99.77 में बिक रहा 34.27 का पेट्रोल, सरकार कमा रही साढे़ पैसठ रूपया

सतना | क्रिकेट में शतक लगाना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है और हर भारतीय अपनी  टीम के खिलाड़ियों द्वारा शतक लगाने पर झूम उठता है लेकिन इन दिनों एक शतक जनमानस को डरा रहा है। यह शतक है पेट्रोल -डीजल की   कीमतों का। पेट्रोल ने तो शतक लगा लिया और डीजल भी शतक बनाने को बेताब नजर आ रहा है।  

विन्ध्य के अनूपपुर के बाद अब सतना में भी पेट्रोल के दाम सौ रूपए होने जा रहे हैं। गुरूवार को सतना में सामान्य पेट्रोल 99 रूपए 77 पैसे बिका जबकि डीजल 90 रूपए 24 पैसे। जहां तक प्रीमियम पेट्रोल की बात है तो वह सतना में शतक पहले ही लगा चुका है। यहां पेट्रोल 102 रूपए 69 पैसे बिक रहा है। पेट्रोल और डीजल इतना मंहगा नहीं जितना वह बिक रहा है। पेट्रोल के खुदरा मूल्य और कीमत में दोगुने का अंतर है। केन्द्र व राज्य सरकारों के टैक्स की वजह से तेल की कीमतों में आग लगी हुई है। कुल मिलकार यह कह सकते हैं कि  सरकार की मुनाफाखोरी का खामियाजा उपभोगता भुगत रहे हैं। 

एेसे चलता है कमीशन 
34.27 पैसे खुदरा कीमत
33 रूपए वैट
26.50 रूपए एक्साइज ड््ियटी
3.50 रूपए डीलर का कमीशन 
2.50 ट्रांसर्पोटेशन चार्ज 

कितने का बिक रहा पेट्रोल- डीजल 
प्रीमियम पेट्रोल : 102.69/-
सामान्य पेट्रोल : 99.77/-
डीजल : 90.24/- 
 (रुपये प्रति लीटर में)

पिछले कुछ दिनों में ऐसे बढ़े दाम
12 फरवरी - पेट्रोल : 26, डीजल : 34
13 फरवरी - पेट्रोल : 38, डीजल : 30
14 फरवरी - पेट्रोल : 29, डीजल : 34
15 फरवरी - पेट्रोल : 26, डीजल : 29
16 फरवरी - पेट्रोल : 26, डीजल : 33
17 फरवरी - पेट्रोल : 25, डीजल : 25
(तेल के दामों में बढ़ोत्तरी पैसे में)

यूपीए के दस साल में 38 और एनडीए के सात सालों में बढ़े 28 रूपए दाम 
डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों के पीछे राजनैतिक दलों द्वारा अपने- अपने तर्क दिए जा रहे हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय तेल के बढ़ते दामों पर भाजपा नेताओं ने साइकल और बैल गाड़ी तक चलाई पर अब जब पेट्रोल के दाम शतक लगाने जा रहा है ऐसे में न जाने क्यों इन नेताओं में एक अजीब सी खामोशी है। वैसे यदि मोदी सरकार और दस सालों के मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान पेट्रोल की कीमतों हुई वृद्धि की बात करें तो यूपीए सरकार के दस सालों  2004 से 2014 तक के कार्यकाल में पेट्रोल के दामों में 37 रूपए 71 पैसे की वृद्धि हुई थी। 2004 में पेट्रोल के दाम 33.71 रूपए थे जबकि 2014 में यही दाम बढ़कर 71.41 रूपए हो गए और अब मोदी सरकार के सात साल के कार्यकाल में यही पेट्रोल 99.77 रूपए मिल रहा है यानि इस दौरान पेट्रोल की कीमतों में 28 रूपए 36 पैसे की बढ़ोत्तरी हुई है।  

जिले में 71 पेट्रोल पम्प मैहर में सबसे कम रेट 
अगर जिले में पेट्रोल पम्पों की बात करें तो कुल 71 पेट्रोल पम्प हैं। इंडियन आॅयल ,भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के करीब 70 तो एक पेट्रोल पम्प रिलायंस कंपनी का है। इन सभी पेट्रोल पम्पों में लगातार डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों के बावजूद वाहन चालक तेल डलाने के लिए बाध्य हो रहे हैं। यद्यपि दूरी का भी असर तेल के दामों की बढ़ोत्तरी में पड़ता है। सतना-रीवा में पेट्रोल - डीजल जबलपुर से आता है लिहाजा सतना शहर व अन्य इलाकों में तेल जिस कीमत से मिल रहा है उससे 25 से 35 पैसे कम रेट पर तेल मैहर में मिलता है। 

हर सुबह तय होती हैं कीमतें
दरअसल विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत के आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। आॅयल मार्केटिंग कंपनियां कीमतों की समीक्षा के बाद रोजाना पेट्रोल और डीजल के रेट तय करती हैं। इंडियन आॅयल,भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम रोजाना सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की दरों में संशोधन कर नई दरें जारी करती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है। अगर केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों का वैट हटा दें तो डीजल और पेट्रोल का रेट क्रमश: लगभग 25 और 35 रुपये लीटर के आस- पास रहता, लेकिन चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार, दोनों किसी भी कीमत पर टैक्स नहीं हटाना चाहतीं। सरकारों का दावा है कि राजस्व का एक बड़ा हिस्सा यहीं से आता है और इस पैसे से विकास होता है।

सरकार को वैट कम करने चाहिए, वैट कम होने से ही तेल के दामों में कमी आएगी। प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा टैक्स लगता है।  जिस प्रकार वन नेशन,वन कार्ड की व्यवस्था केन्द्र ने की है उसी तरह पूरे देश के लिए केन्द्र सरकार वन नेशन,वन वैट की व्यवस्था करे ताकि राज्य सरकारें मनमाना वैट न लगा सकें। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल पर भी जीएसटी लगनी चाहिए। 
विनोद तिवारी, अध्यक्ष विन्ध्य पेट्रोलियम डीलर संघ

पहले सौ रूपए में आराम से कई दिनों तक गुजारा हो जाता था,लेकिन पेट्रोल के बढ़ते दामों की वजह से पूरा बजट ही बिगड़ गया है। तेल के बढ़ते दामों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार दोनों दोषी हैं। केन्द्र को ऐसा नियम बनाना चाहिए जिससे सभी राज्यों में तेल के दाम एक समान हो कहीं ज्यादा कहीं कम न हो। राज्य सरकार को भी अपने टैक्सों में क मी लाना चाहिए। 
अश्वनी दाहिया

अब तो लगता है कि गाड़ी में चलना मुश्किल हो जाएगा। गाड़ी घर में रखकर पैदल चलने की नौबत आ गई है। डीजल और पेट्रोल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए। इसके अलाव केन्द्र को भी एक नियम बनाना होगा की पेट्रोल के दाम सभी जगह एक समान हों। फिलहाल तो उम्मीद है कि तेल की बढ़ती कीमतों पर  केन्द्र अंकुश लगाए। 
अजीत पाण्डेय