MP व्यापमं घोटाले में 122 आरोपियों पर 10 साल बाद होंगे आरोप तय

MP के व्यापमं घोटाले में 10 साल बाद 122 आरोपियों पर आरोप तय होंगे

MP व्यापमं घोटाले में 122 आरोपियों पर 10 साल बाद होंगे आरोप तय

MP में जब भी किसी बड़े घोटाले का जिक्र होता है.. तो व्यापमं फर्जीवाड़े का नाम सबसे पहले आता है। एक ऐसा मामला जिसने न केवल राज्य सरकार की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा किया। बल्कि लाखों युवा छात्रों का भविष्य भी दांव पर लगा दिया। इस मामले में अब 10 साल बाद, आखिरकार 122 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे।

FIR के 10 साल बाद न्याय की उम्मीद

साल 2015 में जब इस घोटाले की पोल खुली, तब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इसके बाद एसआईटी से केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया था। वहीं, जुलाई 2015 में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर इस मामले की छानबीन शुरु की।

आरोपियों के खिलाफ जल्द सुनवाई

सीबीआई ने 5 दिसंबर 2020 को मामले में चालान पेश किया था। मामले की जांच में आए नए तथ्य और सबूतों के बाद, 3 जुलाई 2025 को सीबीआई ने केस को मजिस्ट्रेट कोर्ट से विशेष ट्रायल कोर्ट में भेज दिया। 26 जुलाई को प्रधान जिला न्यायाधीश के आदेश के बाद यह केस सीबीआई की विशेष ट्रायल कोर्ट में पहुंचा। वहीं अब बहुत जल्द मामले की सुनवाई सीबीआई कोर्ट में शुरु होने वाली है।

घोटाले में सामने आए कई चर्चित नाम

इस मामले में कई चर्चित नाम सामने आ चुके हैं। आरोपियों में नौ से अधिक डॉक्टरों का नाम भी शामिल है। इन आरोपियों में कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह के बेटे अमितेश कुमार, निगम अधिकारी डॉ. अतिबल सिंह यादव के बेटे अरुण यादव, और लखनऊ की डॉ. स्वाति सिंह प्रमुख हैं। डॉ. स्वाति सिंह पर मोनिका यादव के स्थान पर पीएमटी (PMT) देने का आरोप है। यही नहीं, इस मामले में कई और नाम भी सामने आए हैं। जैसे डॉ. विजय सिंह, डॉ. उमेश कुमार बघेल, डॉ. अभिषेक सचान, और डॉ. संजय वर्मा।

2013 में शुरू हुआ था यह मामला

पूरे मामले की शुरुआत 2013 में हुई थी, जब झांसी रोड पुलिस थाने में सबसे पहले एफआईआर (FIR) दर्ज की गई थी। तब से लेकर अब तक यह मामला कई मोड़ों से गुजरा है और अब जाकर आरोप तय होने जा रहे हैं।

क्या था पूरा व्यापमं घोटाला

2013 में मप्र में व्यापमं घोटाला सामने आया था। इसे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा परीक्षा घोटाला माना जाता है। इस घोटाले में परीक्षा में नकल करवाना, किसी के स्थान पर दूसरे को बैठाना और अन्य धांधलियों की घटनाएं शामिल थीं। इसके चलते हजारों लोगों को गिरफ्तार किए गया था।

हालांकि, इस मामले में एक रहस्यमयी मोड़ तब आया जब घोटाले से जुड़े संदिग्धों की मौतें शुरू हो गईं। इन मौतों में सड़क दुर्घटनाएं, दिल का दौरा, सीने में दर्द और आत्महत्याएं शामिल थीं, और ये सभी असामयिक और संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। सरकार के अनुसार 2007 से 2015 के बीच इस घोटाले से जुड़े 32 लोगों की मौत हुई। वहीं मीडिया रिपोर्टों में संख्या 40 से अधिक बताई गई।