रीवा में अनुकंपा नियुक्ति घोटाला: 37 में से 5 फर्जी नियुक्तियां, दो वरिष्ठ अधिकारी निलंबित
रीवा जिले में बड़ा अनुकंपा नियुक्ति घोटाला सामने आया है, जहां 14 मार्च 2024 से 31 मई 2025 तक की गई 37 अनुकंपा नियुक्तियों में से 5 फर्जी पाए गए। कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति देने के आरोप में जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है।

रीवा में अनुकंपा नियुक्तियों के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। 14 मार्च 2024 से 31 मई 2025 तक के एक वर्ष की अवधि में की गई 37 अनुकंपा नियुक्तियों की जांच में 5 नियुक्ति फर्जी पाए गए हैं। इन प्रकरणों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। डीईओ सुदामा लाल गुप्ता पर पदीय कर्तव्यों में लापरवाही बरतने का आरोप है। वहीं अखिलेश मिश्रा, जो इन नियुक्तियों के लिए नोडल अधिकारी थे, उन पर भी समुचित परीक्षण में गंभीर लापरवाही का आरोप है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर रीवा के प्रस्ताव पर दो वरिष्ठ अधिकारियों—जिला शिक्षा अधिकारी डीईओ सुदामा लाल गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा—को निलंबित कर दिया गया है। दोनों अधिकारियों के खिलाफ म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत निलंबन की कार्यवाही की गई है।
बृजेश कुमार कोल बना खुलासे की वजह
इस पूरे मामले की शुरुआत बृजेश कुमार कोल के अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण से हुई। बिना माता-पिता की सरकारी सेवा के, उनके नाम पर की गई नियुक्ति ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद जब एक वर्ष की नियुक्तियों की जांच कराई गई, तो 5 मामलों में फर्जीवाड़ा सामने आया।
अब तक 7 एफआईआर, लेकिन गिरफ्तारी नहीं
इस घोटाले में अब तक 7 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें 6 फर्जी नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थी और एक शिक्षा विभाग का शाखा प्रभारी शामिल है। अधिवक्ता बी.के. माला ने इस संबंध में कमिश्नर से शिकायत करते हुए इन अधिकारियों के विरुद्ध भी एफआईआर की मांग की है। भोपाल तक भी शिकायत पहुंच चुकी है, लेकिन अभी तक पुलिस की कार्रवाई धीमी बनी हुई है। सिविल लाइन थाने में केस दर्ज होने के बावजूद अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पुलिसिया जांच सवालों के घेरे में
अवैध अनुकंपा नियुक्तियों के खुलासे के बाद अब जांच प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। सिविल लाइन थाना में दर्ज प्रकरणों के बावजूद अब तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी न होना स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है। मामले में सात व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकियाँ दर्ज की जा चुकी हैं, लेकिन गिरफ्तारी की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। यदि इनमें से किसी एक व्यक्ति की भी गिरफ्तारी होती है, तो पूरे रैकेट का खुलासा हो सकता है। मगर ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस पर किसी प्रकार का दबाव है, जिसके कारण कार्रवाई में जानबूझकर देरी की जा रही है।
एसडीएम हुजूर के नेतृत्व में खंगाले जाएंगे तीन साल के रिकॉर्ड
कमिश्नर ने एसडीएम हुजूर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह टीम इसके पहले के तीन सालों के रिकार्ड और खंगालेगी। ऐसी संभावना है कि पहले भी इस तरह से फर्जी अनुकंपा नियुक्तियां की गई हैं। यदि जांच में और फर्जीवाड़ा पकड़ा गया तो पूर्व के डीईओ सहित डीईओ कार्यालय में पदस्थ अन्य अधिकारी भी लपेटे में आ जाएंगे। इसमें सबसे ऊपर नाम पूर्व डीईओ गंगा प्रसाद उपाध्याय का नाम आ रहा है। उनका रिटायरमेंट भी चंद महीने बाद है। ऐसे में रिटायरमेंट के पहले ही उन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।