मऊगंज में बच्चों के निवाले में मची लूट, मिड डे मील योजना में लगा भ्रष्टाचार का घुन

शैक्षणिक सत्र प्रारंभ के एक सप्ताह बाद भी स्कूलों में समूहों के नहीं जले चूल्हे

मऊगंज में बच्चों के निवाले में मची लूट, मिड डे मील योजना में लगा भ्रष्टाचार का घुन

राजेंद्र पयासी-मऊगंज

नवगठित मऊगंज जिले में संचालित शासकीय स्कूलों की मध्यान भोजन व्यवस्था भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आती है। हालात कुछ इस कदर है कि शैक्षणिक सत्र प्रारंभ हुए एक सप्ताह से अधिक का समय गुजर चुका लेकिन आज भी 60 फ़ीसदी से अधिक विद्यालयों में जिम्मेदार समूह संचालकों द्वारा बच्चों को दोपहर का भोजन देना तो दूर इन समूह संचालकों के चूल्हे तक नहीं जले। जिले के अधिकांश तक जनपद शिक्षा केंद्रों अंतर्गत संचालित विद्यालयों में बच्चों के लिए बनने वाले मध्यान भोजन में भ्रष्टाचार का घुन लगता नजर आ रहा है आलम कुछ इस कदर है कि यदि जिले की कुछ गिनी चुनी स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर विद्यालयों में मीनू के अनुसार भोजन बनना तो दूर आज तक मध्यान भोजन व्यवस्था प्रारंभ  नहीं हुई। इधर शासन की इस कल्याणकारी योजना को साकार रूप देने यानी शासन की योजना अनुसार बच्चों को मध्यान भोजन मिले इसके जांच का दायित्व जिले के सभी जनपद शिक्षा केंद्रों के बीआरसीसी को सौपा गया है लेकिन जांच के नाम पर दौड़ाए जा रहे कागजी घोड़े के कारण बच्चों के निवाला में खुलकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिले के मऊगंज हनुमना नईगढ़ी जनपद शिक्षा केंद्रों में की जमीनी हकीकत देखी जाए तो समूह संचालक एवं संस्था प्रमुख तथा जनपद शिक्षा केंद्रों के जिम्मेदारों के बीच पक रही खिचड़ी के कारण बच्चों को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के एक सप्ताह बाद योजना अनुसार दोपहर का भजन देना तो दूर जिम्मेदारों द्वारा यह भी जांच नहीं की गई कि भोजन बनता है कि नहीं। समूह संचालक कागज में नियमित भोजन बना रहे हैं।

जबकि शासन द्वारा आदेश है कि शिक्षण सत्र शुरू होने पर मध्यान भोजन बंद नहीं होगा। शिक्षा सत्र शुरू होने पर मध्यान भोजन योजना नियमित जारी रहेगी।
लेकिन नवगठित मऊगंज जिले में हालात कुछ ऐसे नजर आते है जैसे शासन प्रशासन चाहे जितने नियम कानून एवं कायदे बना दे लेकिन दबंगों के आगे सारे नियम कानून टूटते नजर आ रहे हैं। वैसे तो जहां देखा जाए वही पूर्णरूपेण फर्जीवाड़ा हावी है । लेकिन शासन स्तर पर स्कूल सहित आंगनवाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले नौनिहालों को दोपहर में दिए जाने वाली मध्यान भोजन व्यवस्था इस तरह पटरी से उतर चुकी है कि तथाकथित समूह संचालक आला अधिकारियों की शह पर सारे नियम कायदों को दरकिनार कर अपनी मनमानी पर उतारू हैं और जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अंजान बने हुए हैं। 

