जनसुनवाई : कलेक्ट्रेट से गायब हुए दस्तावेज! भू माफिया के दबाव में रीवा कलेक्टर..? 

रीवा जिले के नईगढ़ी निवासी राघवेंद्र दुबे ने जनसुनवाई में कलेक्टर कार्यालय को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। हाईकोर्ट जबलपुर ने 15 दिनों के भीतर दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश को नजरअंदाज कर दिया गया। राघवेंद्र का आरोप है कि कलेक्टर खुद भू-माफियाओं के दबाव में काम कर रही हैं और दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं।

जनसुनवाई : कलेक्ट्रेट से गायब हुए दस्तावेज! भू माफिया के दबाव में रीवा कलेक्टर..? 

रीवा, मऊगंज | 23 सितंबर 2025

रीवा जिले के नईगढ़ी तहसील के रहने वाले राघवेंद्र दुबे मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे, जिसमें उन्होंने कलेक्टर कार्यालय को घेरते हुए सीधे तौर पर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।

पीड़ित राघवेंद्र दुबे का कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन के नक्शे में पटवारी विवेक तिवारी द्वारा जानबूझकर हेराफेरी की गई, ताकि उनके ससुराल वालों को फायदा पहुंचाया जा सके। राघवेंद्र का आरोप है कि कई सालों से वो तहसील, कलेक्टर कार्यालय और जनसुनवाई में चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें ना तो नक्शे की सही कॉपी दी गई, ना ही कार्रवाई हुई।

हाईकोर्ट का आदेश नहीं माना गया

राघवेंद्र दुबे ने बताया कि उन्होंने मजबूर होकर माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में याचिका (WP-27778/2023) दायर की थी। कोर्ट ने साफ-साफ आदेश दिया कि 15 दिन के अंदर उनके दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ।

 "दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं" - राघवेंद्र दुबे

राघवेंद्र का आरोप है कि तहसील कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय ने जानबूझकर उनकी फाइल गायब कर दी है, और अब न तो उन्हें उसकी कॉपी दी जा रही है, न ही सुनवाई हो रही है। उनका कहना है कि इस पूरे मामले में कुछ राजस्व अधिकारी और भू-माफिया शामिल हैं, जो लगातार दबाव बना रहे हैं।

"कलेक्टर मैडम भू-माफिया के दबाव में" - गंभीर आरोप

फरियादी राघवेंद्र ने रीवा की कलेक्टर मैडम पर भी सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि, “कलेक्टर मैडम पर भी भू-माफियाओं का दबाव है, इसलिए वो हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करवा रहीं। मैंने कई बार आवेदन दिया, लेकिन मेरी फाइल को दबा दिया गया। न्याय नहीं मिल रहा, बल्कि मुझे परेशान किया जा रहा है।”

जनसुनवाई में बार-बार पहुंचे पर कोई कार्रवाई नहीं 

राघवेंद्र ने बताया कि वो कई सालों से जनसुनवाई में आ रहे हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है, कार्रवाई नहीं होती।

जानकारी के लिए:

मऊगंज अब रीवा से अलग होकर एक स्वतंत्र जिला बन चुका है, लेकिन विभाजन से पहले के कई प्रशासनिक प्रकरण आज भी रीवा कलेक्ट्रेट में चल रहे हैं। इसकी वजह यह है कि जिला बनने के बाद भी कई पुराने केसों की फाइलें, दस्तावेज और प्रक्रिया पूरी तरीके से मऊगंज स्थानांतरित नहीं की गई हैं।