सवालों के घेरे में नगर विजयादशमी उत्सव समिति रीवा, घोटाले के आरोप

रीवा की नगर विजयादशमी उत्सव समिति पर बड़े धार्मिक आयोजनों से पहले गंभीर अनियमितताओं और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं। समिति के दो वरिष्ठ सदस्यों सुशील खरे और राजनारायण मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि वर्ष 2018 के बाद से समिति में चुनाव नहीं हुए, पदाधिकारी मनोनीत किए गए और चंदे की राशि में पारदर्शिता नहीं रही।

सवालों के घेरे में नगर विजयादशमी उत्सव समिति रीवा, घोटाले के आरोप

रीवा। आगामी दिनों में होने वाले दशहरे और भरत मिलाप जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों से पहले नगर विजयादशमी उत्सव समिति पर गंभीर अनियमितताओं और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप सामने आए हैं। इसको लेकर समिति के ही दो वरिष्ठ सदस्यों  सुशील खरे और राजनारायण मिश्रा ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता कर समिति की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए।

उन्होंने समिति पर मनमानी, चंदे की राशि में गड़बड़ी, और लंबे समय से चुनाव न कर कार्यकारिणी का गठन न करने जैसे आरोप लगाए हैं। बताया गया कि नगर विजयादशमी उत्सव समिति, जो कि पिछले 50 वर्षों से दशहरा और भरत मिलाप जैसे धार्मिक आयोजनों का आयोजन करती आ रही है, का विधिवत पंजीयन वर्ष 2004 में हुआ था। 

 

समिति का कार्य लंबे समय तक पारदर्शिता से चलता रहा, लेकिन वर्ष 2018 के बाद से इसमें अनियमितताओं की शुरुआत हो गई। सदस्यों का आरोप है कि वर्ष 2018 में समिति में चुनाव नहीं कराए गए, बल्कि मनोनयन प्रक्रिया के जरिए नए पदाधिकारियों को नियुक्त किया गया।

वैभव आर्या की मृत्यु के बाद प्रकाश तरानी और उनके सहयोगियों ने पूरे निर्माणकर्ता सदस्यों की लिस्ट 2022 बदल दी और बिना चुनाव कराए ही स्वघोषित अध्यक्ष बन गए। आरोप है कि खातों में गड़बड़ी है।

सदस्यों ने बताया कि अध्यक्ष प्रकाश तरानी द्वारा धार्मिक समिति को राजनीतिककरण किया जा रहा है समिति का संरक्षक भाजपा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता को बनाया गया जो नियम विरुद्ध है। इस पूरे मामले की शिकायत रीवा कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी सिविल लाइन, सहायक पंजीयक फर्म्स एंड सोसायटी रीवा, और आयुक्त फर्म्स एंड सोसाइटी भोपाल से की गई है।

मांग है कि दशहरा और भरत मिलाप जैसे कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदारी एक अस्थायी समिति को सौंपी जाए, जो शासन के अधीन कार्य करे। समिति की आर्थिक गतिविधियों की उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराई जाए। दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। 

कोषाध्यक्ष के पद पर भी दोहरी स्थिति, दस्तावेजों में भिन्न नाम

सबसे गंभीर आरोप समिति के कोषाध्यक्ष पद को लेकर हैं। समिति द्वारा सार्वजनिक रूप से अमित डिगवानी को कोषाध्यक्ष बताया गया है, जबकि फर्म्स एंड सोसाइटी के रिकॉर्ड में मोहित गुप्ता का नाम दर्ज है।आरोप है कि फर्म और सोसायटी में कोषाध्यक्ष और खाता दूसरा है जबकि लेन देन दूसरे नाम से किया जा रहा है। 

सैलरी, मीटिंग और स्वच्छता के नाम पर राशि गायब

प्रेस वार्ता में सदस्यों ने जो ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की, उसके अनुसार: सैलरी के नाम पर 3,26,000 रुपए की राशि गबन की गई। समिति की बैठकें वर्ष भर में कभी आयोजित ही नहीं हुईं, फिर भी उनके नाम पर 33,950 रुपए  की निकासी दिखाई गई। स्वच्छता कार्यक्रम के नाम पर 1,87,000 रुपए  की राशि खर्च दिखाकर उसका गबन किया गया।