400 करोड़ का घोटाला! EOW ने दर्ज किए 21 केस, 19 अफसर रंगे हाथों पकडे गए

रीवा संभाग में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने 21 नए केस दर्ज किए, वहीं लोकायुक्त ने 19 ट्रैप कार्रवाई में अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा। हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद भ्रष्ट अधिकारियों में कानून का कोई डर नहीं है।

400 करोड़ का घोटाला! EOW ने दर्ज किए 21 केस, 19 अफसर रंगे हाथों पकडे गए

भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) और लोकायुक्त संगठन लगातार सक्रिय है, लेकिन इसके बावजूद सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

जनवरी 2025 से सितंबर 2025 तक के मात्र नौ महीनों में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने 21 नए प्रकरण दर्ज किए हैं, वहीं लोकायुक्त ने 19 ट्रैप कार्रवाईयों में भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ा है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकांश मामलों में आरोपी अधिकारी बेखौफ नजर आते हैं। न चेहरे पर शिकन, न ही कानून का खौफ। यही कारण है कि कार्रवाई के बावजूद रिश्वत का बाजार ठंडा नहीं पड़ रहा है।

बता दे EOW द्वारा दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा अनियमितताएं धान उपार्जन से जुड़ी पाई गईं। रीवा और शहडोल संभाग के कुछ अफसरों ने कार्रवाई के डर से बाद में शासन को करीब 8 करोड़ रुपए की राशि वापस जमा कराई। हालांकि, अब तक का सबसे बड़ा घोटाला जीएसटी विभाग से जुड़ा है।

इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, सिंगरौली और सतना से 62 से अधिक मामलों में टैक्स चोरी के मामले उजागर हुए, जिसमें कुल लेन-देन की राशि 400 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है। जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ रहा है, इसमें मध्य प्रदेश के बाहर के लोगों के नाम भी सामने आ रहे हैं।

रीवा संभाग की स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि जो अधिकारी रिश्वत नहीं लेता, उसे भोला बाबू कहा जाता है, जबकि जो खुलेआम पैसा मांगता है, उसे काबिल अफसर समझा जाता है।

CMO ऑफिस, कोषालय, जिला शिक्षा कार्यालय और तहसीलें रिश्वतखोरी के सबसे बड़े अड्डे बन गए हैं।

यहां तक कि सेवानिवृत्त कर्मचारी भी वर्षों तक अपने बकाया भुगतान के लिए कार्यालयों के चक्कर काटते रहते हैं।

लोकायुक्त में हर महीने दो ट्रैप, फिर भी रिश्वत जारी

जनवरी से सितंबर 2025 तक लोकायुक्त संगठन ने 19 ट्रैप केस दर्ज किए हैं  यानी औसतन हर महीने दो भ्रष्ट अधिकारी रंगे हाथ पकड़े गए। इसमें पंचायत, राजस्व, पुलिस, स्कूल शिक्षा, आदिम जाति कल्याण, महिला एवं बाल विकास, जनपद कार्यालय जैसे विभाग शामिल हैं।

इनमें हाल ही का एक मामला चौंकाने वाला रहा, जहां लोकायुक्त कार्यालय के पास ही महिला बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़ा गया।

नहीं डरते भ्रष्टाचारी

लोकायुक्त और EOW की टीम लगातार काम कर रही है फिर भी भ्रष्ट अधिकारी बेखौफ हैं। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं। निलंबन के बाद बहाली की गारंटी, भ्रष्ट अधिकारियों को पता है कि निलंबन एक अस्थाई प्रक्रिया है और कुछ समय बाद उनकी बहाली हो जाएगी।

कोर्ट में केसों का लंबा खिंचना, कानूनी प्रक्रिया इतनी धीमी है कि केस सालों तक चलते रहते हैं। अधिकारियों की आपसी मिलीभगत कई बार विभागों के भीतर ही एक दूसरे को बचाने की आपसी समझदारी काम करती है।

जब तक जेल नहीं होगी, सुधार नहीं होगा

बता दे जब तक रंगे हाथ पकड़े गए आरोपी को तत्काल गिरफ्तारी, त्वरित ट्रायल और कड़ी सजा नहीं दी जाएगी, तब तक भ्रष्टाचार थमने वाला नहीं। केवल निलंबन से व्यवस्था पर असर नहीं पड़ता, बल्कि इससे भ्रष्टाचारियों को एक अस्थायी विराम मिल जाता है।

सख्ती की जरूरत है।  यह जिम्मेदारी सरकारी विभाग के प्रमुखों की है कि वे कार्यालय में अनुशासन और भ्रष्ट कार्यप्रणाली पर अंकुश लगाएं। इसके लिए विभाग प्रमुख को खुद पर अनुशासन और आम जन के लिए उपलब्धता और उनके कार्य के प्रति गंभीरता बनाए रखनी होगी जिससे अधीनस्थ सबक लें।

इनका कहना है 

लोकायुक्त रीवा संभाग अंतर्गत लगातार रिश्वत की मांग करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है कुछ प्रकरणों में रंगे हाथ तो कुछ रिश्वत की मांग के आधार पर ट्रैक किया गए है मेरा सभी से निवेदन है यदि किसी सामान्यजन से किसी प्रकार की रिश्वत की मांग की जाती है तो वह बेखौफ होकर लोकायुक्त कार्यालय आ सकते हैं यहां की विधिवत प्रतिक्रिया के पालन करते हुए कार्रवाई की जाएगी । 

सुनील पाटीदार पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संगठन रीवा संभाग । 

किसी भ्रष्टाचार संबंधित शिकायत या रिश्वत की मांग संबंधित कोई भी सूचना आती है तो EOW तत्काल कार्रवाई करती है, भ्रष्टाचार संबंधित शिकायत मिलने पर पहले गुण दोष के आधार पर जांच की जाती है जांच में दिए गए तथ्यों के अनुसार पाए जाने पर अपराध पंजीबद्ध किया जाता है निश्चित तौर पर अपराध पंजीवद करने का एक असर होता है यदि कोई भ्रष्टाचार संबंधित अपराध पंजीबद्ध किया जाता है दंडवत कार्रवाई की जाती है तो उसका मैसेज अच्छा जाता है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है।

डॉ. अरविंद सिंह ठाकुर पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू संगठन रीवा संभाग।