राजेश शर्मा के ठिकानों पर छापे में अफसरों से लेन-देन के मिले सबूत

खनन और रियल एस्टेट कारोबारी राजेश शर्मा और राजकुमार सिकरवार के ठिकानों पर 18 दिसंबर को हुई आयकर छापेमारी में कई बेनामी संपत्तियों और अधिकारियों से लेन-देन के दस्तावेज मिले थे। अब आयकर विभाग ने कुछ IAS और IPS अधिकारियों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है।

राजेश शर्मा के ठिकानों पर छापे में अफसरों से लेन-देन के मिले सबूत

खनन व रियल एस्टेट कारोबारी राजेश शर्मा और राजकुमार सिकरवार पर छापे की कार्रवाई के दौरान कई अफसरों से लेन-देन के दस्तावेज मिले थे। अब इन अधिकारियों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रडार पर ले रहा है। नोटिस जारी कर दफ्तर तलब किया जा रहा है। मौजूदा स्थिति में कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। आईटी ने त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के संचालक राजेश शर्मा के कस्तूरबा नगर स्थित घर, नीलबड़, मेंडोरा, सूरज नगर, रातीबड़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीदी-बिक्री करने वाले एक व्यवसायी समेत ईशान ग्रुप, क्वालिटी गु्रप और इनसे जुड़े लोगों  ठिकानों पर छापा मारा था। यह कार्रवाई पिछले साल 18 दिसंबर को की गई थी।


250 करोड़ की प्रॉपर्टी कर चुके अटैचआयकर विभाग को हफ्ते तक चली छापेमारी कार्रवाई में कई बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिले थे। विभाग ने कुछ महीने पहले राजेश शर्मा की करीब 250 करोड़ की 24 प्रॉपर्टी अटैच कर ली थी। इसमें राजेश के नाम आठ, पत्नी राधिका के नाम 16 प्रॉपर्टी, सेवनिया गोंड व सरवर में पांच एकड़ जमीन, सेंट्रल पार्क, पिपलिया जाहिरपीर, बरखेड़ा नाथू में पांच प्लॉट, कस्तूरबा नगर में राजेश शर्मा का मकान और उसके नाम पर विष्णु हाइटेक सिटी व सागर ग्रीन के बंगले शामिल थे।


सेंट्रल पार्क की रजिस्ट्रियों से खुले राज
आईटी अधिकारियों को भदभदा रोड स्थित सेवनिया गोंड के सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट की कई रजिस्ट्रियां मिली थी। तब संभावना जताई गई थी कि इन रजिस्ट्रियों से कई बड़े नाम आयकर विभाग के रडार पर आ जाएंगे। अब यह सच साबित हो रही है। खास बात यह है कि कई अधिकारियों के फार्म हाउस के पास ही यह प्रोजेक्ट किया जा रहा है। लो डेंसिटी एरिया में स्थित इस जमीन पर प्रोजेक्ट की अनुमति सरकार ने पहले निरस्त कर दी थी। फिर इसे बहाल कर दिया गया। इसके पीछे रसूखदारों का दबाव बताया गया।


रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने उजागर किया नेक्सस
प्रदेश के रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स के एक गु्रप ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्र लिख कर गड़बडिय़ों और भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। पूरे नेक्सस और इसके काम करने के तरीके के बारे में बताया था। यह भी दावा किया था कि इसके पर्याप्त दस्तावेजी सबूत उनके पास हैं। शिकायत की कॉपी प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग को भी भेजी गई थी। सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने बताया था कि कुछ अधिकारी बिल्डर व खनन कारोबारी राजेश शर्मा तथा उनकी पत्नी, शराब व्यवसायी, बिल्डर व कई कॉलेजों के मालिक, एक कंपनी के सीईओ के जरिए काला कारोबार चला रहे हैं। राजेश शर्मा के पिता तहसीलदार थे और गुना में पॉवरफुल अधिकारी के मातहत काम किया था।