MP NEWS : राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन में सहकारिता मंत्री शाह बोले- MP में कृषि,पशुपालन और सहकारिता की काफी संभावनाएं, पेट्रोल पंप चलाएंगी सहकारी समितियां
केंद्रीय गृह एंव सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा- मध्य प्रदेश के अंदर कृषि, पशुपालन और सहकारिता तीनों क्षेत्र में ढ़ेर सारी संभावनाएं हैं। मैं मानता हूं कि हमें हमारी संभावनाओं का शत प्रतिशत दोहन करने के लिए बहुत सारा काम करने की जरूरत है।

भोपाल. केंद्रीय गृह एंव सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा- मध्य प्रदेश के अंदर कृषि, पशुपालन और सहकारिता तीनों क्षेत्र में ढ़ेर सारी संभावनाएं हैं। मैं मानता हूं कि हमें हमारी संभावनाओं का शत प्रतिशत दोहन करने के लिए बहुत सारा काम करने की जरूरत है। सालों पुराना सहकारिता आंदोलन धीरे-धीरे विलुप्त होता जा रहा था। पूरे देश के सहकारिता आंदोलन को देखें तो बहुत संतुलित हो गया था। कुछ राज्यों में सहकारिता आंदोलन आगे बढ़ चुका। ग्रामीण विकास के और आर्थिक विकास के सभी पैमानों में वो योगदान करता था। कुछ जगह इसका सरकारी करण हुआ। कुछ जगह रोका गया और कुछ जगह संपूर्ण विनाश हो गया। अनेक अलग-अलग स्तर पर देश भर का सहकारी आंदोलन बंटा हुआ है। उसका मूल कारण था समय के साथ जो कानूनों में बदलाव होना था वो बदलाव नहीं हुआ।
मेरा सौभाग्य है कि मुझे पहले सहकारिता मंत्री बनाया गया- अमित शाह
शाह ने कहा कि- आजादी के 75 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय बनाकर मुझे मंत्री बनाया। मोहन जी कह रहे हैं उन्हें आश्चर्य हुआ तो थोड़ा मुझे भी आश्चर्य हुआ। साढ़े तीन साल के समय में मोदी जी ने खुद बहुत बारीकी से देखकर सहकारिता आंदोलन में बहुत बड़ा बदलाव लाने का काम किया।
नीयत ठीक हो तो नतीजे भी ठीक होंगे-अमित शाह
सहकारिता मंत्रालय में सबसे पहले मॉडल बायलॉज बनाए और उसे सभी राज्य सरकारों को भेजे। कई पत्रकार अटकलें लगा रहे थे कि मॉडल बायलॉज राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा। कई गैर भाजपा शासित राज्य बायलॉज स्वीकार नहीं करेंगे। मैं कहना चाहता हूं की संपूर्ण भारत में मॉडल बायलॉज को स्वीकार किया गया है। जब आपकी नीयत ठीक हो, परिश्रम करने की वृद्धि हो तो नतीजे भी ठीक ही आएंगे। मैं देश के सभी राज्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि सभी राज्यों ने मॉडल बायलॉज को स्वीकार किया। पैक्स एक समय केवल शार्ट टर्म एग्रीकल्चर फायनांस का काम करते थे, आज 20 ज्यादा कामों में इन्वॉल्व है। 300 से ज्यादा सरकारी योजनाएं आज पैक्स के पास है।
हमने छोटे किसानों को भी बीज की सोसायटी के लिए मौका दिया। हमने सहकारिता के अंदर प्रशिक्षण के लिए सहकारिता का विश्वविद्यालय बनाया। मध्यप्रदेश के अंदर साढ़े 5 करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन है जो देश का 9% है। मध्यप्रदेश फेडरेशन NDDB के साथ आगे बढ़ेगा। अमित शाह ने कहा कि किसान अपना दूध ओपन बाजार में बेचने जाता है तो शोषण होता है। किसानों को कॉरपोरेटिव डेयरी से जोड़कर उन्हें मुनाफा दिया जाए ।
