Vote Adhikar Yatra: SIR के बहाने वोटरों को साधने की कोशिश?

बिहार में वोट चोरी को लेकर राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा से चुनावी माहौल गरमा गया है। ऐसे में जानिए वोट अधिकार यात्रा की राजनीति को।

Vote Adhikar Yatra: SIR के बहाने वोटरों को साधने की कोशिश?

17 अगस्त से बिहार के सासाराम से शुरू वोट अधिकार यात्रा बिहार के 20 से ज्यादा जिलों को कवर करते हुए 1300+ कि.मी. की दूरी तय करेगी और 1 सितंबर को गांधी मैदान में एक ऐतिहासिक जनसभा के साथ इस यात्रा का समापन होगा। ये यात्रा वोटर लिस्ट में हुई हेरा फेरी को लेकर की जा रही है और इसका उद्देश्य लोगों में वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों के बारे में उजागर करना है।

यात्रा के राजनीतिक मायने

विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा क्षेत्र में यात्रा करने से कांग्रेस को बहुमत तो नहीं मिलेगा लेकिन लोगों के बीच इंडी गठबंधन का माहौल जरूर बन जाएगा। पिछले चुनाव की बात करें तो साल 2020 में कांग्रेस के महागठबंधन ने 23 सीटें अपने नाम की थीं। वहीं सिर्फ कांग्रेस को 8 सीटों पर जीत मिली थी। 2024 में भी जब राहुल ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा की थी तो उन्होंने बिहार में 5 दिनों की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की थी, जिसके बाद उन्हें सासाराम, औरंगाबाद, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में फायदा हुआ था।

इस बीच तेजस्वी यादव भी राहुल गांधी का पूरा सपोर्ट करते दिख रहे हैं। यात्रा के पहले दिन ही तेजस्वी राहुल की गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे नजर आए थे, जिससे ये साफ था कि भले ही राहुल गांधी राष्ट्रीय नेता हैं लेकिन कमान तो तेजस्वी यादव और RJD के ही हाथों में है। यात्रा के तीसरे दिन तेजस्वी ने यह कहते दिखे कि 2029 में इंडी गठबंधन का पीएम के लिए उम्मीदवार राहुल गांधी होंगे। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के लिए किसी का नाम क्लियर नहीं किया है। ऐसे में साफ है कि तेजस्वी भी राहुल की वोट अधिकार यात्रा का फायदा तो ले रहे हैं।

SIR के बहाने वोटरों को साधने की कोशिश

भले ही मुद्दा वोट चोरी और SIR हो लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी SIR के बहाने वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। यात्रा में तेजस्वी बार-बार यह कहते दिख रहे हैं कि इस बार इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो राज्य की जनता को कई सुविधाएं दी जाएंगी। राहुल गांधी भी सासाराम की सभा में इस बात पर जोर देते दिखे कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को वे समाप्त करेंगे। बता दें कि राज्य सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगा दी गई थी। इस तरह ये यात्रा वोट चोरी को लेकर तो ठीक लेकिन बिहार विधानसभा को ध्यान में रखकर की जा रही है।

वहीं राहुल गांधी के दावों को खारिज करते हुए 17 अगस्त को चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें चुनाव आयोग ने कहा कि जिन लोगों के वोटर ID पर एड्रेस 0 मेंशन है, इसका यह मतलब है कि या तो उनके पास घर नहीं है या उन्हें मकान संख्या आवंटित नहीं की गई है। अगर किसी के पास कई वोटर ID हैं तो ये मामले आमतौर पर प्रवास या प्रशासनिक चूक की वजह से सामने आते हैं, और इस पर चुनाव आयोग काम कर रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने आगे कहा कि अगर किसी व्यक्ति के दो जगहों पर वोट हैं, और वह दोनों जगहों पर वोट देता है तो यह अपराध है। और अगर कोई व्यक्ति दोहरे वोट का दावा करता है, तो सबूत जरूरी है। सबूत मांगा गया था, लेकिन नहीं दिया गया।

सवालों से बचता चुनाव आयोग 

इस तरह चुनाव आयोग ने राहुल के सारे दावों को खारिज कर दिया। हालांकि चुनाव आयोग कई सवालों से बचते दिखे। जैसे जब उनसे पूछा गया कि उनके पास ठोस सबूत हैं कि राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दे वायनाड, रायबरेली और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी मौजूद हैं, तो क्या चुनाव आयोग दोनों राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए मामले की जांच करेगा। तो इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

एक पत्रकार ने सवाल किया कि आपने कहा है कि 'वोट चोरी' के दावों में कोई सच्चाई नहीं है। अगर यह सच है और कोई नेता झूठ फैला रहा है, तो क्या आपके पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है? तो इस पर भी चुनाव आयोग ने जवाब नहीं दिया।

ऐसे में ये तो साफ है कि चुनाव आयोग वोट चोरी की बात से बच रहा है। वहीं जबकि देश में मानहानि का कानून है, बावजूद इसके अगर कोई नेता चुनाव आयोग पर इतना बड़ा इल्जाम लगा रहा है तो कोई बात तो जरूरी होगी।