उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज, दिल्ली HC ने कहा WhatsApp ग्रुप से दंगे भड़काए

साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों की साजिश केस से जुड़े आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 9 की जमानत याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं.

उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज, दिल्ली HC ने कहा WhatsApp ग्रुप से दंगे भड़काए
GOOGLE

साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों की साजिश केस से जुड़े आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 9 की जमानत याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं. इन्होंने ट्रायल कोर्ट से जमानत याचिका खारिज किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को बड़े पैमाने पर इकट्ठा करने के लिए सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ भाषण दिए थे.

कोर्ट आरोपियों के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि दंगों के समय शरजील इमाम और उमर खालिद दिल्ली में नहीं थे. 

WhatsApp ग्रुप से लोगों को भड़काया

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि शरजील इमाम और उमर खालिद सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के पारित होने के बाद दिसंबर 2019 में सबसे पहले कार्रवाई करने वाले व्यक्ति थे. इन लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर और मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में पर्चे बांटकर विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम का आह्वान किया था. जिसमें जरूरी चीजों की आपूर्ति रोकना भी शामिल था.

53 लोगों की मौत हुई

फरवरी 2020 में हुई हिंसा में 53 लोगों की जान गई थी. आम जनता और पुलिस अधिकारी घायल हुए और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा, इसलिए अपीलकर्ता जमानत के हकदार नहीं हैं.

CAA के खिलाफ विरोध

साल 2020 फरवरी में CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में सांप्रदायिक हिंसा भड़की, जिसमें 54 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा घायल हुए.

HC से याचिकाएं खारिज

उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर दंगों का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा. उन पर गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम (UAPA) और IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था.

अगस्त 2020 में शरजील इमाम को एक बड़ी साजिश के मामले में गिरफ्तार किया गया. सितंबर 2020 में उमर खालिद को गिरफ्तार किया. 2022 में निचली अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं. 2022 से 2024 तक कई आरोपियों ने निचली अदालतों के जमानत खारिज करने के आदेशों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिकाएं लगाईं. 9 जुलाई 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था.