राष्ट्रव्यापी हड़ताल: जरूरी सेवाएं प्रभावित, पोस्ट ऑफिस और बैंक बंद

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आज (09 जुलाई) बुलाए गए भारत बंद का कई राज्यों में व्यापक असर देखा गया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में भी बैंक, डाकघर सहित कई विभागों के कार्यालय पूरी तरह से बंद हैं.

राष्ट्रव्यापी हड़ताल: जरूरी सेवाएं प्रभावित, पोस्ट ऑफिस और बैंक बंद
राष्ट्रव्यापी हड़ताल

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आज (09 जुलाई) बुलाए गए भारत बंद का कई राज्यों में व्यापक असर देखा गया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में भी बैंक, डाकघर सहित कई विभागों के कार्यालय पूरी तरह से बंद हैं. कई विभागों के कार्यालयों में सिर्फ अधिकारी नजर आए, कर्मचारी हड़ताल पर रहे. दफ्तर सूने हैं और लोग सरकारी कार्यालयों से बैरंग लौट रहे हैं. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लगभग सभी बैंकों में हड़ताल जैसी स्थिति है. अधिकांश बैंक और डाकघर सहित केंद्रीय कार्यालय लगभग पूरी तरह से बंद हैं. पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित कई राज्यों में कर्मचारियों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया है. कुछ ट्रेनों के परिचालन में भी देरी हो रही है. हड़ताल में शामिल ट्रेड यूनियन्स का दावा है कि देश के 25 करोड़ कर्मचारी आज हड़ताल पर हैं और केंद्र सरकार के विभागों के साथ दो दर्जन राज्यों के कार्यालयों में भी कामकाज पूरी तरह से बंद है.

केंद्रीय ट्रेड यूनियन्स का दावा है कि बैंक, बीमा, डाक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी सर्विसेज आज प्रभावित है. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने हड़ताल बुलाई है. ट्रेड यूनियंस निजीकरण और 4 नए लेबर कोड्स के विरोध में हैं. यह केंद्र की उन नीतियों का विरोध कर रही हैं, जिन्हें वे मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक मानती हैं. पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक देश में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में 56 करोड़ कर्मचारी हैं. इसमें इनफॉर्मल सेक्टर में 50 करोड़ और फॉर्मल सेक्टर में 6 करोड़ कर्मचारी हैं. न्यूनतम वेतन 26,000 रुपए और पुरानी पेंशन योजना जैसी मांगों के लिए हड़ताल की जा रही है. यूनियनों के मंच ने ये भी आरोप लगाया है कि सरकार पिछले 10 साल से सालाना श्रम सम्मेलन नहीं कर रही है और मजदूरों के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है. वो चार लेबर कोड लागू करने की कोशिश कर रही है, जिससे सामूहिक सौदेबाजी कमजोर हो, यूनियनों की गतिविधियां रुकें और ‘बिजनेस करने की आसानी’ के नाम पर नियोक्ताओं को फायदा हो.

इन क्षेत्रों में दिखा हड़ताल का असर

हड़ताल का सबसे अधिक असर बैंकों, डाकघरों, पासपोर्ट सेवा सहित अन्य केंद्रीय सेवाओं पर पड़ा है. कोई आधिकारिक बैंक अवकाश घोषित नहीं हुआ, लेकिन बैंक सेवाएं बाधित हैं. बंगाल प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ के मुताबिक, बीमा क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं. बिजली क्षेत्र के 27 लाख कामगार के हड़ताल में शामिल होने से बिजली सेवाएं भी कहीं-कहीं प्रभावित हो सकती हैं. रेलवे सेवाएं चल रहे हैं, लेकिन इस हड़ताल की वजह कुछ ट्रेनों के परिचालन में देरी हो रही है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर हड़ताल का असर देखा जा रहा है. ट्रेड यूनियनों ने बेरोजगारी दूर करने, मनरेगा में काम के दिन और मजदूरी बढ़ाने और ज़्यादा रोजगार सृजन की मांग की है.

इन मांगों के लिए हड़ताल

न्यूनतम वेतन 26,000 रुपए और पुरानी पेंशन योजना जैसी मांगों के लिए हड़ताल की जा रही है. यूनियनों के मंच ने ये भी आरोप लगाया है कि सरकार पिछले 10 साल से सालाना श्रम सम्मेलन नहीं कर रही है और मजदूरों के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है. वो चार लेबर कोड लागू करने की कोशिश कर रही है, जिससे सामूहिक सौदेबाजी कमजोर हो, यूनियनों की गतिविधियां रुकें और ‘बिजनेस करने की आसानी’ के नाम पर नियोक्ताओं को फायदा हो.