कुत्ते के काटने से मासूम की हालत बिगड़ी, करने लगा जानवर जैसी हरकतें, इलाज के अभाव में मौत

रीवा शहर के नरेंद्र नगर में एक 14 वर्षीय बालक नितिन को आवारा कुत्ते ने गर्दन पर काट लिया। समय पर रेबीज के इंजेक्शन देने के बावजूद इलाज की लापरवाही और चिकित्सा संसाधनों की कमी के चलते बच्चे की हालत बिगड़ती गई। जब नितिन कुत्तों जैसी हरकतें करने लगा तो डॉक्टरों ने इलाज से इनकार कर दिया, प्रयागराज ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई .

कुत्ते के काटने से मासूम की हालत बिगड़ी, करने लगा जानवर जैसी हरकतें, इलाज के अभाव में मौत

 रीवा शहर में मानवता को झकझोर देने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। जहां नरेंद्र नगर मोहल्ले में मौसी के घर आए 14 वर्षीय मासूम को आवारा कुत्ते ने गर्दन पर काट लिया। घायल बालक को समय रहते रेबीज के इंजेक्शन तो लगाए गए, लेकिन इलाज की लापरवाही और चिकित्सा संसाधनों की कमी ने मासूम की जान ले ली।

हालत बिगड़ने पर जब बच्चा कुत्ते जैसी हरकतें करने लगा, तब डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए। अंततः इलाज के लिए प्रयागराज ले जाते वक्त बच्चे की मौत हो गई। बता दे मूल रूप से ग्राम पहाड़िया थाना मंनगवा निवासी रमेश नट का 14 वर्षीय पुत्र नितिन 16 जून को अपनी मौसी के घर नरेंद्र नगर, रीवा आया हुआ था।

घटना के दिन वह घर के बाहर खेल रहा था, तभी मोहल्ले के एक आवारा कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया और गर्दन में गंभीर रूप से काट लिया।परिजन घायल बच्चे को तत्परता से जिला अस्पताल बिछिया ले गए, जहां उसे समय समय पर रेबीज के तीन टीके लगाए गए। चौथा इंजेक्शन 14 जुलाई को लगना था, लेकिन इसी बीच नितिन की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी।

परिजन जब उसे लेकर रीवा के संजय गांधी अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने बच्चे की हालत देख चौंक गए। नितिन अब कुत्तों जैसी हरकतें करने लगा था, डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि बच्चे को पूरी तरह से रेबीज का इन्फेक्शन हो चुका है और अब उसका इलाज संभव नहीं है। चिकित्सकों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया। 

परिजन कई बार इलाज की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। आखिरी समय में प्रयागराज ले जाते वक्त भी उसे सही चिकित्सा नहीं मिल सकी और रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।

आवारा कुत्तों का आतंक

इन दिनों शहरी इलाकों में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या आमजन की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। नगर निगम और जिला प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है, जबकि लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।