PUBLICVANI EXCLUSIVE: NGO प्रशिक्षण के नाम पर खपा रहे सीएसआर फंड डेढ़ दर्जन ने अनुबंध नवीनीकरण के लिए भेजा प्रस्ताव
स्कूल शिक्षा विभाग में एनजीओ की भरमार, मुफ्त की बिजली-पानी का कर रहे उपयोग

नीरज गौर, भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत राज्य शिक्षा केंद्र में एनजीओ की भरमार है। इन एनजीओ को राज्य शिक्षा केंद्र के सरकारी मुख्यालय में बाकायदा जगह तक दी गई है। शासकीय कर्मचारियों की भांति इन्हें सब सुख-सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं। वर्तमान में सात एनजीओ के साथ अनुबंध है। डेढ़ दर्जन से अधिक एनजीओ ने अनुबंध के नवीनीकरण का प्रस्ताव दिया है। इनमें से अधिकांश एनजीओ सिर्फ प्रशिक्षण के नाम पर सीएसआर फंड को ठिकाने लगा रहे हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग में राज्य शिक्षा केंद्र के अंतर्गत एनजीओ से पार्टनरशिप के तहत एमओयू किया हुआ है। इनकी संख्या करीब 27 है। वर्तमान में सात एनजीओ से अनुबंध है। करीब 20 एनजीओ ने अनुबंध नवीनीकरण के लिए प्रस्ताव दिया हुआ है। यह एनजीओ सीएसआर फंड के माध्यम से स्कूलों में काम करते हैं। अधिकांश एनजीओ स्कूलों में सिर्फ प्रशिक्षण देकर फंड को ठिकाने लगा देते हैं। तीन-चार एनजीओ द्वारा ही स्कूलों में सामग्री प्रदान की जाती है। जबकि पांच एनजीओ के राज्य शिक्षा केंद्र के सरकारी मुख्यालय में जगह दी गई है। यह एनजीओ राज्य शिक्षा केंद्र के दफ्तर से ही संचालित होते हैं। मुफ्त में सरकारी बिल्डिंग में जगह देने के बाद इन्हें सरकारी कर्मचारियों की भांति सभी सुख-सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं। इससे हालत यह हो गए हैं कि राज्य शिक्षा केंद्र के कर्मचारियों के लिए ही बैठने का पर्याप्त स्थान नहीं बचा है।
इनके साथ वर्तमान में अनुबंध
राज्य शिक्षा केंद्र का वर्तमान में मुस्कान ड्रीम क्रिएटिव फाउंडेशन, पीपुल इंडिया, कनविसिनियश प्रायवेट लिमिटेड, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, साइट सेवर इंडिया फाउंडेशन, अक्षर फाउंडेशन, सशक्तिकरण फाउंडेशन के साथ अनुबंध है। जबकि रूम टी रीड, एसआरएफ फाउंडेशन, सोल सार्क, एजुकेट गल्र्स समेत करीब 20 एनजीओ ने अनुबंध नवीनीकरण के लिए प्रस्ताव दिया हुआ है। नवीनीकरण कराने वाले एनजीओ पिछले सत्र तक स्कूल शिक्षा विभाग के साथ काम कर रहे थे।
इनको मुख्यालय में मिली जगह
राज्य शिक्षा केंद्र के मुख्यालय में एनजीओ एजुकेशन अलायंस, पीपुल इंडिया, मुस्कान, सीएसएस फाउंडेशन समेत पांच को जगह मिली हुई है। इन एनजीओ के कर्मचारियों को बड़े-बड़े कक्ष आवंटित हैं। जिससे राज्य शिक्षा केंद्र में काम करने वाले मूल कर्मचारियों के पास जगह ही नहीं बची है।
स्कूलों में भी शिक्षक एनजीओ से परेशान
आजाद शिक्षा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अजय बख्शी कहते हैं कि जितने ज्यादा एनजीओ होंगे, उतना ज्यादा काम बिगड़ेगा। शिक्षक को पढ़ाने के साथ राज्य शिक्षा केंद्र, लोक शिक्षण के दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है। ज्यादा एनजीओ आते हैं, तो ट्रेनिंग के माध्यम से पढ़ाई के पैटर्न में संशोधन करवा देते है। इससे समस्या होती है। उदाहरण के तौर पर पहले एनजीओं के साथ विभाग ने एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग (एबीएल) योजना लागू की। यह बैंगलोर की योजना थी। वहां योजना चली। लेकिन मप्र के जिलों में आदिवासी बाहुल्य, पिछड़े, घुमक्कड़ समेत अन्य परिवारों के बच्चे थे। मप्र में इस योजना को बंद करना पड़ा। इससे पैसा व समय दोनों वेस्ट हुआ। इसके बाद एएलएन योजना लाए। इसे भी बंद करना पड़ा। फिर एनजीओ के माध्यम से शाला सिद्धि शुरू हुई। इसे भी बंद करना पड़ा। कुल मिलाकर इसमें शिक्षकों का समय ही खराब हुआ। प्रायवेट सेक्टर में सिलेक्टेड दो-चार एनजीओ ही होना चाहिए। ज्यादा होने से शिक्षकों का माइंड डायवर्ट होता है। इससे स्कूलों में पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है।
इसलिए हुई एनजीओ की भरमार
स्कूल शिक्षा विभाग का मानना है कि एनजीओ द्वारा विभाग से कोई राशि नहीं ली जाती है। एनजीओ कंपनियों से खुद सीएसआर फंड लाकर उसका स्कूलों में उपयोग करते हैं, इसलिए विभाग को काम करने में कोई परेशानी नहीं है। अभी तक एनजीओं का राज्य शिक्षा केंद्र अपने स्तर पर ही पार्टनरशिप के तहत एमओयू कर लेता था। लेकिन अब इस व्यवस्था में संचालक राज्य शिक्षा केंद्र हरजिंदर सिंह ने बदलाव किया है। अब एनजीओ से एमओयू की फाइल प्रशासकीय स्वीकृति के लिए विभागीय मंत्री के पास तक जाएगी।
क्या होता है सीएसआर फंड
सीएसआर फंड या कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व फंड कंपनियों द्वारा सामाजिक, पर्यावरणीय और सामुदायिक विकास के लिए आवंटित किए गए वित्तीय संसाधन हैं। भारत में कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार कुछ कंपनियों को अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2 फीसदी सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है। यह कानूनी रुप आवश्यक है। जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियां अपने लाभ के साथ-साथ समाज में सकारात्मक योगदान भी दें।
इनका कहना है... कुछ एनजीओ अच्छा काम कर रहे हैं। अब एनजीओ से अनुबंध प्रशासकीय स्वीकृति के बाद ही किया जाएगा।
हरजिंदर सिंह, संचालक राज्य शिक्षा केंद्र