रीवा का SGMH बना प्रदेश का पहला ई-ऑफिस अस्पताल
रीवा जिले के संजय गांधी अस्पताल ने प्रदेश में पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बनने का गौरव प्राप्त किया है, जहां पूरी तरह ई-ऑफिस प्रणाली लागू कर दी गई है। यह पहल सरकारी कामकाज को डिजिटल, पारदर्शी और पेपरलेस बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

रीवा जिले ने एक बार फिर डिजिटल क्रांति की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यहां स्थित संजय गांधी अस्पताल ने प्रदेश में पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बनने का गौरव प्राप्त किया है, जहां ई-ऑफिस प्रणाली को पूर्ण रूप से लागू कर दिया गया है।
यह पहल प्रदेश में सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली को डिजिटल, पारदर्शी और कागज रहित (पेपरलेस) बनाने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है। ई-ऑफिस भारत सरकार की एक आधुनिक डिजिटल व्यवस्था है, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है।
इसका उद्देश्य सरकारी कार्यों को अधिक गति, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ संपन्न करना है। अब संजय गांधी अस्पताल में फाइलें सोने की स्थिति में नहीं रहेंगी और उनका त्वरित निपटारा संभव हो सकेगा।
अधिकारी कहीं से भी ऑनलाइन काम कर सकेंगे, जिससे कार्यप्रणाली में देरी कम होगी और अनावश्यक चक्कर लगाने से आमजन को राहत मिलेगी। राज्य शासन के निर्देश पर ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने की प्रक्रिया को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिलवाया। प्रशिक्षण उपरांत इस डिजिटल प्रणाली को सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर दिया गया।
अस्पतालों में धीमी थी प्रक्रिया, रीवा ने बढ़ाई रफ्तार
रीवा जिले के कई अन्य सरकारी विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली पहले से ही लागू हो चुकी थी, लेकिन अस्पतालों में इस व्यवस्था को लागू करने की गति अपेक्षाकृत धीमी थी। अब संजय गांधी अस्पताल ने इस दिशा में सक्रिय पहल कर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है, जो अन्य अस्पतालों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन में भी अग्रणी भूमिका
संजय गांधी अस्पताल न केवल ई-ऑफिस के क्षेत्र में बल्कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के क्रियान्वयन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहां मरीजों को आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) आईडी से जोड़ा जा रहा है। नए मरीजों की अस्पताल में पहुंचते ही आभा ID बनवाई जा रही है, जिसमें उनका पूरा चिकित्सकीय रिकॉर्ड संकलित रहेगा।
इस डिजिटल व्यवस्था से भविष्य में मरीजों को यह सुविधा मिलेगी कि वे जान सकें उन्होंने अस्पताल में पहले कब इलाज कराया था, कौन-सी दवाएं दी गई थीं और कौन-से परीक्षण हुए थे। इससे दवाओं की पर्ची लेकर आने की जरूरत समाप्त हो जाएगी, क्योंकि चिकित्सक आभा आईडी के माध्यम से सारी जानकारी स्क्रीन पर देख सकेंगे।