कचरे से पटे किचन सेड  -

नवीन शैक्षणिक सत्र तो प्रारंभ हो चुका है । एक सप्ताह से अधिक का समय भी गुजर चुका लेकिन जिले में संचालित शासकीय विद्यालयों की स्थिति देखी जाए तो एक तरफ जहां आधे से अधिक विद्यालयों में अभी तक मध्यान भोजन व्यवस्था प्रारंभ नहीं हो पाई वही अभी तक 10 फ़ीसदी विद्यालयों का संचालन ही नहीं हो पाया, जहां विद्यालय समय पर ताले लटके देखे जा रहे हैं। विद्यालयों की साफ सफाई से लेकर  किचन सेटों में सफाई का कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है रसोई घरों में कचरे का अंबार लगा नजर आता है लेकिन साफ सफाई हेतु जिम्मेदारों द्वारा जिम्मेदारी नहीं निभाई जा रही है। 

स्वच्छता की अनदेखी से रामपुर स्कूल जैसी घट सकती है घटना- 

जिले में मध्यान भोजन व्यवस्था तरह से बेपटरी हो चुकी है। सत्र प्रारंभ होने के बाद भी एक तरफ जहां सत प्रतिशत विद्यालयों में मध्यान भोजन प्रारंभ नहीं हो पाई वही कई जगह विद्यालयों के किचन सेडों में कचरे का अंबार लगा हुआ है विद्यालय प्रबंधन स्वच्छता समूह के संचालक से लेकर जनपद शिक्षा केंद्र में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा यदि स्कूलों में संचालित मध्यान भोजन व्यवस्था की स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया गया तो बीते 3 वर्ष पूर्व नईगढ़ी जनपद शिक्षा केंद्र अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक विद्यालय कन्या एवं बालक रामपुर विषाक्त भोजन जैसी घटना कभी भी घट सकती है गौरतलब है कि साफ सफाई की अनदेखी के कारण विषाक्त भोजन करने से 72 बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए थे ।

जो घटना जिले ही नहीं पूरे प्रदेश भर को हिला कर रख दी। कई दिनों तक जन आंदोलन तक चला। विद्यालय में तालाबंदी जैसी स्थिति निर्मित हुई प्रशासन से लेकर सब परेशान रहे। लेकिन इतनी बड़ी घटना का शायद आज तक भी समूह संचालको एवं अधिकारियों तक को किसी प्रकार का कोई असर नहीं पड़ा। काश इसके बाद भी जिम्मेदार अमला इस ओर ध्यान देता तो समूह संचालक से लेकर रसोइयों द्वारा  इतनी बड़ी अनियमितता न बरती जाती। मध्यान भोजन व्यवस्था में जिस तरह मनमानी राज चालू है और नियम कायदों को दरकिनार किया जा रहा है उससे साबित होता है कि जहां प्रशासनिक अमला स्कूल शिक्षा विभाग जनपद सहित अन्य आला अधिकारी अपने जिम्मेदारियों को भूल चुके हैं वही जनपद शिक्षा केंद्र के अधिकारियों एवं स्व सहायता समूह संचालकों के बीच समझौता रूपी पक रही खिचड़ी के चलते समूह संचालक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
जिसके कारण जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों एवं स्कूलों की स्थिति  अत्यंत खराब है और जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे।

आंगनबाड़ी केंद्रों के बुरे हालात -

 आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को मध्यान्ह भोजन मिलना तो दूर नाश्ता तक नहीं दिया जाता । आम ग्रामीणों की मानें तो इसमें कोई खास एक का ही दोष नहीं बल्कि आगनवाड़ी केंद्र कार्यकर्ता भी बराबर के दोषी हैं कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जो महज  कागजों में ही चल रहे हैं कई बार आला अधिकारीयों द्वारा कार्यवाही भी की गई । लेकिन पहुंच बालों के आगे न तो आला अधिकारियों के चली और न ही आज तक दोषी समूह संचालकों एवं कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कार्यवाही ही हो सकी जिसके चलते मध्यान भोजन व्यवस्था ही नहीं बच्चों की जहां पढ़ाई प्रभावित है वही निरीक्षण कार्यवाही कागज तक सीमित होने के कारण शासन की योजना को खुलेआम पलीता लगाया जा रहा है।