MP News: मऊगंज जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी अमृत सरोवर योजना

मऊगंज जिले के नईगढ़ी हनुमना एवं मऊगंज विकास खंड क्षेत्र में अमृत सरोवर योजना के तहत बनाए गए तालाबों की हालत दयनीय है। सरकार द्वारा जल संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर जिस उद्देश्य के लिए इन अमृत सरोवर तालाबों का निर्माण कराया था उनमें से जिले के एक भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही। आज जिले के तीनों विकास खण्डों में निर्माण कराए गए अमृत सरोवर तालाबों के जमीनी हकीकत देखी जाए तो यह 90 फीसदी सूखे पड़े तालाब आम निवासियों को ही नहीं पशु पक्षियों को भी मुंह चिड़ाते नजर आते हैं। 

MP News: मऊगंज जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी अमृत सरोवर योजना
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MAUGANJ. मऊगंज जिले के नईगढ़ी हनुमना एवं मऊगंज विकास खंड क्षेत्र में अमृत सरोवर योजना के तहत बनाए गए तालाबों की हालत दयनीय है। सरकार द्वारा जल संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर जिस उद्देश्य के लिए इन अमृत सरोवर तालाबों का निर्माण कराया था उनमें से जिले के एक भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही। आज जिले के तीनों विकास खण्डों में निर्माण कराए गए अमृत सरोवर तालाबों के जमीनी हकीकत देखी जाए तो यह 90 फीसदी सूखे पड़े तालाब आम निवासियों को ही नहीं पशु पक्षियों को भी मुंह चिड़ाते नजर आते हैं। 

जिले के नईगढ़ी ब्लॉक में 9 तो इसी तरह हनुमना में 30 तथा मऊगंज में 7 अमृत सरोवर बनाए गए, लेकिन जिस दौरान तालाब निर्माण की कार्य योजना बनाई गई उस समय सारे नियम कायदों को दर किनार कर भविष्य की चिंता किए बगैर निजी स्वार्थ एवं रसूकदारों के इशारे पर तालाब निर्माण स्थल का चयन किया गया। स्थल चयन के बाद जब निर्माण कार्य की बारी आई तो संबंधी इंजीनियर से लेकर निर्माण एजेंसी के बीच हुए कथित समझौते के कारण निर्माण कार्य में प्राक्कलन को ध्यान न देते हुए तथाकथित खुलकर भ्रष्टाचार किया गया। जिसका परिणाम रहा कि आज मऊगंज जिले के तीनों विकास खण्डों को मिलाकर तीन दर्जन से अधिक की संख्या में बनाए गए अमृत सरोवर अप्रैल माह की स्थिति में सुख चुके हैं। हालत यह है कि जो तालाब पानी संरक्षण के लिए बनाया गया आज वह तालाब बंजर सूखी बांध की तरह नजर आता है।

योजना अनुसार एक भी प्रोजेक्ट पूर्ण नहीं-

जिले  के तीनों ब्लॉकों को मिलाकर 36 से अधिक की संख्या में अमृत सरोवर प्रोजेक्ट मंजूर किए गए थे। जनपद में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों की माने तो रिकॉर्ड में लगभग सभी सरोवर बनकर तैयार हो चुके हैं लेकिन प्राक्कलन के अनुसार एक भी प्रोजेक्ट कार्य पूर्ण नहीं हैं। जबकि अमृत सरोवर योजना केंद्र सरकार की प्राथमिकता वाली योजना थी। किंतु जनपद पंचायत के इंजीनियरों एवं अन्य जिम्मेदारों द्वारा इस योजना की प्रगति को इस तरह से घसीटा गया कि अब सिर्फ कागज में ही पूर्णता दिखा दी गई, जिसका परिणाम रहा की आज जिन तालाबों में लबालब पानी भरा होना चाहिए वह तालाब सूखे पड़े हुए हैं। क्योंकि इतनी बड़ी राशि खर्च के बाद न तो कोई लाभ दिख रहा और न ही करोड़ों के व्यय का कोई औचित्य नजर आता। हालात देखी जाए तो यहां का ग्रामीण विकास विभाग ऐसा लगता है कि इस योजना के कार्य को प्राक्कलन के अनुसार पूरा करने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई।

प्राक्कलन को दरकिनार कर बनाए गए तालाब-

अति महत्वाकांक्षी इतने बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में इतनी बड़ी राशि खर्च की गई लेकिन इन सरोवरों में पानी नहीं रुक पाया। इन अमृत सरोवरों में पानी न रुकने का कारण क्या है ? कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर प्रोजेक्ट के इंजीनियर ही बता सकते हैं। सामान्य रूप से देखा जाए तो एक किसान यदि अपने खेत में छोटा सा बांध बना देता है या छोटे से तालाब का निर्माण करता है तो उसमें मार्च अप्रैल ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष पानी मिल जाता है। लेकिन यहां के हालात कुछ और है, जिस अमृत सरोवर के निर्माण में शासन के लाखों रुपये खर्च हो गए यहां तक की विभाग की जानकारी के अनुसार कार्य भी पूर्ण हो चुके हैं फिर भी इन सरोवरों में पानी का न होना निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी एवं निर्माण कार्यों की परख करने वाले जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं। हकीकत क्या है यह तो जांच उपरांत ही पता चलेगा और जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी या नहीं यह तो अभी भविष्य के गर्त में है लेकिन जो जमीनी हालात बोलते हैं उससे साफ जाहिर होता है कि जिम्मेदार अमले द्वारा शासन के इतने बड़े प्रोजेक्ट पर कहीं न कहीं बड़ी लापरवाही की गई है। जिसके कारण सिंचाई के साथ क्षेत्र के जल स्तर को बढ़ावा देने की बेहतर स्थिति बनना तो दूर इन अमृत सरोवरों में परिंदों तक के लिए पानी नसीब नहीं है।

अमृत सरोवर बना खेल मैदान-

जल संरक्षण को लेकर सरकार की अति महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना जिम्मेदार अधिकारियों एवं निर्माण एजेंसी द्वारा बर्ती गई अनियमितता के कारण कुछ इस कदर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी की जिन तालाबों को पानी संरक्षण हेतु बनाया जाना था उन तालाबों को प्राक्कलन के अनुसार जमीनी रूप न मिलने के कारण आज जिस तालाब में पानी होना था वह तालाब बच्चों के खेलने के लिए खेल मैदान बन चुके है जिसका जीता जागता उदाहरण जिले के नईगढ़ी ब्लॉक अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भीर में बनाए गए तालाब में बरसात के चंद कुछ दिनों को यदि छोड़ दिया जाए तो शेष समय में गांव के बच्चे उस अमृत सरोवर तालाब में क्रिकेट खेलते नजर आते हैं।