मुकुंदपुर सहित 6 ग्राम पंचायतो को रीवा में शामिल करने की कवायद से मचा सियासी संग्राम

प्रदेश की प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव की संभावित पहल से विंध्य की राजनीति में हलचल

मुकुंदपुर सहित 6 ग्राम पंचायतो को रीवा में शामिल करने की कवायद से मचा सियासी संग्राम
पब्लिक वाणी

प्रदेश में प्रशासनिक सीमाओं को लेकर नया प्रस्ताव सामने आया है. जिससे विंध्य क्षेत्र की राजनीति गरमा गई है. मामला मैहर जिले की छह ग्राम पंचायतों मुकुंदपुर, आनंदगढ़, पापरा, परसिया, आमीन और धोबहट को रीवा जिले में शामिल करने से जुड़ा है. यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय के जरिए से प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग को भेजा गया है. आयोग ने इन क्षेत्रों का परीक्षण कर मैहर कलेक्टर से भी राय मांगी है. लेकिन, खबर के सामने आते ही राजनीतिक हलकों में विरोध शुरू हो गया है. सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही इस कदम के खिलाफ हैं. खासकर मुकुंदपुर स्थित व्हाइट टाइगर सफारी को लेकर विवाद और भी बढ़ गया है.

रीवा में शामिल करने की उठ रही मांग

वहीं दूसरी ओर, इन छह पंचायतों के ग्रामीणों ने रीवा जिले में शामिल होने की मांग करते हुए सतना कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. उनका कहना है कि रीवा नजदीक है और वहाँ से सुविधाएं जल्दी मिल सकती हैं, जबकि मैहर मुख्यालय बहुत दूर है और वहाँ तक पहुँचना कठिन होता है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे आगामी विधानसभा और पंचायत चुनावों का बहिष्कार करेंगे. इसके अलावा, वे आंदोलन, चक्का जाम और धरना-प्रदर्शन भी करेंगे.

ग्राम सभा से कोई प्रस्ताव नहीं: वार्ड पंच का दावा

मुकुंदपुर ग्राम पंचायत के एक वार्ड पंच ने कहा कि जिस प्रस्ताव का हवाला दिया जा रहा है, वह पूरी तरह गलत है. ग्राम सभा में ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरपंच ने कुछ नेताओं के दबाव में यह प्रस्ताव दिया है.

इतिहास भी रीवा से जुड़ा है, भूगोल भी

स्थानीय वरिष्ठ नागरिक सीता शरण गुप्ता का कहना है कि मुकुंदपुर रीवा से सिर्फ 17 किलोमीटर दूर है, जबकि मैहर जिला मुख्यालय 75 किलोमीटर दूर है और अमरपाटन तहसील 50 किलोमीटर दूर है. आजादी के बाद जब विंध्यप्रदेश बना था, तब मुकुंदपुर रीवा जिले में ही था और 1952 में इसे विधानसभा क्षेत्र भी बनाया गया था. उन्होंने कहा कि मुकुंदपुर और आस-पास की पंचायतों के लोग रीवा में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं. आनंदगढ़ के पूर्व सरपंच मृत्युंजय द्विवेदी ने भी कहा कि लोग सालों से सुविधाओं की कमी से परेशान हैं, और रीवा में शामिल होना एक अच्छा विकल्प है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग केवल राजनीति कर रहे हैं. 

रीवा से जुड़ाव से मुकुंदपुर को पहचान मिली

समाजसेवी जुगुल किशोर प्यासी ने कहा कि मुकुंदपुर और ताला क्षेत्र को रीवा में शामिल करने से आम लोगों को फायदा होगा. रीवा से जुड़ने से लोगों का समय और पैसा दोनों बचेंगे. गरीब तबके के लोग भी अपने जरूरी काम आसानी से कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि नेताओं को इससे नुकसान हो सकता है, लेकिन आम जनता को बहुत फायदा होगा।

व्हाइट टाइगर सफारी बना विवाद की वजह

इस विवाद की जड़ व्हाइट टाइगर सफारी है. सफारी के कारण इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है और प्रशासन को अच्छा राजस्व भी मिल रहा है. पहले यह सफारी सतना जिले में आती थी, लेकिन मैहर को जिला बनाए जाने के बाद यह मैहर जिले में आ गई. अब भी यह सफारी रीवा जिले की वेबसाइट पर दिखाई देती है, जिससे विवाद और गहरा गया है. लोगों का मानना है कि यह सफारी उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के प्रयासों से मुकुंदपुर में बनी है.