अक्टूबर में झमाझम बरसात से रीवा तर, 24 साल पुराना रिकॉर्ड टूटने की कगार पर
रीवा जिले में इस वर्ष मानसून समय से पहले सक्रिय हो गया, जिससे जून के पहले सप्ताह से ही लगातार और संतुलित बारिश का दौर शुरू हो गया। किसानों ने खरीफ फसलों की रिकॉर्ड बुआई की, और खेतों में हरियाली छा गई। अब अक्टूबर में भी बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है।

इस वर्ष मानसून ने रीवा जिले में समय से पहले दस्तक दी और शुरुआती जून से ही झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया था। लगातार और संतुलित वर्षा ने किसानों की उम्मीदों को पंख लगाए, खेतों में हरियाली छा गई और इस बार खरीफ फसलों की बुआई रिकॉर्ड स्तर पर हुई।
लेकिन अब, सितंबर बीतने और अक्टूबर का महीना शुरू हो जाने के बाद भी बरसात थमने का नाम नहीं ले रही है। आसमान पर घने बादलों ने पिछले कई दिनों से डेरा जमा रखा है। शुक्रवार को फिर से मौसम का मिजाज बदला और दोपहर से शुरू हुई बारिश देर रात तक जारी रही।
कभी तेज तो कभी धीमी फुहारों ने पूरे जिले को भीगो दिया। मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार देर शाम बजे तक 34.8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, और आगामी 24 घंटे तक वर्षा जारी रहने की संभावना जताई गई है। विभाग ने जिले के अधिकांश स्थानों पर गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की चेतावनी भी दी है।
बता दे जून माह के प्रथम सप्ताह में ही मानसून सक्रिय हो गया था। शुरुआती बारिश ने फसलों की बुआई में तेजी लाई। खेतों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता से किसानों ने इस बार कोई भूमि परती नहीं छोड़ी। नतीजतन खरीफ फसलों का रकबा पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।
जारी आंकड़ों के अनुसार एक जून से गुरुवार तक जिले में औसत वर्षा 1044.6 मिलीमीटर दर्ज की गई है। जिसमें हुजूर में 1189.9 मिमी, रायपुर कर्चुलियान में 812.6 मिमी, गुढ़ में 1202 मिमी, सिरमौर में 673.8 मिमी, त्योंथर में 617 मिमी, सेमरिया में 790 मिमी, मनगवां में 740 मिमी तथा जवा में 530 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
गतवर्ष इसी अवधि में जिले की औसत वर्षा मात्र 617 मिमी थी, जबकि इस वर्ष लगभग दोगुनी बारिश दर्ज की गई है।
अक्टूबर में सावन-सी रिमझिम, टूट सकता है 24 साल पुराना रिकॉर्ड
इस बार की वर्षा ने मौसम विभाग के पुराने आंकड़ों को भी चुनौती दे दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि 24 वर्ष पूर्व वर्ष 2001 में अक्टूबर माह के दौरान जिले में 196.4 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी, जो उस समय का सर्वाधिक मासिक आंकड़ा था। उस वर्ष पूरे अक्टूबर में कुल 218.1 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई थी।
अब 3 अक्टूबर तक ही 34.8 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है और बादलों की निरंतर सक्रियता को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि यह अक्टूबर भी दो दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
शहर में जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त
लगातार हो रही वर्षा ने शहर के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया। कॉलेज चौराहा रोटरी के चारों ओर पानी भरने से यातायात व्यवस्था चरमरा गई। यह मुख्य मार्ग पहले से ही गड्ढों से भरा है, जिनमें बारिश का पानी भरने से वाहनचालक बार-बार फंसते रहे।
कई जगह दोपहिया वाहन फिसले और लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। करहिया मार्ग, सीएमएचओ कार्यालय रोड, पुरानी बस्ती, अस्पताल रोड और अन्य कॉलोनियों में भी जलभराव से लोग परेशान रहे। नगर निगम के अमले को पानी निकासी के लिए दिनभर मशक्कत करनी पड़ी।
उमस से राहत, अब ठंड की दस्तक के आसार
सप्ताह भर पहले तक तेज धूप और उमसभरी गर्मी से शहरवासी परेशान थे। लेकिन पिछले तीन दिनों की लगातार वर्षा ने तापमान में गिरावट ला दी है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह बारिश उमस को समाप्त कर शीत ऋतु की आहट लेकर आई है।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह 7 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है, जो ठंड की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में अब मौसम के करवट बदलने और गर्मी की विदाई के साथ ठंड के आरंभ के संकेत मिल रहे हैं।