिए आवेदन तैयार कर GI रजिस्ट्री को भेजा गया था। इस प्रक्रिया में एमएसएमई विभाग मध्यप्रदेश, नाबार्ड, सिडबी, और स्थानीय शिल्पकारों की संस्थाओं ने मिलकर काम किया। तकनीकी मार्गदर्शन पद्मश्री डॉ. रजनीकांत, जिन्हें 'GI मैन ऑफ इंडिया' के नाम से जाना जाता है, ने किया। उनके सहयोग से सभी आवेदन सफलतापूर्वक पंजीकृत हो सके।

सरकार की ओर से भी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताई गई। एमएसएमई मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप ने कहा कि यह मध्यप्रदेश की विरासत के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए इसे प्रदेश के कलाकारों के लिए बड़ा सम्मान बताया। वहीं मुख्यमंत्री ने भी कहा कि GI टैग मिलने से मध्यप्रदेश की कला, संस्कृति और शिल्प को विश्व पटल पर नई पहचान मिलेगी। उन्होंने शिल्पकारों की प्रतिभा और मेहनत की सराहना करते हुए सभी को शुभकामनाएं दीं।