Amera Coal Mine: परसोढ़ी कला गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में 300 ग्रामीण उतरें
3 दिसंबर को गांव के लोगों और पुलिस में झड़प हो गई जिससे कई लोग घायल हुए है. सरकार ने विरोध को गैरकानूनी बताया, लेकिन ग्रामीण अपनी जमीन के लिए लड़ाई जारी रखे हुए हैं.
Amera Coal Mine: छत्तीसगढ़ के परसोढ़ी कला गांव के लोग अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं और सरकार का कहना है कि यह लड़ाई गैरकानूनी है। 2016 में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में अमेरा कोयला खदान के एक्सटेंशन के लिए परसोढ़ी कला गांव की 100 एकड़ जमीन टेक ओवर कर ली। इनमें से कई लोगों को सरकार ने मुआवजा दे दिया, लेकिन कुछ लोगों ने मुआवजा नहीं लिया। उनका कहना था कि यह उनकी जमीन है और वे इसे सरकार को नहीं देना चाहते।

इसके बाद उन्होंने कलेक्टर कोर्ट में शिकायत कर दी, लेकिन कोर्ट ने लोगों की बात सुनने के बजाय उन्हें compensation देने के आदेश दे दिए और SECL कंपनी को माइनिंग की अनुमति दे दी। इसे लेकर गांव के लोग कई दिनों से खदान के पास धरना दे रहे थे।

छत्तीसगढ़ सरगुजा ज़िले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम परसोडिकला का आज का दृश्य लोकतंत्र को शर्मिंदा करने वाला है जहां गुजरात की एक निजी कंपनी से सरकारी खदान में उत्खनन कराया जा रहा है, और विरोध कर रहे स्थानीय ग्रामीणों पर पुलिस का लाठीचार्ज और आंसू गैस बरसाई गई।
300 villagers protest against land acquisition in Parsodhi Kala village. For Extension of SECL, Amera coal mine. Villagers demanding their own land from govt. & the police firing tear gas shells to disperse them.#Chhattisgarh #protest #ParsodhiKalavillage pic.twitter.com/mKMLCM2Ycp
— Muskan Gupta (@VTMuskanGupta) December 4, 2025
जब 3 दिसंबर को कंपनी ने माइनिंग का काम शुरू किया, तो गांव वालों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पुलिस ने लोगों पर लाठी-डंडे बरसाए। इस झड़प में दोनों तरफ से लोग घायल हुए। गांव के अपर कलेक्टर ने कहा कि Land Acquisition का काम 2016 में पूरा हो गया था और गांव वालों का विरोध गैरकानूनी है।

सवाल यह है कि क्या अपनी जमीन के लिए सरकार से लड़ना गलत है? हर साल कितनी ही जमीनें सरकार या तो कंपनियों को बेच देती है या सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए जब्त कर लेती है। परसोढ़ी कला गांव के लोगों की लड़ाई गलत है?
पत्थर, लाठी आँसू गैस के गोले ये सब छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित अमेरा कोयला खदान के लिए हो रहा है। आदिवासी अपने जंगल - जमीन को खदान के लिए देना नहीं चाहते सरकार जबरन छीनना चाहती है।
— Alok Shukla (@alokshuklacg) December 3, 2025
शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक आंदोलनों को अनसुना करके पुलिसिया दमन पर अब लोग भी उग्र हो रहे हैं।… pic.twitter.com/xtBOmFB4ID


