छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से 19 मासूमों की मौत, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने साधा सरकार पर निशाना

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से अब तक 19 मासूमों की मौत हो गई है. जहरीली दवाई से हुई बच्चों की मौत को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है.

छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से 19 मासूमों की मौत, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने साधा सरकार पर निशाना
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मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से अब तक 19 मासूमों की मौत हो गई है. जहरीली दवाई से हुई बच्चों की मौत को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है. अब इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भी सरकार को घेरा है. कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कई सवाल उठाए और घटना की गंभीरता पर चिंता जताई.

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने सोशल मीडियो एक्स पर लिखा कि,,मध्यप्रदेश में ज़हरीली कफ़ सिरप से मरने वाले मासूम बच्चों की संख्या 19 हो चुकी है. लेकिन सरकार अब भी सोई हुई है. हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं, पर सरकार की उदासीनता कम नहीं हुई.

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="hi" dir="ltr">मध्यप्रदेश में ज़हरीली कफ़ सिरप से मरने वाले मासूम बच्चों की संख्या 19 हो चुकी है। लेकिन सरकार अब भी सोई हुई है। हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं, पर सरकार की उदासीनता कम नहीं हुई।<br><br>जांच में यह बात सामने आई है कि इंदौर की एक दवा फैक्ट्री में फंगस वाले पानी से कफ़ सिरप तैयार किया जा… <a href="https://t.co/jMJhEVlidy">pic.twitter.com/jMJhEVlidy</a></p>&mdash; Kamal Nath (@OfficeOfKNath) <a href="https://twitter.com/OfficeOfKNath/status/1975774939664838805?ref_src=twsrc%5Etfw">October 8, 2025</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

जांच में यह बात सामने आई है कि इंदौर की एक दवा फैक्ट्री में फंगस वाले पानी से कफ़ सिरप तैयार किया जा रहा था. यह सही है कि बच्चों की मौत इस फैक्ट्री की दवा से नहीं हुई, लेकिन यह खुलासा बताता है कि सरकार की निगरानी व्यवस्था कितनी लापरवाह है. सोचिए, जिस पानी को कोई घर में छूना भी पसंद न करे, उससे बच्चों की दवा बनाई जा रही थी. फिर भी अधिकारियों और मंत्रियों को शर्म नहीं आई.

19 बच्चों की मौत के बाद भी सरकार हरकत में नहीं आई। जब 10 बच्चों की मौत हो चुकी थी, तब सैंपल डाक से भेजे गए जो तीन दिन बाद पहुंचे। अगर जांच समय पर होती तो कई बच्चों की जान बच सकती थी। पर सरकार को शायद इन मासूमों की जान की कोई कीमत नहीं थी।तमिलनाडु सरकार ने मध्यप्रदेश की इस घटना से सबक लेकर संदिग्ध सिरप पर तुरंत रोक लगा दी, लेकिन यहाँ की सरकार ने टालमटोल की। सवाल है, क्यों? क्या दवा माफियाओं को बचाने के लिए देरी की गई?

यह सिर्फ़ एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही का नतीजा है। माता-पिता अपने बच्चों को खो चुके हैं और सरकार सफाई देने में व्यस्त है. स्वास्थ्य मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक किसी ने भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं ली. अब जनता पूछ रही है, जवाब कौन देगा? अगर सरकार इतनी ही सतर्क होती तो ये मौतें नहीं होतीं. 19 घर उजड़ गए लेकिन सरकार की संवेदनाएँ अब भी नहीं जगीं. यह घटना बताती है कि जब सत्ता संवेदनहीन हो जाती है तो सबसे बड़ी कीमत आम लोग चुकाते हैं. अब वक्त है कि सरकार जवाब दे, आखिर इन मासूमों की मौत के लिए जिम्मेदार कौन है?