मध्यप्रदेश में 8 महीने में 36 बाघों की मौत, क्या कारण हैं?
मध्यप्रदेश में इस साल 8 महीनों में 36 बाघों की मौत हुई है, जिससे बाघों की घटती संख्या पर चिंता बढ़ी है।
मध्यप्रदेश को "Land of Tigers" कहा जाता है। लेकिन बीते कुछ समय में यहां बाघों की संख्या में कमी आई है। बीते 8 महीने में मध्यप्रदेश में 36 बाघों की मौत हुई है। इनमें कुछ बाघ बूढ़े थे तो कुछ शावक भी।
रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में कुल बाघों की संख्या 3,682 है। भारत में दुनिया की बाघ आबादी का लगभग 70% हिस्सा है। इनमें से 785 बाघ मध्यप्रदेश में हैं जबकि 563 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे नंबर पर है। बीते कुछ सालों की बात करें तो बाघों की संख्या में तेजी देखी गई है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मुताबिक 2010 में बाघों की संख्या 1,706 थी जो 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई।

लेकिन कुछ महीनों से बाघों की संख्या में कमी देखी जा रही है। हाल ही में मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े ने बताया कि प्रदेश में रिजर्व क्षेत्र और जंगलों में बाघों की काफी संख्या में मौतें हो रही हैं जिसका कारण पता नहीं चल पा रहा।
NTCA की रिपोर्ट के अनुसार 23 अगस्त 2025 तक मध्यप्रदेश में मरने वाले बाघों की संख्या 36 है। साल 2024 में ये संख्या 50, 2023 में 43, 2022 में 34 और 2021 में 41 थी। इस साल मरने वाले बाघों में 5 से 8 साल की उम्र की 9 बाघिन भी हैं जो बाघों की संख्या बढ़ाने में मददगार साबित होतीं हैं। बीते कुछ महीनों में सतपुड़ा, पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व से भी बाघों की मौत के मामले आए हैं।

बाघों के मरने की वजह क्या है?
इंटरनेशनल लेवल पर बाघ की खाल, हड्डी, नाखूनों की डिमांड होती है जिसकी वजह से शिकारी बाघ का शिकार करते हैं। शाकाहारी वन्यजीवों की कमी बढ़ रही है जिससे बाघों के बीच आपसी संघर्ष जैसी स्थिति बन रही है। जंगलों में आग, कटाई, गवर्नमेंट प्रोजेक्ट्स की वजह से जंगलों का दायरा घट रहा है जिससे उनके रहने की जगह कम हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग, तापमान बढ़ने से बाघों में बीमारी का खतरा बढ़ा है जिससे उनकी मृत्यु दर में तेजी आई है। उम्र, बीमारी या चोटें आने से, इंसानी बस्तियों के पास आने से। इसके साथ ही बाघों की हड्डियों से दवाइयां बनती हैं। चीन, वियतनाम और म्यांमार जैसे देश इसके खरीदार हैं इसलिए इनका शिकार बढ़ा है।

इसके अलावा वन अधिकारियों की लापरवाही भी बाघों की मौत की बड़ी वजह है। कई बार अधिकारी बाघों की मौत की वजह आपसी संघर्ष बता देते हैं जबकि असल वजह कुछ और होती है। बाघों की समय-समय पर निगरानी न करना, हेल्थ चेकअप न करना भी बाघों की घटती संख्या की वजह है।
सरकार ने 1973 में 'प्रोजेक्ट टाइगर' शुरू किया, जिसका उद्देश्य बाघों की घटती संख्या को रोकना और उनकी आबादी में वृद्धि करना था। वर्तमान में प्रोजेक्ट टाइगर का दायरा बढ़कर 58 बाघ अभयारण्यों तक पहुंच गया है लेकिन देश में अब भी करीब 35% टाइगर रिजर्व सुधार की मांग कर रहे हैं। फिलहाल मध्यप्रदेश टाइगर रैंकिंग में देश में नंबर 1 पर है, लेकिन अगर ऐसे ही मौतें जारी रहीं, तो भविष्य में यह स्थिति बदल भी सकती है।


