अल्प आय वर्ग गृह निर्माण समिति में करोड़ों का घोटाला, अफसरों की चुप्पी से गहराया शक

रीवा की बहुचर्चित "अल्प आय वर्ग गृह निर्माण सहकारी समिति" में करोड़ों रुपये का जमीन और प्लाट घोटाला सामने आया है। संस्था के पूर्व अध्यक्ष विकास तिवारी, वर्तमान अध्यक्ष विपिन मिश्रा, कार्यकारी प्रबंधक मो. रहमान अली समेत सहकारिता विभाग के कई अफसरों पर फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।

अल्प आय वर्ग गृह निर्माण समिति में करोड़ों का घोटाला, अफसरों की चुप्पी से गहराया शक

ऋषभ पांडेय 

रीवा शहर की बहुचर्चित अल्प आय वर्ग गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित रीवा में करोड़ों रुपये का घोटाला पुराने सदस्यों की जमीन की दोबारा बिक्री और फर्जी तरीके से नए प्लाट आवंटन के संगीन आरोप सामने आने के बाद आयुक्त रीवा संभाग द्वारा जांच के लिए गठित की गई टीम भी सवालों के घेरे में आ रही.

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जांच के लिए टीम गठित हुए लगभग 10 माह गुजर चुके हैं किंतु जांच अभी अधर में ही चल रही है, जबकि जांच टीम को 15 दिवस के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था मतलब साफ है भ्रष्टाचार की राह में संभागीय कार्यालय भी आ चुका है.

आरोपों की बात करे तो संस्था के पूर्व अध्यक्ष विकास तिवारी (वर्तमान गंगेव जनपद अध्यक्ष) वही वर्तमान अध्यक्ष विपिन मिश्रा जो कि नाम मात्र के है क्योंकि समिति भंग हो चुकी है, वही  कार्यकारी प्रबंधक मो. रहमान अली और सहकारिता विभाग के बड़े अफसर शामिल हैं।

शिकायतकर्ता संजय पाण्डेय (अल्प आय गृह निर्माण समिति सदस्य ) ने बार-बार संयुक्त आयुक्त सहकारिता, संभागीय आयुक्त रीवा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायतें की बावजूद इसके किसी भी स्तर पर जांच पूरी नहीं हुई, न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई की गई।

शिकायतकर्ता की माने तो भ्रष्टाचारियों दवाब में है जिला प्रशासन इसलिए कार्रवाई गर्त में जाती दिखाई दे रही है, हालांकि पूरे मामले में बड़ी कार्यवाही की सुगबुगाहट EOW में चल रही है, मिली जानकारी अनुसार बता दे संभागीय आयुक्त बी.एस. जामोद ने 11 दिसंबर 2024 को SDM वैशाली जैन की अध्यक्षता में एक संभाग स्तरीय जांच समिति गठित की थी।

लेकिन 10 महीने बाद भी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत ही नहीं हुआ सवाल यह है कि आखिर कौन बचा रहा है इन भ्रष्टाचारियों को?

करोड़ों का बैंक ट्रांसफर हुआ निजी खातों में 

पुराने सदस्यों की जमीन दोबारा बेची गई, पुराने वैध सदस्यों जैसे वंशपति सिंह, रामेश्वर द्विवेदी, वीणा मिश्रा आदि को पहले प्लाट आवंटित कर रजिस्ट्री कराई गई थी। उन्हीं प्लाटों को बाद में नए सदस्यों को बेचा गया कभी भ्रष्ट अधिकारियों की रिश्तेदारों को तो कभी पैसों के दम पर नए खरीदारों को।

प्लाटों की मनमानी बिक्री की गई , वरिष्ठता सूची को पूरी तरह नजरअंदाज कर मनमर्जी से प्लाट बांटे गए। वही संस्था के रिकॉर्ड में बैठक की कार्यवाही पंजी, वरिष्ठता सूची, आवंटन रजिस्टर तक नहीं मिले।  वही 25 जनवरी 2022 को संस्था के खाते से 1.35 करोड़ रु. संचालक संतोष तिवारी के निजी खाते में ट्रांसफर किए गए।

कार्यकारी प्रबंधक मो. रहमान अली को चेक से 35,000 रूपए और 50,000 रुपए ट्रांसफर हुए। संस्था का पैसा सीधे संचालकों के निजी हित में प्रयोग किया गया जो सहकारिता अधिनियम 1960 और नियम 44 का खुला उल्लंघन है।

जमीन सौदे में हेराफेरी

यही नियमावली की बात कर तो सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य शहर के अंदर जमीन खरीद कर अल्प आय वाले परिवार को सदस्य बनाकर प्लाट आवंटन करना था किंतु ग्राम मुण्डहा रायपुर कर्चुलियान की ग्रामीण भूमि को शहरी क्षेत्र के नाम पर संस्था की निधि से खरीदा गया।

