MP News: 25 हजार रुपये से कम फीस लेने वाले निजी स्कूलों को मिली छूट
स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 25 हजार रुपये से कम फीस लेने वाले निजी स्कूलों को बड़ी राहत दी है। इन स्कूलों को ऑनलाइन ब्यौरा देने में छूट दी गई है। यह स्कूल पोर्टल पर अब ऑनलाइन जानकारी दर्ज नहीं करेंगे। इससे करीब 17 हजार स्कूलों को राहत मिलेगी। संचालक लोक शिक्षण केके द्विवेदी ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।

BHOPAL. स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 25 हजार रुपये से कम फीस लेने वाले निजी स्कूलों को बड़ी राहत दी है। इन स्कूलों को ऑनलाइन ब्यौरा देने में छूट दी गई है। यह स्कूल पोर्टल पर अब ऑनलाइन जानकारी दर्ज नहीं करेंगे। इससे करीब 17 हजार स्कूलों को राहत मिलेगी। संचालक लोक शिक्षण केके द्विवेदी ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। दूसरी तरफ 25 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले अधिकांश निजी स्कूलों ने बिना नियमों का पालन किए 10 फीसदी तक फीस बढ़ा दी है। बिलाबांग समेत कई स्कूल ऐसे हैं, जिनकी फीस दस फीसदी से ज्याया बढ़ाई गई है। इनकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर की गई है।
प्रदेश में निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियम) नियम-2020 लागू हो चुका है। इसके नियमों के तहत सभी निजी स्कूलों को पोर्टल पर फीस का ब्यौरा अपलोड करना है। इसकी तिथि 31 मार्च तक रखी गई थी। कुछ स्कूलों ने नियम तिथि तक ब्यौरा अपलोड नहीं किया। इसे देखते हुए संचालक लोक शिक्षण केके द्विवेदी ने निजी स्कूलों को ब्यौरा देने के लिए तिथि बढ़ाते हुए 15 मई तक का समय दिया है। इसके साथ ही 25 हजार रुपये से कम फीस लेने वाले स्कूलों को छूट दी गई है। जारी आदेश में संचालक द्विवेदी ने कहा है कि नियमों में संशोधन की कार्रवाई पूर्ण होने तक ऐसे विद्यालयों जिनकी वार्षिक फीस किसी भी कक्षा के लिए 25000 रुपये से अधिक नहीं है, को पोर्टल पर फीस की संरचना अपलोड करने के लिए बाध्य नहीं है।
बिलाबांग समेत कई स्कूलों ने बढ़ाई दस फीसदी से ज्यादा फीस:
राजधानी में 25 हजार रुपये से ज्यादा फीस लेने वाले अधिकांश निजी स्कूलों ने बिना नियमों का पालन किए ही दस फीसदी तक फीस बढ़ा दी है। बिलाबांग समेत कुछ सीबीएसई स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने अन्य मदों को शामिल कर दस फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाई है। मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की गई है।
फीस नियंत्रण के कानून को पूरी तरह लागू करने की तैयारी
राज्य सरकार निजी स्कूलों की फीस नियंत्रण को लेकर संशोधित कानून को विस्तृत नियम बनाकर इसी बार से लागू करने जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने बीती 11 मार्च को नियमों का प्रारूप जारी कर संबंधित पक्षों से 30 दिन के भीतर आपत्ति एवं सुझाव मांगे थे। इसके आधार पर परीक्षण कर नियमों को अंतिम रूप देकर लागू करने की तैयारी की जा रही है। सरकार की ओर से तैयार किए संशोधन विधेयक के पास होने के बाद 25 हजार तक की स्कूल फीस लेने वाले स्कूल 10 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ा सकेंगे। इसके लिए उन्हें जिला कमेटी से अनुमति लेने की बाध्यता नहीं होगी। प्रदेश में करीब 35 हजार निजी स्कूल संचालित हैं जिनमें से करीबन 17 हजार स्कूल हैं, जिनकी सालाना फीस 25 हजार रुपये से कम है। 25 हजार से ज्यादा फीस वाले निजी स्कूल हर साल दस फीसदी तक फीस बढ़ा सकेंगे। हालांकि इसके लिए तीन साल का प्राफिट एंड लॉस एकाउंट भी देखा जाएगा।
राज्य स्तरीय समिति 45 दिन में करेगी मामले का निपटारा
संशोधित फीस नियंत्रण कानून का पालन करवाने के लिए जिला स्तर पर बनी विभागीय समिति की निगरानी राज्य स्तरीय समिति करेगी। इसके अध्यक्ष विभागीय मंत्री होंगे। राज्य स्तरीय समिति विभागीय समिति द्वारा लगाए जाने वाले दंड को घटा, बढ़ा या फिर निरस्त कर सकेगी। राज्य स्तरीय समिति को 45 दिन के भीतर आपत्तियों का निपटारा करना होगा। किसी भी निजी स्कूल द्वारा 15 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि संबंधी निर्णय के अतिरिक्त सभी मामलों में राज्य स्तरीय विभागीय समिति का निर्णय अंतिम होगा। यही अपील की सुनवाई करेगी और उसका निर्णय अंतिम एवं बंधनकारी होगा।