दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएम मोदी की डिग्री पर CIC का आदेश किया रद्द, RTI पर निजता के अधिकार का दिया हवाला
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़ी जानकारी को साझा करने के मामले में बड़ा फैसला लिया है
PM Modi Degree Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़ी जानकारी को साझा करने के मामले में बड़ा फैसला लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को रद्द कर दिया है. मामला 2017 से लंबित था. 25 अगस्त को जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की उस याचिका को मंजूरी दी जिसमें सेसेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन के आदेश को चुनोती दी गई थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, "CIC के आदेश को रद्द किया जाता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- "पुट्टास्वामी मामले में सर्वसम्मति से एक निर्णय लिया गया था कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत रिजर्व है. राइट टू प्राइवेसी का अधिकार जानने के अधिकार से ऊपर है.
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— Bar and Bench (@barandbench) August 25, 2025
The Delhi High Court sets aside the Central Information Commission's order to disclose information related to PM Narendra Modi's degree.#DelhiHighCourt #PMModiDegree @narendramodi pic.twitter.com/jjk4DzBTaZ
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पार्सनल जानकारी RTI के तहत नहीं मांगी जा सकती. उन्होंने कहा कि 1978 में कोई पास हुआ है, यह उसके मौजूदा कर्तव्यों से जुड़ा नहीं है. मेहता ने कहा कि आप इसे राजनीतिक मकसद से इस्तेमाल करना चाहते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने RTI के गलत इस्तेमाल की भी बात कही. उन्होंने कहा था कि अगर इस तरह के आदेश मान लिए जाते हैं तो सरकारी अधिकारी अपना काम पूरा नहीं कर पाएंगे. लोग पुराने दस्तावेज ढूंढते रहेंगे, और उलझे रहेंगे. RTI एक्ट का इस्तेमाल अधिकारियों को डाराने धमकाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि यह आदेश देश भर की यूनिवर्सिटी के लिए गंभीर परिणाम लेकर आएगा. क्योंकि, वे करोड़ों छात्रों की डिग्री की जानकारी एक 'फिड्युशरी' में रखते हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि राइट टू इन्फॉर्मेशन (RTI) के आवेदक नीरज शर्मा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस दावे का विरोध किया कि छात्रों की डिग्री की जानकारी 'फिड्युशरी' संबंध में आती है. उन्होंने दलील दी,
"अगर मैं ब्रह्मांड से कहूं कि मुझे लिखने के लिए किसी की मदद चाहिए क्योंकि मैं देख नहीं सकता, तो वो बात फिड्युशरी मानी जा सकती है. मार्क्स बाहरी जानकारी नहीं हैं. अगर मैं ड्राइविंग टेस्ट देने जाता हूं, तो पास या फेल की जानकारी बाहरी है. यह फिड्युशरी रिश्ता यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन किए पेपर के साथ नहीं आता है."
आखिर पूरा मामला क्या है
RTI आवेदक नीरज शर्मा ने जानकारी मांगी थी कि 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) की डिग्री किस-किस ने हासिल की थी. यह वही साल है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चुनावी हलफनामे में BA पास करने का दावा किया है.
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shivendra 
