जीवन-परिवर्तनकारी काइफोप्लास्टी से कैंसर रोगी को मिली तत्काल राहत, एम्स भोपाल की बड़ी उपलब्धि
एम्स भोपाल ने कैंसर की वजह से रीढ़ की हड्डी में आई गंभीर समस्या से जूझ रहे एक मरीज का जटिल काइफोप्लास्टी ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया.
एम्स भोपाल ने कैंसर की वजह से रीढ़ की हड्डी में आई गंभीर समस्या से जूझ रहे एक मरीज का जटिल काइफोप्लास्टी ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया. इस प्रक्रिया के बाद मरीज को दर्द से तुरंत राहत मिल गई. जबकि उसे पहले मॉर्फिन की ठीक-ठाक डोज देने पर भी आराम नहीं मिल रहा था.
क्या किया गया?
मरीज की रीढ़ की D5 हड्डी कैंसर की वजह से धंस गई थी, एनेस्थीसिया विभाग की टीम ने स्थानीय बेहोशी में काइफोप्लास्टी की. प्रक्रिया के सिर्फ 1 घंटे बाद ही मरीज घर जाने लायक हो गया. जानिए काइफोप्लास्टी होती क्या है? यह रीढ़ की धंसी हुई हड्डी को ठीक करने की एक आधुनिक, छोटी और सेफ प्रोसेस है. कैसे की जाती है? एक पतली सुई से धंसी हुई हड्डी तक पहुंचाया जाता है. अंदर एक छोटा गुब्बारा डाला जाता है. गुब्बारे को धीरे-धीरे फुलाकर हड्डी की ऊंचाई फिर से सही की जाती है. फिर उस जगह पर हड्डी जैसा विशेष सीमेंट डाला जाता है, जिससे हड्डी तुरंत मजबूत हो जाती है.

इससे बहुत तेज दर्द तुरंत कम हो जाता है. रीढ़ की संरचना स्थिर और सीधी हो जाती है. किसके लिए फायदे की प्रक्रिया है? काइफोप्लास्टी इन स्थितियों में बहुत लाभकारी है. कैंसर की वजह से धंसी हुई रीढ़ की हड्डी. ऑस्टियोपोरोसिस यानी कमजोर हड्डियों से हुए फ्रैक्चर. चोट या अचानक झटके की वजह से हुए वर्टेब्रल फ्रैक्चर. इससे मरीज को दर्द से तुरंत राहत मिल जाती है. जल्दी चल-फिर सकने लगता है. रोजमर्रा के काम जल्दी शुरू कर पाता है.
किसने किया यह ऑपरेशन?
प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ. अनुज जैन (अतिरिक्त प्रोफेसर, पेन मेडिसिन यूनिट) ने किया. टीम में डॉ. निरव, डॉ. गोपी और डॉ. निखिल शामिल थे
एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता
एम्स भोपाल का एनेस्थीसिया विभाग कैंसर से जुड़े दर्द और रीढ़ की जटिल समस्याओं के लिए उन्नत और आधुनिक इलाज उपलब्ध कराने के लिए लगातार काम कर रहा है. संस्थान का लक्ष्य है कि ऐसे उपचारों से अधिक से अधिक मरीजों की जीवन-गुणवत्ता बेहतर की जा सके.
shivendra 