दूध को प्रोसेस कर ज्यादा मुनाफे पर बेचने के लिये प्रोसेसिंग यूनिट लगाना है। मध्यप्रदेश में साढ़े 3 करोड़ लीटर प्लस दूध है। इसका ढाई प्रतिशत से भी कम कॉर्पेरेटिव डेयरी तक पहुंचता है। एमपी के केवल 17 प्रतिशत गांव में ही दूध कलेक्शन की व्यवस्था है, आज के अनुबंध से 83 फीसदी गांव तक कलेक्शन की सुविधा पहुंचने की संभावना है। शहरी दूध की मांग 1 करोड़ 20 लीटर प्रतिदिन है। ग्रामीण विकास और कृषि विकास के आयाम, पशुपालन के आयाम, इन सबको एक जगह पर रखकर केंद्रीय स्तर पर कोई विचार नहीं किया। विचार होता भी कैसे। कोई सहकारिता मंत्रालय ही नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि ट्रेन का टिकट भी पैक्स दे देगा। पेट्रोल पंप भी चलाएगा, पैक्स फर्टीलाइजर का डीलर भी बनेगा। कई सारे कामो से पैक्स को जोड़ा गया। पैक्स के कम्प्युटराइजेशन में मध्यप्रदेश देश मे पहले नंबर है।
कांग्रेस के जमाने में कॉर्पेरेटिव मर गई- अमित शाह
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि गुणवत्ता की जांच और किसानों को हर सप्ताह भुगतान हो इसके लिए नीति निर्माण का काम करना है। 12 लाख से 24 लाख का लक्ष्य बदलना चाहिए। एमपी में अब सुशासन है। वहीं उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के जमाने में कॉर्पेरेटिव मर गई इसको जिंदा करने का ये स्वर्णिम अवसर है। प्रदेश में इसका उपयोग करना चाहिए। सरकार फेडरेशन और NDDB के साथ बैठकर ये तय करें कि 50 प्रतिशत गांव तक डेयरी पहुंचे। फायनान्स की जरूरत पड़ी तो भारत सरकार मदद करेगी। हमारी सरकार, एमपी सरकार को गति जरूर देगी।
मेरे स्वयं के घर की आय दुग्ध उत्पादन - सीएम डॉ.यादव
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने संबोधन के दौरान कहा कि- मेरे स्वयं के घर की बड़ी आय पशुपालन और दूध उत्पादन पर है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि अंबेडकर जयंती पर हमने कामधेनु गोपालन योजना को शुरू की है। कल सेवा योजना शुरू हो जाएगी। यदि कोई 25 गौ माता पालेगा तो उसे 25%अनुदान दिया जाएगा। हमारे कृषि विकास दर में अद्भुत पहचान बनी है, दूध उत्पादन 9% से बढ़ाकर 20% करना है। यदि खेती के लिए जमीन नहीं है तो पशुपालन तो बहुत अच्छे से हो सकता है।
हमारा प्रदेश दूध उत्पादन के लिए अनुकूल है। जिसके घर गाय वो सब गोपाल, जिसके घर में गाय का कुल वो घर-घर गोकुल। इसलिए हम वृंदावन बनाने निकले है। गाय का दूध फैट से लिया जा रहा है। फैट ज्यादा मतलब भैंस का दूध, जब गाय का दूध ही नहीं लिया जाएगा तो गोपालन को बढ़ावा कैसे मिलेगा। अभी तक सभी दुग्ध संघ फैट के मामले में गाय का दूध खरीदने पर हाथ जोड़ते थे। मुझे इस बात से अब संतोष है कि सरकार डंके की चोट पर गौमाता का दूध खरीदेगी और किसानों की जिंदगी बेहतर करने के लिए आगे बढ़ेगी।