नवीन न्यायालय भवन में अधिवक्ता बैठक व्यवस्था को लेकर विवाद, बिना नीति के शुल्क वसूली पर उठे सवाल
रीवा अधिवक्ता संघ द्वारा 6500 रुपये की राशि जमा कराने की सूचना के साथ बिना स्पष्ट नीति के शुल्क वसूली शुरू की गई, जिससे अधिवक्ताओं में नाराजगी है। राज्य अधिवक्ता परिषद पहले ही निर्देश दे चुकी है कि बिना स्वीकृति और पारदर्शी प्रक्रिया के कोई राशि न वसूली जाए। अधिवक्ता समुदाय में असंतोष बना हुआ है और पारदर्शी नीति की मांग की जा रही है।

रीवा। नवीन जिला एवं सत्र न्यायालय भवन में अधिवक्ताओं के लिए बैठक कक्ष आवंटन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अधिवक्ता संघ द्वारा बिना स्पष्ट नीति के शुल्क वसूली की प्रक्रिया शुरू किए जाने पर अधिवक्ता समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है। सोमवार को जब 6500 रुपये की निर्धारित राशि जमा कराने की सूचना के साथ आवंटन प्रक्रिया शुरू की गई, तो कई वकीलों ने विरोध दर्ज कराया।
ज्ञात हो कि इससे पहले राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा अधिवक्ताओं की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे कि कुर्सी-टेबल या बैठक कक्ष के नाम पर कोई भी राशि वसूली नहीं की जाएगी।
परिषद की अपीलीय समिति ने अधिवक्ता संघ रीवा की मनमानी पर अंकुश लगाते हुए यह जिम्मेदारी तीन अधिकृत सदस्योंशिवेन्द्र उपाध्याय, अखण्ड प्रताप सिंह और संघ अध्यक्ष राजेन्द्र पाण्डेयको सौंपी थी कि वे अपनी सामूहिक सहमति से कोई भी निर्णय लें।
बिना अनुमोदन की प्रक्रिया पर उठे सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय विक्रम सिंह का कहना है कि बैठक व्यवस्था से संबंधित नीति तैयार कर स्टेट बार काउंसिल की समिति के माध्यम से जिला एवं सत्र न्यायाधीश की स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक था, जो अब तक नहीं हुआ है। इसके बावजूद अधिवक्ताओं से शुल्क लिया जा रहा है और कोई दावा-आपत्ति की प्रक्रिया भी निर्धारित नहीं की गई है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
सब कुछ नियमों के तहत
इस मामले में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि नवीन न्यायालय भवन में उन अधिवक्ताओं के लिए बैठक सुविधा तैयार की जा रही है, जिन्हें अब तक कक्ष आवंटित नहीं हुए हैं। वर्तमान व्यवस्था अधिवक्ता बैठक व्यवस्था नियम 2025 के अंतर्गत बनाई जा रही है और सभी निर्णय तीनों अधिकृत सदस्यों की संयुक्त सहमति से लिए गए हैं।
अधिवक्ता समुदाय में असंतोष
भवन की भव्यता और हाईटेक सुविधाओं के बीच यदि पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया सुनिश्चित न की जाए, तो यह अधिवक्ता समाज में असंतोष को जन्म देता है। बैठक व्यवस्था की वर्तमान प्रक्रिया पर उठते सवालों को देखते हुए अब अधिवक्ताओं ने यह मांग की है कि किसी भी प्रकार की वसूली पूर्व निर्धारित नीति और नियामकीय मंजूरी के बिना न की जाए।