रीवा के कॉलेजों में हो रही राजनैतिक गतिविधियां, NSUI करेगा आंदोलन

रीवा में एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष पंकज उपाध्याय ने प्रेस वार्ता में विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शिक्षकों द्वारा राजनीतिक संगठनों से जुड़ाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।

रीवा के कॉलेजों में हो रही राजनैतिक गतिविधियां, NSUI करेगा आंदोलन

रीवा। एनएसयूआई जिला अध्यक्ष पंकज उपाध्याय ने एक प्रेसवार्ता में विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षा के बजाय राजनीतिक गतिविधियों के बढ़ते प्रभाव पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई शिक्षक और प्राचार्य सत्तारूढ़ दल के संगठनों के सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो कि शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक है।

उपाध्याय ने कहा कि ए.जी. कॉलेज रीवा के असिस्टेंट प्रोफेसर रघुराज किशोर एक ओर जहां अध्यापन कार्य में हैं, वहीं दूसरी ओर वे भारतीय जनता पार्टी के आनुषंगिक संगठन एबीवीपी के महाकौशल प्रांत के प्रमुख पद पर भी कार्यरत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रघुराज किशोर द्वारा संगठन को कॉलेज स्तर पर सुविधाएं व आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं और नियुक्तियों में भी उनका हस्तक्षेप है।

दूसरे मामले में उपाध्याय ने विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा एबीवीपी के एक कार्यक्रम हेतु जारी आदेश पत्र को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में छात्रों व शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति का आदेश लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और यह कुलपति की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।

प्रेस वार्ता में उन्होंने विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सुनील पांडे पर भी आरोप लगाया कि वे एबीवीपी के प्रांत अध्यक्ष होने के नाते संगठन के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं, मंच साझा करते हैं और संगठनात्मक बैठकों में भाग लेते हैं। ऐसे शिक्षकों को राजनीति में जाना चाहिए, न कि शिक्षक पद पर बने रहना चाहिए। 

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इसी तरह इंदौर में आयोजित राज्य स्तरीय कूडो प्रतियोगिता में एबीवीपी के बैनर का उपयोग और विश्वविद्यालय के खेल विभाग के सहयोग की भी उन्होंने आलोचना की। उन्होंने कहा कि शिक्षक यदि किसी संगठन के पद पर कार्यरत हैं तो यह सेवा नियमों का उल्लंघन है।

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उपाध्याय ने बताया कि एनएसयूआई इन मामलों को लेकर प्रदेशव्यापी अभियान चलाएगी और संबंधित शिक्षकों को बीजेपी सदस्य के रूप में प्रतीकात्मक नेम प्लेट भेंट कर, उनसे अपील करेगी कि वे खुले तौर पर राजनीतिक कार्य करें और छात्रों के मुद्दों से खुद को अलग करें। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह पक्षपातपूर्ण रवैया बंद नहीं हुआ तो एनएसयूआई आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।