समिति के पूर्व अध्यक्ष विकास तिवारी ने अपनी पत्नी  के नाम पर भूमि रजिस्ट्री कराई और फिर संस्था के नाम पर अपने ही रिश्तेदार विपिन मिश्रा के नाम करोड़ों की ज़मीन खरीद डाली। भूमि खरीदी के नाम पर लगभग 5 करोड़ की राशि बंदरबांट कर लिया गया। 

पार्क, जिम और विकास कार्य  सिर्फ कागजों में

शिकायतकर्ता नहीं बताया कि अरुण नगर समान और अनंतपुर के पार्कों में किसी प्रकार का कार्य नहीं हुआ, लेकिन संस्था की निधि से लगभग 40 लाख रुपए निकाल लिए गए। वही कॉलोनी निर्माण के लिए नगर निगम से किसी प्रकार की मंजूरी नहीं ली गई, कोई मूल्यांकन, TSAS तकनीकी स्वीकृति या बिल मौजूद नहीं है यानी सब कुछ कागजो में ही खेला गया।

सवालों के घेरे में सहकारिता विभाग

शिकायतकर्ता ने बताया कि जांच दल के बार-बार पत्र लिखने के बाद भी संस्था ने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। संयुक्त पंजीयक सहकारिता की जांच 16 फरवरी 2024 को शुरू हुई थी लेकिन 25 अक्टूबर 2024 तक भी जांच दल स्पष्ट अभिमत नहीं दे सका.

दलील दी गई कि दस्तावेज EOW (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) में जब्त हैं, जबकि ये दस्तावेज 2004 के पहले के हैं जबकि घोटाले 2020-2024 के बीच हुए हैं यह सीधा संकेत है कि सहकारिता विभाग भी इस पूरे भ्रष्टाचार का भागीदार है।

धारा 57 बेअसर, घोटाले के बाद भी नहीं जप्त किए दस्तावेज 

नियमावली कहती है कि सहकारिता अधिनियम 1960 की धारा 57 के तहत यदि संस्था आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करती और दस्तावेज नष्ट करने का भय बना हो तो रिकॉर्ड जप्त करने की कार्यवाही की जा सकती है, लेकिन सहकारिता विभाग के सक्षम अधिकारियों द्वारा आज तक कार्यवाही नहीं की गई जबकि एक बड़ा घोटाला सामने आ चुका है।

जनपद अध्यक्ष विकास की गांधीगिरी के पीछे घोटालों की लकीरें

सत्ता की छांव में बच निकलने की कोशिश

शिकायतकर्ता ने बताया कि वर्तमान में गंगेव जनपद के अध्यक्ष विकास तिवारी पर अब तक, पुराने प्लाटों की रजिस्ट्री निरस्त कर मनमानी आवंटन, संस्था के पैसे से निजी जमीन खरीद, बैंक खाते से सीधा पैसा निकालना, अपनों को फर्जी सदस्य बनाकर प्लाट देना जैसे कई गंभीर आरोप हैं।

फिर भी प्रशासन खामोश है। पूरे सबूत होने के बावजूद प्रशासन कार्रवाई से भाग रहा है, शिकायतकर्ता ने बताया कि जब पूरे भ्रष्टाचार मामले जब पोल खुलने लगी तो बचने के लिए वर्तमान जनपद अध्यक्ष गंगेव विकास तिवारी ने कांग्रेस का दामन छोड़कर सत्ताधारी पार्टी का चोला ओढ़ लिया वही वर्तमान सत्ताधारी विधायक के इर्द-गिर्द घूमकर बड़े सत्ताधारी नेता के दम पर जनता के बीच गांधीगिरी दिखा रहे हैं। 

जनता को नहीं मिल रहा उनका हक

शिकायतकर्ता संजय पाण्डेय ने बताया कि 1997 से सदस्य बने अजीत तिवारी, अमित तिवारी, गीता पांडेय, और सैकड़ों पुराने सदस्य आज तक प्लाट के इंतजार में हैं। वहीं नए सदस्यों को बिना वरिष्ठता सूची के आधार पर मनमाने ढंग से प्लाट दे दिए गए। यानी हकदारों से हक छीना गया और बेईमानों को मालामाल किया गया।

जांच रिपोर्ट में देरी पर संभागीय आयुक्त ने साधी चुप्पी

पूरे मामले को लेकर जब पब्लिक वाणी की टीम ने संभागीय आयुक्त बी.एस जामोद से संपर्क किया तो उन्होंने जांच रिपोर्ट की प्रगति पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया जब उनसे पूछा गया कि जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए 15 दिनों का समय निर्धारित था, जबकि अब 10 माह बीत चुके हैं, तो उन्होंने संक्षिप्त उत्तर देते हुए कहा, आप सहकारिता विभाग से संपर्क करें, मैं इस विषय में कुछ नहीं कहूंगा।