छठ पूजा : आज अर्घ्य का दिन, शाम को अस्त होते सूर्य की पूजा
छठ पूजा का आज तीसरा दिन है, जिसे कार्तिक शुक्ल षष्ठी कहा जाता है. आज शाम श्रद्धालु अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे.
छठ पूजा का आज तीसरा दिन है, जिसे कार्तिक शुक्ल षष्ठी कहा जाता है. आज शाम श्रद्धालु अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे. राजधानी भोपाल में भी घाटों पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचेंगे और सूर्य देव को दूध और जल से अर्घ्य अर्पित करेंगे. नगर निगम और प्रशासन की ओर से घाटों पर सफाई, लाइटिंग और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई है.
प्रसाद की तैयारी
व्रती महिलाएं दिनभर छठ प्रसाद बनाने में जुटी रहती हैं। इसमें मुख्य रूप से ठेकुआ (टिकरी), चावल के लड्डू, सांचा और मौसमी फल शामिल होते हैं. शाम को पूजा के लिए बांस की टोकरी और सूप में फल, ठेकुआ और दीप सजाए जाते हैं. इसी सजे हुए सूप से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है.
अस्त होते सूर्य को अर्घ्य
संध्या के समय जब सूर्य पश्चिम दिशा में अस्त होने लगता है, तब श्रद्धालु घाटों पर जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. व्रती अपने हाथों में फल और प्रसाद से भरा दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की उपासना करती हैं.
मान्यता है कि शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देने से नेत्रज्योति बढ़ती है और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अर्घ्य के बाद श्रद्धालु भजन-कीर्तन और लोकगीतों में रातभर शामिल रहते हैं। घाटों पर भक्ति और उल्लास का माहौल रहता है.
भोपाल के प्रमुख घाट
भोपाल में शीतलदास की बगिया, कमला पार्क, वर्धमान पार्क, खटलापुरा घाट और प्रेमपुरा घाट पर हजारों श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है.
चौथा दिन : उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके साथ ही उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा होता है. इसके बाद व्रती छठ प्रसाद खाकर व्रत का पारण करती हैं. पारण में चावल, दाल, सब्जी, साग, पापड़, चटनी, बड़ी, पकौड़ी आदि व्यंजन बनाए जाते हैं, जिन्हें परिवार के सभी लोग मिलकर खाते हैं.
shivendra 
