मऊगंज में जल संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन

मध्य प्रदेश के मऊगंज क्षेत्र के ग्राम पतियारी में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल संरक्षण पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय नेतृत्व और छात्रों ने जल संरक्षण के महत्व और प्राचीन जल संरचनाओं के संरक्षण पर जोर दिया। साथ ही, बावली की सफाई और वृक्षारोपण जैसे कार्यों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाई गई।

मऊगंज में जल संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन

प्राचीन बावली के पास आयोजित हुआ जागरूकता कार्यक्रम

मध्य प्रदेश शासन के अति महत्वाकांक्षी जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत मऊगंज जनपद क्षेत्र के ग्राम पतियारी में स्थित प्राचीन बावली के पास जल संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जन अभियान परिषद के तत्वावधान में हुआ, जिसमें जल संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने और पारंपरिक जल स्रोतों के पुनर्जीवन पर जोर दिया गया।

जल संरक्षण की तकनीकों पर हुआ संवाद

विकासखंड समन्वयक अजय चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में जल संरक्षण की पारंपरिक तकनीकों की प्रासंगिकता और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पुराने जल स्रोत आज भी जल संकट के समाधान का हिस्सा बन सकते हैं।

कार्यक्रम संचालन का जिम्मा परामर्शदाता शिव शंकर श्रीवास्तव ने निभाया।

नवांकुर संस्थाओं और स्वयंसेवियों का योगदान

कार्यक्रम में नवांकुर संस्था शिवानंद स्वयं सेवी संस्था के अध्यक्ष संजय पांडेय ने छात्रों के माध्यम से सामाजिक गांवों में जल संरक्षण पर नारा लेखन अभियान चलाया।

सामाजिक कार्यकर्ता मोहन दुबे और पूजा मिश्रा ने लोगों को जल संरक्षण को जीवनशैली में अपनाने की प्रेरणा दी।
रिंकी मिश्रा ने पानी की बचत के लिए प्रेरित किया, जबकि साधना चैरसिया ने छात्रों को अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रिंस गुप्ता ने जल संकट से निपटने के लिए वृक्षारोपण को जरूरी बताया।

श्रमदान और स्वच्छता अभियान

कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम (BSW/MSW) के छात्र-छात्राओं ने श्रद्धापूर्वक श्रमदान कर प्राचीन बावली की सफाई की। इसमें अनुपम यादव, बृजमोहन यादव, नेहा साहू, आरती प्रजापति, रुक्मिणी साकेत, प्रियांशु सोनी, कमलेश प्रजापति समेत अनेक छात्र शामिल रहे।

समापन और भविष्य की योजनाएं

कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि जल संरक्षण केवल सरकार की नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी है। रामरतन मिश्रा ने इस दिशा में निरंतर कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया।