गाड़ियों के लिए कितना सही है एथेनॉल वाला पेट्रोल? रूस से तेल सस्ता, जनता को फायदा क्यों नहीं?
आज के एक्सप्लेनेर में जानें की एथेनॉल बेस्ड ई20 (E20) फ्यूल है क्या? क्या इससे हमारी गाड़ियों को नुकसान होगा? साथ ही जब पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाया जा रहा हैं तो पेट्रोल के दामों में कमी क्यों नहीं आ रही है?

सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितम्बर को पेट्रोल में एथेनॉल (Ethanol) मिलाने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा की कोई बाहरी व्यक्ति हमें ये नहीं बातएगा की हमें कैसा पेट्रोल इस्तेमाल करना चाहिए। ये याचिका ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले वकील अक्षय मल्होत्रा ने लगाई थी. याचिकाकर्ता का कहना था की भारत में पेट्रोल पंप पर एथेनॉल वाला पेट्रोल मिल रहा है जो की गाड़ियों को नुकसान पहुंचा रहा हैं. लोगों को कम से कम ऑप्शंस देने चाहिए की वो कौन सा पेट्रोल गाड़ियों में डलवाना चाहते है.
If ethanol lobby can buy ministers why can’t they buy supreme court judges who primarily sell justice to highest bidder?#E20Scam #E20Petrol #E20 pic.twitter.com/eoo4es1wnJ
— Civic Opposition of India (@CivicOp_india) September 1, 2025
एथेनॉल क्या है?
एथेनॉल, एक तरह का अल्कोहल है, जिसे एथिल अल्कोहल भी कहा जाता है. यह एक जैव ईंधन यानि की बायो फ्यूल है जिसे गन्ने, मक्का, ज्वार और गेहूं से बनाया जाता है. एथेनॉल को फर्मेंटेशन की प्रक्रिया से बनाया जाता है.
पेट्रोल में एथेनॉल क्यों मिलाया जाता है?
दरअसल, साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई20 ईंधन मिशन शुरू किया था, जिसके तहत एक लीटर फ्यूल में 800 मिलीलीटर पेट्रोल और 200 मिलीलीटर एथेनॉल मिलाना तय किया गया. सरकार का कहना है की इससे देश की कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी. इससे कार्बन उत्सर्जन घटेगा. ई 20 इस्तेमाल करने से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ेंगी जिससे प्रदूषण कम होगा. एथेनॉल में 35% ऑक्सीजन होता हैं जिसकी वजह से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में भी कमी आएगी. और क्योंकी एथेनॉल गन्ने से बनता है तो इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी. इस मिशन के तहत 2030 तक देश के सभी पेट्रोल पंपों पर 20% एथेनॉल वाला पेट्रोल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि ये लक्ष्य हमने साल 2025 में ही हासिल कर लिया है.
क्या एथनॉल वाला पेट्रोल गाडियों के लिए सही है?
हां, एथेनॉल वाले पेट्रोल से आपकी गाड़ी को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन अगर आपकी गाड़ी पुरानी है तो ई 20 पेट्रोल आपकी गाड़ी की माइलेज कम कर सकता है हालांकि इंजनों में बदलवा और कुछ सेटिंग्स करके आप इसे ठीक करवा सकते है. अगर आपने गाड़ी 2023 के बाद खरीदी है तो आपकी गाड़ी की माइलेज पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकी केंद्र सरकार ने 2023 में BS6-II नाम की Vehicle Emission Standards System,वाहन उत्सर्जन मानक प्रणाली लागू की थी. जिसके तहत कंपनियों को गाड़ियों को ई20 फ्यूल के अनुकूल बनाना अनिवार्य किया गया था.
पेट्रोल और ई20 में कौन सा बेहतर है?
बात करें पेट्रोल की तो पेट्रोल में ज्यादा एनर्जी होती है और वो ई 20 के मुकाबले ज्यादा माईलेज देता है लेकिन पेट्रोल काफी ज्यादा प्रदूषण करता है और गाड़ी की इंजन को भी जल्दी गर्म कर देता है वहीं ई 20 में पेट्रोल के मुकाबले कम एनर्जी होती है लेकिन ये पर्यावरण के लिए अच्छा होता है.
सवाल ये उठता है की जब भारत पेट्रोल में 20% एथेनॉल का इस्तेमाल कर रहा है और रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीद रहा है. तो भारत में पेट्रोल की कीमतों में कमी क्यों नहीं आरही?
रूस से व्यापार में 1111 अरब रूपए का मुनाफा
भोपाल में पेट्रोल की कीमत106 रुपये प्रति लीटर हैं जबकि कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और केरल में पेट्रोल का रेट 110 के पार है. 2015 में पेट्रोल का रेट 60.40 रुपए लीटर था. आज से 5 साल पहले की ही बात करें तो 2020 के शुरआत में पेट्रोल की कीमत 70 रूपए थी लेकिन 2021 आते-आते ये रेट 80 रूपए प्रति लीटर हो गई. रूस यूक्रेन युद्ध के बाद रूस सस्ते दामों पर भारत को कच्चा तेल बेच रहा है जिसका फायदा भारत उठा भी रहा हैं. CLSA की रिपोर्ट के अनुसार 2024-2025 में भारत को रूस से कच्चे तेल के व्यापार में 2.5 बिलियन डॉलर करीब 21894 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था. उस समय रूस से मिलने वाले कच्चे तेल की कीमत 78.5 डॉलर प्रति बैरल थी. लेकिन बात करें 2025-2026 के जून तक की तो अब ये 74.37 डॉलर प्रति बैरल हो गई है जिससे भारत को 0.84 डॉलर की बचत हुई है. इस साल के अप्रैल जून तक में भारत को 6.20% की छूट मिली है जो की पिछले साल 2.80%था. और बीते 5 सालों की बात करें तो भारत को रूस से व्यापार करने में 1111 अरब रूपए का मुनाफा हुआ है.
इस तरह देखे तो रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत को मुनाफा तो हुआ है लेकिन ये मुनाफा भारत के नागरिको को नहीं हुआ हैं. साल दर साल ये कीमत बढ़ती जा रही है लेकिन मुनाफा सिर्फ कंपनियों और सरकार को हुआ है.